महिला यात्री से हुई लूट की वारदात ने सुरक्षा व्यवस्था की खोली कलई
महिला यात्री से हुई लूट की वारदात ने सुरक्षा व्यवस्था की खोली कलई
शहडोल. शहर व आसपास के ग्रामीण इलाकों में संचालित ऑटो चालकों की मनमानी व पुलिस की उदासीनता ने सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है। बीती रात महिला के साथ हुई लूट की घटना के बाद महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े होने लगे हैं। शहर में दौडऩे वाले ऑटो रिक्शा की निगरानी को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। यातायात विभाग की माने तो शहर में 2 हजार से अधिक ऑटो संचालित हो रहे हैं लेकिन 1100 के रिकार्ड ही दर्ज हैं। ऑटो संघ के पदाधिकारियों के अनुसार, शहर में 4 हजार से अधिक ऑटो दौड़ रहे हंै। ऑटो चालक यातायात नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं, और न ही संबंधित विभाग इन पर ठोस कार्रवाई कर पा रहा है, जिसके कारण यात्रियों को परेशान होना पड़ रहा है। पत्रिका ने महिला से लूट की घटना के बाद जब शहर में ऑटो संचालन को लेकर पड़ताल की तो कई खामियां सामने आईं।
500 रुपए में आसानी से मिल जाते हैं ऑटो
महिला से लूूट की वारदात सामने आने के बाद पत्रिका टीम ने ऑटो को लेकर पड़ताल शुरू की तो यह बात सामने आई कि शहर में कुछ लोगों के पास 4-6 ऑटो हैं, जो किराए से संचालित करते हैं। दिन में 500 एवं रात में 400 रुपए किराए से आसानी से ऑटो मिल जाते हैं। इसके अलावा कुछ ऑटो मालिक भी अपने वाहन रात में किराए से संचालित कराते हैं। एक दूसरे से पहचान पूछकर ऑटो देते हैं। इनके पास किसी प्रकार का रिकार्ड नहीं होता। इसके अलावा यातायात नियमों का पालन भी नहीं किया जाता।
असामाजिक तत्व दौड़ा रहे वाहन, कई नशे में होते हैं
ऑटो संघ के पदाधिकारियों की माने तो उनके पास 200 ऑटो चालकों की जानकारी है। इसके अलावा शहर व आसपास के ग्रामीण इलाकों में करीब 4 हजार ऑटो संचालित हो रहे हैं। रात को ऑटो चलाने वाले अधिकांश चालक नशे में होते हैं। एक ऑटो में 2-3 लडक़ोंं की टीम होती है। जो यात्रियों को जबरन ऑटो में बैठाकर उनके गंतव्य तक छोडऩे के लिए दबाव बनाते हैं और दूसरे ऑटो चालक से विवाद करते हुए मारपीट तक करने उतारू हो जाते हैं। इसके अलावा ऑटो में क्षमता से अधिक सवारी लेकर दौड़ाते हैं। ऑटो संघ के पदाधिकारी भी चाहते हैं ऐसे असामाजिक तत्वों पर कार्रवाई की जाए।
10 साल पहले जांच, दोबारा किसी ने सुध नहीं ली
कई वर्षों पहले यातायात विभाग ने शहर व आसपास संचालित ऑटो के लिए अभियान चलाकर एक एसडीएल नंबर जारी किया था, जिसे वाहन में अंकित कराया गया था। इसमें करीब 1000 से अधिक ऑटो शामिल थे। इस नवचार से सवारियों को आसानी ऑटो में अंकित एसडीएल नंबर याद हो जाता था। वर्तमान में संचालित हो रहे ऑटो व ई-रिक्शा में किसी प्रकार की पहचान संख्या दर्ज नहीं है, यहां तक की पुरानी पहचान संख्या भी वाहनों से मिट चुकी है। इसे लेकर विभाग की तरफ से ठोस पहल नहीं की जा रही है। बीती रात महिला के साथ घटित घटना में भी ऑटो में न तो रजिस्ट्रेशन नंबर था और ना ही पहचान संख्या दर्ज थी। पीडि़ता के बताए अनुसार व सीसीटीवी फुटेज के आधार पर ऑटो चालक की गिरफ्तारी हो सकी थी।
इनका कहना
शहर में आसपास के गांव के ऑटो चालक आते हैं, हमारे पास 200 ऑटो की जानकारी है, इसके अलावा करीब 4000 ऑटो संचालित हो रहे हैं। पुलिस प्रशासन को जांच करनी चाहिए।
हरि मोहन साहू, जिला अध्यक्ष ऑटो संघ
शहर व आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से करीब 2 हजार ऑटो संचालित हो रहे हैं। हमारे पास एक हजार ऑटो की जानकारी है, ऑटो की परमिट भी नहीं हैं, इसलिए ऑटो को चिन्हित कर पाना मुश्किल हैं। कई बार ऑटो को पत्र जारी कर जानकारी मांगी गई लेकिन कोई जवाब नहीं दिया जाता।
मुकेश दीक्षित, डीएसपी यातायात