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Sitapur: अन्नीपुर के अंधेरे में बुझते सपने,बिजली न होने से टूट रही शादियां, मोमबत्ती में जलता भविष्य

Sitapur News: सीतापुर के अन्नीपुर गांव की जिंदगी आज भी अंधेरों में कैद है। आजादी के 78 साल बाद भी यहां बिजली नहीं पहुंची। बच्चे मोमबत्ती में पढ़ते हैं, युवाओं की शादियां टूट रही हैं और बहुएं गांव छोड़ने को मजबूर हैं। विकास के दावे यहां सिर्फ कागज़ों में दिखाई देते हैं।

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विकास की रोशनी से कोसों दूर अन्नीपुर, आज भी बिजली नहीं; बहुएं छोड़ रहीं गांव (फोटो सोर्स : Whatsapp News Group)

विकास की रोशनी से कोसों दूर अन्नीपुर, आज भी बिजली नहीं; बहुएं छोड़ रहीं गांव (फोटो सोर्स : Whatsapp News Group)

78 Years After Independence, UP Village Still Lives in Darkness: आजादी के 78 वर्ष गुजर जाने के बाद भी विकास की रोशनी कई गांवों तक नहीं पहुंची है। सीतापुर जिले की महमूदाबाद तहसील से मात्र 14 किलोमीटर दूर बसे अन्नीपुर गांव की कहानी भी कुछ ऐसी ही है,एक ऐसा गांव, जहां आज भी लोगों की रातें ढिबरी और मोमबत्ती की लौ के सहारे कटती हैं, बच्चे अंधेरे में पढ़ते हैं और युवाओं की शादियां सिर्फ इसलिए टूट रही हैं क्योंकि गांव में बिजली नहीं है। देश के तमाम गांवों में जहां प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना, विद्युत वितरण सुधार और स्मार्ट मीटर की चर्चा आम है, वहीं अन्नीपुर जैसे गांव आज भी 1950 के दौर जैसा जीवन जीने को मजबूर हैं। ग्रामीणों का दर्द, उनकी बेबसी और व्यवस्था की उदासीनता इस गांव को ‘विकास से वंचित’ की श्रेणी में खड़ा करती है।

14 किलोमीटर की दूरी, 78 साल की प्रतीक्षा

अन्नीपुर के ग्रामीण बताते हैं कि अधिकारियों ने वर्षों से गांव को सिर्फ आश्वासन ही दिया है। चुनाव आते ही विद्युतीकरण का मुद्दा हवा में उड़ता है, पर चुनाव बीतते ही प्रशासन की जेब से बिजली का वादा गायब हो जाता है। ग्रामीणों के अनुसार, करीब 12 साल पहले बिजली के खंभे गांव में गिराए तो जरूर गए, लेकिन वे आज तक खड़े नहीं हुए। तार नहीं बिछाए गए, मीटर नहीं लगे और गांव पूरी तरह अंधेरे में डूबा रहा।

बिजली न होने से लड़कों की शादियां टूट रहीं

अन्नीपुर निवासी कुसुमल ने अपने दर्द को साझा करते हुए कहा कि बिजली नहीं होने से लड़के के लिए रिश्ता मिलना ही मुश्किल हो जाता है। हमारे बेटे की शादी भी बड़ी मुश्किल से हुई। शादी में कूलर, फ्रिज, टीवी, पंखा सब मिला, लेकिन गांव में बिजली न होने के कारण वे सब शोपीस बनकर रह गए। बहू बेटा शादी के बाद लखनऊ में रहने लगे। कौन बहू अंधेरे में गांव में रहेगी। गाँव के कई युवक शादी के बाद अपनी पत्नियों को लेकर शहरों में बस गए। वहीं जिनकी शादी नहीं हुई, उनके प्रस्ताव बिजली के अभाव में बार-बार ठुकरा दिए जाते हैं।

“अफसर बिजली का वादा जेब में लाते हैं और जेब में ले जाते हैं”

