पाठ्यपुस्तक मंडल से सरकारी स्कूलों को 24 जून से किताबें मिलना शुरू हो गई थी। 29 जून तक लगभग सभी स्कूलों में यह किताबें पहुंच चुकी थी। नए सत्र में विद्यार्थियों को स्कूल से जोड़े रखने के लिए एक जुलाई से ही उन्हें किताबें वितरित की जाने लगी थी।
Sikar News : सीकर. सरकार के 'दिखावे' के लिए शुक्रवार को सरकारी स्कूलों में अजब 'ड्रामा' हुआ। दरअसल,पाठ्यपुस्तक बांटने के लिए शुक्रवार को शिक्षा मंत्री के मुख्य अतिथ्य में राज्य स्तरीय तथा स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में ग्राम पंचायत स्तर पर वितरण समारोह आयोजित किए गए थे। जिसमें पीईईओ के अधीन स्कूलों के विद्यार्थियों को एक साथ पुस्तकें वितरित क रनी थी।
चूंकि पाठ्यपुस्तकों का वितरण बहुत सी स्कूलों में पहले से ही हो चुका था। ऐसे में सरकार की शोबाजी के लिए स्कूलों ने बच्चों से वो किताबें फिर से मंगवाकर उन्हें पीईईओ के पास भेजा और फिर उन्हें ही सार्वजनिक समारोह में वापस बंटवाया। जिससे समय की बर्बादी के साथ शिक्षा विभाग में हो रही औपचारिकताओं की पोल भी खुल गई।
29 तक पहुंची किताबें, दो जुलाई को आया कार्यक्रम का आदेश
पाठ्यपुस्तक मंडल से सरकारी स्कूलों को 24 जून से किताबें मिलना शुरू हो गई थी। 29 जून तक लगभग सभी स्कूलों में यह किताबें पहुंच चुकी थी। नए सत्र में विद्यार्थियों को स्कूल से जोड़े रखने के लिए एक जुलाई से ही उन्हें किताबें वितरित की जाने लगी थी। जो ज्यादातर स्कूलों में दो दिन में बांट दी गई। इसी बीच दो जुलाई को शाम तक स्कूलों को पाठ्यपुस्तक वितरण का समारोह करने का शिक्षा निदेशालय का आदेश मिला। जिसकी पालना करने के लिए वह किताबें शिक्षकों ने पहले बच्चों से वापस मंगवाई और बाद में पीईईओ ने स्कूलों से मंगवाकर कार्यक्रम आयोजित किया।
नाम लिखी किताबें बंटी
स्कूलों में बंटने के बाद विद्यार्थियों ने उन पर अपने नाम भी लिख लिए थे। जिन्हें ही कार्यक्रम के लिए फिर से लिया गया। कार्यक्रम की औपचारिकता के बाद किताबों को फिर उन पर लिखे नाम के हिसाब से ही वापस विद्यार्थियों को लौटाया गया।
इनका कहना है
स्कूल में किताबें बंटने के बाद वितरण समारोह का आदेश अव्यवहारिक था। शिक्षा के क्षेत्र में औपचारिकता से ज्यादा गुणवत्ता पर ध्यान देना सरकार व शिक्षा विभाग की प्राथमिकता में शामिल होना चाहिए।- नंद किशोर जाखड़, प्रदेश कमेटी सदस्य, राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत