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भारत में इन कार्यों पर पुरुषों से ज्यादा समय खर्च करती हैं महिलाएं 

महिलाएं औसतन हर दिन 289 मिनट (लगभग 4 घंटे 49 मिनट) बिना वेतन के घरेलू कार्यों में बिताती हैं।

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Apr 16, 2025
working of woman

एक तरफ कामकाज के घंटों को लेकर भारत समेत दुनियाभर के देशों में बहस छिड़ी है। वहीं, केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation) के टाइम यूज सर्वे (Time Use Survey) की रिपोर्ट देश में वैतनिक एवं अवैतनिक कार्य (घरेलू कार्य) में पुरुषों एवं महिलाओं के बीच लैंगिक असमानता को उजागर करती है।

मंत्रालय की ओर से वर्ष 2019 के बाद 2024 का दूसरा टाइम यूज सर्वे जारी किया गया है। इसके अनुसार बिना वेतन वाले घरेलू कार्यों में महिलाओं की संलिप्तता बढ़ी है। घरेलू कार्यों जैसे- खाना बनाना, खरीदारी, बच्चों-बुजुर्गों की देखभाल आदि में उनकी भागीदारी पुरुषों की अपेक्षा अधिक है। दिल्ली सहित राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ व अन्य राज्यों में घरेलू कार्यों में लैंगिक विभाजन बना हुआ है। हालांकि कुछ पूर्वोत्तर के राज्य हैं, जहां शहरी पुरुषों की घरेलू कार्यों में भागीदारी अपेक्षाकृत अधिक है।

रिपोर्ट के अनुसार महिलाएं औसतन हर दिन 289 मिनट (लगभग 4 घंटे 49 मिनट) बिना वेतन के घरेलू कार्यों में बिताती हैं। दूसरी ओर पुरुष इसी तरह के कार्यों पर दिन में केवल 88 मिनट (लगभग 1 घंटा 28 मिनट) खर्च करते हैं। महिलाएं हर दिन औसतन 137 मिनट (लगभग 2 घंटे 17 मिनट) बच्चों और बुजुर्गों की देखभाल में बिताती हैं, जबकि पुरुष इसमें केवल 75 मिनट (1 घंटा 15 मिनट) खर्च करते हैं।

2.5 फीसदी बढ़ी वेतनभोगी महिलाएं

सर्वे में भारत में छह वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों और महिलाओं की दैनिक कार्य भागीदारी का आकलन किया गया है। 2019 और 2024 में वेतनभोगी कार्य में शहरी महिलाओं की भागीदारी 15.5 से बढक़र 18 फीसदी हो गई है। वहीं, शहरी पुरुषों की भागीदारी 58.1 से बढक़र 61.2 फीसदी हो गई।

घरेलू कार्यों में पुरुषों की हिस्सेदारी बढ़ी

बिना वेतन वाली सेवाओं- घरेलू लेखांकन और प्रबंधन, सामान खरीदना, भोजन बनाना/परोसना, कचरा निपटान, सफाई, घर का रखरखाव और बागवानी आदि में शहरी महिलाओं की संख्या 79.3 से बढक़र 81 फीसदी हो गई, जबकि पुरुषों की संख्या भी 23 से बढक़र 28.5 फीसदी हो गई।

बच्चों-बुजुर्गों की देखभाल में महिलाएं आगे

शहरी पुरुषों और महिलाओं द्वारा बच्चों, बीमार, बुजुर्गों और दिव्यांग व्यक्तियों की देखभाल में बिताए गए समय में भी बढ़ोतरी हुई है। ऐसे कार्यों में संलग्न महिलाओं का प्रतिशत 25.9 से बढक़र 31.8 फीसदी , जबकि पुरुषों का 12.9 से बढक़र 17.3 फीसदी हो गया है।

पूर्वात्तर में घरेलू कामकाज में पुरुष आगे

देश के विभिन्न राज्यों में घरेलू कामकाज (अवैतनिक कार्य) में 20 से 40 फीसदी पुरुषों और 75 से 85 फीसदी महिलाओं की भागीदारी है। हालांकि सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड में 50 फीसदी से अधिक पुरुष घरेलू कार्यों में भाग लेते हैं। केरल में 54 फीसदी पुरुष घरेलू कार्यों में संलग्न हैं।

यूपी-बिहार में वेतनभोगी महिलाएं पीछे

देश में वेतनभोगी कार्यों में पुरुषों की भागीदारी 55 से 65 फीसदी और महिलाओं की 10 से 25 फीसदी के बीच। तमिलनाडु में महिलाओं की भागीदारी 25 फीसदी, जबकि बिहार में यह मात्र 9 फीसदी और उत्तर प्रदेश में 10 फीसदी है। तेलंगाना में 24 फीसदी, कर्नाटक 22 फीसदी और हिमाचल प्रदेश में 23 फीसदी है।

नारी निभा रही दोहरी जिम्मेदारी

तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में महिलाओं की वेतनभोगी कार्यों में उच्च भागीदारी है। साथ ही 80 फीसदी से अधिक महिलाओं द्वारा घरेलू कार्यों में संलग्न होने की प्रवृत्ति यह दर्शाती है कि कई महिलाएं कार्य और घरेलू जिम्मेदारियों को एक साथ निभा रही हैं।

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