ग्रामीण मोहम्मद जमाल  का दर्द कुछ इस तरह उभरता है कि जिस दिन चुनाव होता है, उस दिन अधिकारी बिजली का आश्वासन लेकर आते हैं। चुनाव खत्म होता है तो वही आश्वासन फिर उनकी जेब में चला जाता है। गांव के लड़कों की शादी नहीं हो पा रही। जिनकी शादी हो गई, उनके सामान पर जंग लग रहा है।

मोमबत्ती की लौ में पढ़ाई, बोर्ड परीक्षा के छात्र परेशान

अन्नीपुर में इस समय बोर्ड और परिषदीय परीक्षाओं की तैयारी का समय है। बच्चों के पास सिर्फ मोमबत्ती या ढिबरी की रोशनी ही सहारा है। ग्रामीण जयंतीलाल बताते हैं कि शाम होते ही पूरा गांव अंधेरे में डूब जाता है। बच्चे मोमबत्ती के सहारे पढ़ते हैं, इससे आंखों पर भी बुरा असर पड़ता है। स्कूल में बल्ब-पंखे तो लगे हैं, पर कभी किसी ने उन्हें जलता हुआ नहीं देखा। ग्राम निवासी मुकेश वर्मा कहते हैं कि  बच्चे रात में पढ़ते हैं तो ढिबरी ही रास्ता दिखाती है। महिलाओं और बच्चों को अंधेरे में बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। गर्मी में तो हालत और दयनीय होती है।” ग्रामीण नीलम बताती हैं कि सरकार ने केरोसिन भी बंद कर दिया है। अब वैकल्पिक तरीके से उजाला करना पड़ता है। हर तरफ अंधेरा ही अंधेरा है। लड़कों की शादी भी इसी वजह से टूट जाती है।

गांव में सरकारी भवन हैं, पर रोशनी किसी में नहीं

अन्नीपुर गांव में प्राथमिक विद्यालय, एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र सहित कुछ सरकारी भवन जरूर बने हुए हैं। लेकिन बिजली के बिना इन भवनों का उपयोग सिर्फ दिन में ही संभव है।रात होते ही सन्नाटा और अंधेरा हावी हो जाता है।

राजनीति में मुद्दा, जमीन पर समाधान नहीं

गांव के लोग बताते हैं कि आजादी के बाद से लेकर अब तक हर चुनाव में विद्युतीकरण बड़ा मुद्दा रहा है। उम्मीदवार आते हैं, आश्वासन देते हैं, पर चुनाव जीतने के बाद सब भूल जाते हैं। गांव के बुजुर्ग अफसर जहां कहते हैं कि हमने अपनी जिंदगी बिजली के बिना ही काट दी। अब हमारे बच्चों का भविष्य भी इसी अंधेरे में घिरा हुआ है। न बिजली, न सड़क, न रोजगार,हम इस गांव में किस उम्मीद से रहें। 

लोगों का पलायन बढ़ा, गांव उजड़ने की कगार पर

बिजली न होने के कारण गांव की बहुएं मायके चली जाती हैं या पति के साथ शहर में रहने पर मजबूर हो जाती हैं। इस कारण गाँव की आबादी तेजी से घट रही है। 45 घरों वाला यह गांव धीरे-धीरे खाली होता जा रहा है।

प्रशासन का जवाब: “सर्वे चल रहा, जल्द विद्युतीकरण होगा”

महमूदाबाद विद्युत वितरण खंड के अधिशासी अभियंता एस. के. वर्मा ने बताया कि अन्नीपुर गांव के विद्युतीकरण की योजना प्रस्तावित है। गांव का सर्वे कराया जा रहा है। विस्तृत प्रस्ताव तैयार कर उच्चाधिकारियों को भेजा जाएगा। प्रक्रिया पूरी होते ही गांव का विद्युतीकरण करा दिया जाएगा।”

  • ग्रामीणों की नजरें अब इसी आश्वासन पर टिकी हैं।
  • अन्नीपुर गांव- एक नजर आंकड़ों में
  • गांव का नाम: अन्नीपुर
  • विकास खंड: रामपुर मथुरा
  • तहसील: महमूदाबाद
  • दूरी तहसील मुख्यालय से: 14 किलोमीटर
  • घर: 45
  • जनसंख्या: लगभग 700
  • सरकारी भवन: प्राथमिक विद्यालय, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र आदि