जमवाय माता मंदिर में दूर दराज के श्रद्धालु आते हैं। मंदिर में जात-जडूले लगते है। नवरात्रा समेत अन्य धार्मिक आयोजनों के दौरान देश-विदेश में बसे यहां के लोग आराधना करने आते हैं। माता का मंदिर 560 बीघा के जोहड़ में बना हुआ है।
1727 वर्ष पहले भोड़की के धमाणाजोहड़ में जमवाय माता का मंदिर बना था। जिसकी आज भी देश के साथ विदेश में भी लोग पूजा करते है। 1727 वर्ष पहले धनावता में धामा और केतुराम नाम के दो भाई रहते थे। दोनों जमवाय माता के उपासक थे। धमाराम ने 1727 वर्ष पहले धमाणाजोहड़ में एक तालाब बनवाया था। जिसके 52 कदम दक्षिण में माता जमवाय की मूर्ति प्रकट हुई थी। उसके बाद वहां पर मंदिर का निर्माण कराया गया। जिसके टीकूराम जांगिड़ भगत हुए। जमवाय माता मंदिर में धीरे धीरे लोग आने लगे आज माता का भव्य मंदिर बन गया है। जिसमे दूर दराज के श्रद्धालु आते है। मंदिर में जात जडूले लगते है। भोड़की सहित आस पास के लोग जो विदेशों में रहते है। वो भी जमवाय माता की पूजा आराधना करते है। माता का मंदिर 560 बीघा के जोहड़ में बना हुआ है।
भोड़की में जमवाय माता का मंदिर मे करीब 150 के लगभग पक्के मकान सहित हजारों फीट टीन शेड लगे हुए है। नवरात्रों में मंदिर में इतनी श्रद्धालुओं की इतनी भीड़ होती है कि मंदिर छोटा पड़ जाता है। सचिव नेमीचंद जांगिड़ ने बताया कि नवरात्रों में दोनों समय पूजा आरती होती है एवं भंडारा चलता है। आठवें नवरात्रे के दिन माता की कलश यात्रा भोड़की गांव से निकलती है। नौवे नवरात्रे को माता के भोग लगेगा। जांगिड़ ने बताया कि इस बार 11 अक्टूबर को भजन संध्या का आयोजन होगा। जिसमें सूरत के प्रसिद्ध गायक कलाकार भजनों की प्रस्तुति देंगे।
नवरात्रों में अष्टमी की शाम को गांव से गढ़वाल और जांगिड़ समाज की अगवानी में सपूर्ण गांव के लोग पदयात्रा से निशान लेकर डीजे ओर चंग की धुन पर नाचते गाते मंदिर में आते है। मंदिर में निशान चढ़ने के बाद ही मंदिर में कार्यक्रम शुरू होते है। जमवाय माता का मेला दो रोज तक भरता है। इसके साथ ही काफी श्रद्धालु मंदिर में बैठ कर नवरात्रे भी करते है। जो नो दिन तक माता के मंदिर में ही रहते है।
मंदिर के पास ही जमवाय माता अतिथि भवन बना है। जिसमे नवरात्रों में मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए निशुल्क सेवा रहती है। जिसका संचालन जमवाय माता चैरिटेबल ट्रस्ट की और से होता है। ट्रस्टी दिलीप केजड़ीवाल ने बताया कि अतिथि भवन मंदिर में आने वाले सभी श्रद्धालुओं के लिए निशुल्क रहता है।