सीकर/पलसाना. आज करगिल विजय दिवस है। पाकिस्तान से आए घुसपैठियों का सीना चीरते हुए हमारे वीरों ने आज ही के दिन करगिल की दुर्गम पहाड़ी पर जीत का झंडा फहराया था। इस युद्ध में सीकर के सात सहित देशभर के 527 शहीदों ने अपनी जान देश के लिए न्यौछावर कर दी थी। इस बीच हमारे […]
सीकर/पलसाना. आज करगिल विजय दिवस है। पाकिस्तान से आए घुसपैठियों का सीना चीरते हुए हमारे वीरों ने आज ही के दिन करगिल की दुर्गम पहाड़ी पर जीत का झंडा फहराया था। इस युद्ध में सीकर के सात सहित देशभर के 527 शहीदों ने अपनी जान देश के लिए न्यौछावर कर दी थी। इस बीच हमारे जवानों ने मैदान-ए- जंग से अपने घर खत भी भेजे थे। जिनमें से रहनावा के लांस नायक दयाचंद जाखड़ का खत आज भी परिजनों को भावुक कर देता है।
रहनावा निवासी दयाचंद जाखड़ ने एक जून को पत्नी को अंतिम पत्र लिखा था। जिसमें माता- पिता सहित पूरे परिवार की कुशलक्षेम पूछते हुए शहीद ने बेटे को स्कूल भेजने व 15 जून को छुट्टी पर गांव आने की बात लिखी थी। पर उसी 15 जून को उनकी शहादत की सूचना परिजनों को मिली।
पलसाना निवासी शहीद सीताराम ने शहादत से सवा महीने पहले लिखे पत्र में लिखा कि 'मैं सभी परिजनों की कुशलता की प्रार्थना करता हूं। किसी प्रकार की कोई परेशानी हो तो पत्र में लिखना। किसी प्रकार का संकोच मत करना। रूपयों की जरूरत हो तो ताऊजी से ले लेना। मेरी तरफ से किसी भी प्रकार की चिंता मत करना। मैं अपने स्थान पर कुशल हूं। गर्मी का विशेष ध्यान रखना।'
सेवद बड़ी निवासी शहीद बनवारी लाल बगडिय़ा का पत्नी संतोष को लिखा पत्र मानो पूर्वाभास का था। सबके कुशल समाचार पूछते हुए उन्होंने अंत में पत्नी के गांव जाने का जिक्र करते हुए लिखा कि 'इसके बाद मैं कोई कागज नहीं लिखूंगा। ये लास्ट कागज है।'