MP News: बिना फूड लाइसेंस के समोसा, मोमोज, चाय या पोहा बेच रहे हैं? अब सावधान हो जाइए! पकड़े जाने पर भारी जुर्माना और 6 महीने की सजा तय है।
Food License rules: खाद्य सुरक्षा अधिनियम (Food Safety Act) खाद्य पदार्थों की सुरक्षा के लिए बनाया गया है। समोसा, मंगोड़े, चाट, पोहा, मोमोज, आलूबंडा, पकौड़े, डोसा, चाय, सब्जी आदि वह सबकुछ जो उपभोक्ता दुकानों से खा रहा है। ऐसे सभी दुकानदारों को फूड लाइसेंस लेना अनिवार्य है। अगर बिना लाइसेंस के कोई बेचता पकड़ा गया तो उस पर जुर्माना व छह माह की सजा हो सकती है।
सिवनी जिले में साढ़े सात हजार छोटे-बड़े विक्रेताओं को फूड लाइसेंस दिए गए हैं। वहीं हजारों विक्रेता बिना फूड लाइसेंस के खाद्य सामग्री बेच रहे हैं। उनके फूड की गुणवत्ता क्या है, वे हानिकारक है या लाभ दायक, किसी को नहीं पता है। ऐसे लोगों की न जांच होती है न ही कोई कार्यवाही होती है। (mp news)
खाद्य विभाग (Food Department) द्वारा अब तक जिले में साढ़े सात हजार फूड लाइसेंस जारी किया गया है। ज्यादातर विक्रेताओं ने खुद ऑनलाइन आवेदन करके लाइसेंस बनवाए हैं। वहीं कुछ छोटे विक्रेताओं को कैम्प लगाकर लाइसेंस बांटे गए हैं। हालांकि खाद्य विभाग के अधिकारी इस बात से अंजान हैं कि जिले में कितने खाद्य विक्रेता कारोबार कर रहे हैं। जिले में हजारों फूड विक्रेता है। अधिकांश विक्रेता अमानक फूड बेच रहे हैं। वे खाद्य सुरक्षा अधिनियम का पालन नहीं कर रहे हैं। पिछले तीन साल में फूड के 968 नमूने लिए गए। जिसमें 90 के नमूने अमानक निकले। उन पर जुर्माने की कार्रवाई की गई। अगर जिले भर के हजारों फूड विक्रेताओं के सैंपल लिए गए होते तो कई सैकड़ा अमानक फूड विक्रेता पकड़े जाते। जिले में कई फूड विक्रेता ऐसे हैं जिनके पास लाइसेंस नहीं है। उनके फूड के सैंपल भी नहीं लिए गए। (mp news)
खाद्य सुरक्षा को लेकर दुनियाभर में जागरुकता बढ़ती जा रही है। लोग एक देश से दूसरे देश बड़ी संख्या में आवागमन कर रहे हैं। सभी उपभोक्ताओं को शुद्ध, पोषण युक्त फूड उपलब्ध हो. इसी को ध्यान में रखते हुए शासन ने खाद्य सुरक्षा अधिनियम बनाया है ताकि सभी लाइसेंस लेकर कारोबार करें। यदि जो विक्रेता इसका उल्लंघन करता है और बिना रजिस्ट्रेशन के फूड का कारोबार करता है तो वह अपराध है। ऐसा करने पर खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006 की धारा 31 के तहत 2 से 5 लाख रुपए का जुर्माना और 6 माह की सजा का प्रावधान है। (mp news)
खाद्य विभाग में वर्तमान में जिले में तीन इंस्पेक्टर की तैनाती है। इसमें से एक काफी समय से छुट्टी पर चल रही हैं। महज दो लोगों के ऊपर पूरे जिले का जिम्मा है। जबकि स्वीकृत पद छह इंस्पेक्टर का है। बड़ी बात यह है कि जिले में जिस तरह से छोटी-बड़ी खाद्य की दुकानें खुल रही हैं उस हिसाब से कम से कम 8 इंस्पेक्टर की तैनाती जरूरी है। वर्तमान में जिले में साढ़े सात हजार लाइसेंस धारी फूड विक्रेता हैं। वहीं हजारों बिना लाइसेंस वाले हैं। इनके फूड में गुणवत्ता क्या है. खाद्य सुरक्षा अधिनियम के सभी प्रावधानों का पालन किया जा रहा है या नहीं? इसे देखने वाले चंद इंस्पेक्टर हैं। वे समय-समय पर दो-चार विक्रेताओं की खाद्य सामग्री की जांच कर पाते हैं। (mp news)
शहर से लेकर गांव तक हर दिन कोई न कोई खाद्य सामग्री की छोटी-बड़ी दुकानें खुल रही हैं। इनमें ज्यादातर छोटे विक्रेता खासकर ठेला-टपरे या सड़क के किनारे दुकान लगाकर खाद्य सामग्री बेच रहे हैं। इनमें से कई फेरी लगाते हैं। इनमें से अधिकतर के पास लाइसेंस नहीं होता। पत्रिका ने शहर में 20 दुकानों से बात की। इनमें से 11 लोगों के पास ही लाइसेंस मिला। कई लोगों को यह तक पता नहीं था कि इसका लाइसेंस कहां बनता है। जानकार बताते हैं कि जिले में 3 हजार से अधिक विक्रेता बिना फूड लाइसेंस के सामग्री बेच रहे हैं।
फूड लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया काफी आसान है। ऑनलाइन आवेदन करके एक दिन में लाइसेंस बन जाता है। इसके लिए कुल खर्च भी मात्र 100 रुपए है। समय-समय पर जांच की जाती है। अगर किसी दुकानदार के पास लाइसेंस नहीं होता है तो कार्यवाही की जाती है।- सोनू तिवारी, फूड इंस्पेक्टर