सिरोही

राजस्थान के इस शहर के नाम में बदलाव पर क्यों मचा बवाल? 23 से अधिक संगठनों ने दी ये चेतावनी

Mount Abu News: राजस्थान के एकमात्र हिल स्टेशन माउंट आबू का नाम बदलकर ‘आबू राज तीर्थ’ किए जाने के प्रस्ताव ने पूरे क्षेत्र में सामाजिक और राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है।

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May 06, 2025

Mount Abu News: राजस्थान के एकमात्र हिल स्टेशन माउंट आबू का नाम बदलकर ‘आबू राज तीर्थ’ किए जाने के प्रस्ताव ने पूरे क्षेत्र में सामाजिक और राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। सरकार की इस पहल के खिलाफ 23 से अधिक सामाजिक और व्यापारिक संगठनों ने मोर्चा खोल दिया है। सोमवार को माउंट आबू में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुआ, जिसमें प्रदर्शनकारियों ने इस फैसले को जनता की राय के बगैर थोपा गया तुगलकी फरमान बताया।

नाम परिवर्तन की शुरुआत कैसे हुई?

यह मामला अक्टूबर 2024 में नगरपालिका की बैठक में चर्चा से शुरू हुआ था। लेकिन विवाद ने तब जोर पकड़ा जब 25 अप्रैल 2025 को स्थानीय स्वशासन विभाग ने नगर पालिका को एक पत्र भेजकर इस पर राय मांगी। यह पत्र मुख्यमंत्री कार्यालय से हुई पिछली बातचीत और 15 अप्रैल को सांख्यिकी उप निदेशक के नोट पर आधारित था।

प्रस्ताव को क्षेत्रीय विधायक समाराम गरासिया और मंत्री ओटाराम देवासी का समर्थन प्राप्त है। उनका तर्क है कि माउंट आबू को तीर्थ नगरी का दर्जा दिया जाए और मांस व मदिरा के खुले उपयोग पर रोक लगाई जाए।

पर्यटन और पहचान दोनों पर खतरा

होटल एसोसिएशन, नक्की झील व्यापार संस्थान, और टाउन वेंडिंग कमेटी समेत दर्जनों संगठनों ने इस बदलाव का कड़ा विरोध किया है। होटल एसोसिएशन ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर माउंट आबू का नाम बदला गया और मांस-शराब पर प्रतिबंध लगा, तो पर्यटन ठप हो जाएगा और हजारों लोगों की आजीविका खतरे में पड़ जाएगी।

वहीं, स्थानीय लोगों और संगठनों का कहना है कि माउंट आबू का नाम मां अर्बुदा से जुड़ा है, जिसे स्कंद पुराण के अर्बुद खंड में भी वर्णित किया गया है। इतिहास में देखें तो 1830 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने माउंट आबू को सिरोही रियासत से लीज पर लेकर 1845 में राजपूताना एजेंसी का ग्रीष्मकालीन मुख्यालय बनाया था। लोगों का मानना है कि 'माउंट आबू' नाम आबूंदांचल और मां अर्बुदा की पौराणिक विरासत से जुड़ा है और इसे बदलना सांस्कृतिक विरासत के साथ छेड़छाड़ होगी।

जनसंगठनों का विरोध करने का ऐलान

राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के 15 मई को माउंट आबू दौरे की संभावना है। इस मौके पर होटल व्यवसायियों और नागरिक संगठनों ने मुख्यमंत्री का माला पहनाकर शांतिपूर्ण विरोध करने का फैसला किया है। शांति विजयजी पार्क में आयोजित बैठक में यह निर्णय लिया गया कि अगर सरकार ने नाम परिवर्तन का निर्णय वापस नहीं लिया तो बड़े जन आंदोलन की शुरुआत की जाएगी।

नाम बदलने से क्या पहचान बचेगी?

माउंट आबू के लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि नाम बदलने से हासिल क्या होगा? इससे न सिर्फ पर्यटन को नुकसान होगा बल्कि हजारों दस्तावेजों में संशोधन, प्रशासनिक अड़चनें और भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा।

बैठक में प्रमुख रूप से संजय सिंघल, युसूफ खान, विकास सेठ, पंकज अग्रवाल, राजेश लालवानी, सुभाष अग्रवाल, सौरभ टॉक, सुरेश थिगर, नारायण सिंह भाटी समेत कई व्यवसायी, राजनीतिक प्रतिनिधि और सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद थे।

Published on:
06 May 2025 01:25 pm
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