सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान की जेल से 23 महीने बाद रिहाई हो चुकी है। वे रामपुर के लिए रवाना हो गए हैं। लेकिन सियासी गलियारों में सवाल उठ रहे हैं। क्या ये आज़ादी स्थायी है। या फिर अस्थायी? 80 से ज्यादा केसों की तलवार हर वक्त लटक रही है। जानिए पूरी कहानी।
उत्तर प्रदेश की सियासत में चर्चित चेहरा और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म खान 23 महीने बाद मंगलवार को जेल से बाहर आ गए। लेकिन उनकी रिहाई के साथ ही एक बड़ा सवाल फिर से खड़ा हो गया है—क्या यह आज़ादी लंबी चल पाएगी या जल्द ही उन्हें दोबारा सलाखों के पीछे जाना पड़ सकता है?
सीतापुर जेल का दरवाजा मंगलवार दोपहर 12:30 बजे खुला और बाहर निकले आज़म खान। लंबे समय बाद नेता को सामने पाकर उनके समर्थकों में जश्न का माहौल नजर आया। जेल गेट पर उनका स्वागत करने के लिए कार्यकर्ताओं की भीड़ उमड़ पड़ी, जबकि उनके दोनों बेटे अब्दुल्ला आज़म और अदीब आज़म भी मौजूद रहे। जेल से निकलने के बाद आज़म खान सीधे रामपुर स्थित अपने घर के लिए रवाना हुए।
लेकिन यह रिहाई आज़म खान की मुश्किलों का अंत नहीं है। कानूनी जानकारों का कहना है कि उनके खिलाफ दर्ज मुकदमों की संख्या इतनी अधिक है कि बाहर रहने का सफर ज्यादा लंबा नहीं हो सकता। अब भी 80 से ज्यादा मामले अदालत में लंबित हैं। और इनमें से कई पर जल्द फैसला आना है। इनमें बेटे अब्दुल्ला आज़म के फर्जी जन्म प्रमाण पत्र, सरकारी दस्तावेजों में हेराफेरी और पासपोर्ट-पैन कार्ड से जुड़े मामले अहम हैं। अगर इनमें सजा सुनाई गई तो आज़म खान को फिर से जेल की हवा खानी पड़ सकती है।
दरअसल, योगी सरकार आने के बाद से ही आज़म खान पर कानूनी शिकंजा लगातार कसता चला गया। अब तक उनके खिलाफ कुल 104 मुकदमे दर्ज हुए हैं, जिनमें 12 मामलों में फैसला आ चुका है। 2020 में पहली गिरफ्तारी के बाद वे 27 महीने जेल में रहे। मई 2022 में जमानत पर बाहर आए, लेकिन महज 16 महीने बाद ही अक्टूबर 2023 में फर्जी प्रमाण पत्र मामले में फिर से जेल लौटना पड़ा।
यानी, सियासी गलियारों में उनकी मौजूदा रिहाई को लेकर जितनी खुशी है, उतनी ही चिंता भी। सवाल वही है—आज़म खान कितने दिन जेल से बाहर रह पाएंगे?