शाहजहांपुर

‘पर्सनल स्पेस’ के जमाने में चार पीढ़ियों के 64 सदस्य एक ही छत के नीचे रह रहे, घर में चलते हैं सिर्फ इनके फैसले

शाहजहांपुर का घुसगवां गांव…यहां श्याम सिंह अपने परिवार की 4 पीढ़ियों के 64 लोगों के साथ एकसाथ रह रहे हैं। पूरे घर का खाना एक साथ बनता सभी एक साथ बैठकर खाना खाते हैं, पुरुष खेती का काम करते हैं और महिलाएं घर का।

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जमाना पर्सनल स्पेस का है। हर किसी को अपना समय और खुद का जोन पसंद आ रहा है। छोटे-छोटे परिवारों में भी लोग अलग-अलग रह रहे हैं। 4 लोगों के घर में भी माता-पिता अलग और बेटा-पत्नी अलग-अलग रहना पसंद कर रहे हैं। क्योंकि आजकल अपनों से ज्यादा पर्सनल स्पेस जरूरी हो गया है। लेकिन ऐसे में यूपी के शाहजहांपुर में एक परिवार चार पीढ़ियों के 64 सदस्यों के साथ में रह रहा है।

शाहजहांपुर का घुसगवां गांव…यहां श्याम सिंह अपने परिवार की 4 पीढ़ियों के 64 लोगों के साथ एकसाथ रह रहे हैं। पूरे घर का खाना एक साथ बनता है…सभी की पसंद और नापसंद का भी ध्यान रखा जाता है। महिलाएं घर का काम करती हैं और पुरुष खेती का। घर में क्या होने है कैसे होना…यह निर्णय लेना श्याम सिंह का काम है। कोई उनकी बात से इनकार नहीं करता।

श्याम सिंह कहते हैं कि, ‘हमारे बड़े बुजुर्ग कह गए थे कि परिवार के साथ में ही भलाई है, खुशी वहीं आती है जहां सब साथ-साथ रहें खाएं-पिएं और बाते करें। बस उसी बात को हम गांठ बांध लिए और हम सब साथ साथ हैं। इस यात्रा में मेरे बेटे बहुओं का भी पूरा योगदान है क्योंकि वो आजतक मेरे फैसले में साथ देते आए हैं और सब हंसी-खुशी रह रहे हैं।’ 

खाना बनने में आई समस्या दो बनवा दी 2 रसोई

64 लोगों का खाना एक साथ बनने में थोड़ी परेशानी आ रही थी तो श्याम सिंह ने 2 रसोई बनवा दी, एक में सब्जी बन रही होती है तो दूसरे में दाल। ऐसे खाना समय पर हो जाता है और ताजगी भरा भी रहता है।

श्याम सिंह बताते हैं कि छोटे बेटे अनुराग की पत्नी नीलम, सत्येंद्र की पत्नी सीमा व ध्यान सिंह की पत्नी मिथलेश खाना बनाने से लेकर साफ-सफाई तक की जिम्मेदारी संभालती है। बड़े बेटे धीर सिंह की पत्नी नन्हीं देवी व नेम सिंह की पत्नी पुष्पा देवी घर में बड़े होने के नाते काम-काज में जहां देवरानियों का हाथ बंटाती हैं, यह भी ध्यान रखती हैं कि रसोई में किस चीज की कमी है।

सबसे पहले श्याम सिंह के पास आती है भोजन की थाली

भारतीय संस्कृति और परंपरा का निर्वहन भी इस परिवार में बखूबी हो रहा है। परंपरा के अनुसार भोजन की थाली घर से सबसे बुजुर्ग श्याम सिंह के पास आती है। उनके साथ पौत्र-पौत्री भी खाना खाते हैं। इसके बाद शेष भाई, फिर महिलाएं भोजन करती हैं। इसी घर के दूसरे हिस्से में श्याम सिंह के छोटे भाई रामनाथ सिंह रहते हैं। उनके चार बेटे हैं। बड़े बेटे परिमाल सिंह खेती करते हैं, उनकी बेटी मनोरमा, शशि व बेटे रवीश की शादी हो चुकी जबकि बेटा संदीप व बेटी सुरभि अभी पढ़ रहे हैं ।

दूसरे नंबर के बेटे सुरजीत सिंह पत्नी नन्ही देवी, बेटा आशीष पत्नी प्रांशी यादव, बेटी अक्कू, बेटा गोपी है। तीसरे नंबर के बेटे राकेश सिंह पत्नी रामगुनी बेटा सौरभ पत्नी कविता व बेटा सचिन है। चौथे बेटे सत्यदेव उनकी पत्नी सोमवती हैं। चारों के बच्चे अंकित, वर्षा, आदित्य व क्रांति है।

फैसला लेने का अधिकार श्याम सिंह के पास

श्याम सिंह के साथ 30 और रामनाथ सिंह के साथ 24 सदस्य रहते हैं मगर, इन सभी से जुड़े अंतिम निर्णय का अधिकार श्याम सिंह ही करते हैं। खेती में किस भाई को क्या करना है, कौन सी फसल उगाई जाएगी, बच्चों की शादी कहां होगी, व्यवस्थाएं क्या होंगी या पढ़ाई किस स्कूल-कालेज में कराई जाएगी...ऐसे किसी भी मामले पर श्याम सिंह जो कहते हैं, सभी भाई व भतीजे उसका पालन करते हैं।

श्याम सिंह के रिश्ते के भाई दीप सिंह का काफी पहले निधन हो गया था। ऐसे में उनकी पत्नी रामवती, बेटे मुकेश को भी अपने साथ रख लिया। अपने बच्चों की तरह उन्हें दुलार दिया। मुकेश की पत्नी व तीन बच्चे का खाना भी एक ही रसोई में बनता है। खानपान में सभी सदस्यों की पसंदगी का ध्यान रखा जाता है।

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