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भारत और श्रीलंका को आपस में जोड़ने के लिए समुद्र में पुल बनाने की तैयारी

भारत और श्रीलंका को आपस में जोड़ने के लिए समुद्र में पुल बनाने की तैयारी हो रही है। भारत और श्रीलंका के बीच प्रस्तावित भूमि संपर्क को लेकर अध्ययन अंतिम चरण में है। फिजीबिलिटी स्टेडी (व्यवहार्यता अध्ययन) का प्रारंभिक कार्य पूरा हो चुका है और अंतिम चरण जल्द ही पूरा हो जाएगा।

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Jun 21, 2024

विदेश मंत्री एस. जयशंकर की श्रीलंका की यात्रा के दौरान हो सकती है अहम बातचीत

भारत और श्रीलंका को आपस में जोड़ने के लिए समुद्र में पुल बनाने की तैयारी हो रही है। भारत और श्रीलंका के बीच प्रस्तावित भूमि संपर्क को लेकर अध्ययन अंतिम चरण में है। फिजीबिलिटी स्टेडी (व्यवहार्यता अध्ययन) का प्रारंभिक कार्य पूरा हो चुका है और अंतिम चरण जल्द ही पूरा हो जाएगा।

इस प्रस्ताव में भारत से श्रीलंका के त्रिंकोमाली और कोलंबो बंदरगाहों तक भूमि संपर्क बनाना शामिल है। अगर भारत और श्रीलंका के बीच पुल बनता है तो यह रामायण काल के बाद पहली बार होगा। धार्मिक ग्रंथ रामायण में वर्णन है कि भगवान राम ने श्रीलंका जाने के लिए समुद्र पर पुल बनाया था, जिसे रामसेतु के नाम से जाना जाता है। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर श्रीलंका की यात्रा पर हैं और माना जा रहा है कि इस दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच पुल बनाने की संभावना पर अहम बातचीत होने वाली है। भारत सरकार तमिलनाडु के धनुषकोडी को तमिल ईलम के तलाईमन्नार से जोड़ने वाले 23 किलोमीटर लंबे पुल के निर्माण के लिए व्यवहार्यता पर अध्ययन कर रही है। तमिल ईलम वो क्षेत्र है, जिसको लेकर श्रीलंका में रहने वाले तमिल समुदाय के लोग एक स्वतंत्र राज्य बनाने की मांग करते हैं और इस क्षेत्र को लेकर श्रीलंका गृहयुद्ध की आग में भी झुलस चुका है। इस पुल को लेकर जो प्लान प्रस्तावित है, उसके तहत भारत और श्रीलंका के बीच त्रिंकोमाली और कोलंबो के बंदरगाहों तक संपर्क बनाने को लेकर दोनों देशों में हुए समझौते की उपज है।

दोनों देशों के बीच ये समझौता पिछले साल जुलाई में श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे की दिल्ली यात्रा के दौरान हुआ था। हैदराबाद हाउस में बातचीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विक्रमसिंघे ने चार समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे, जिनमें से एक का उद्देश्य श्रीलंका के त्रिंकोमाली बंदरगाह को उद्योग और ऊर्जा के लिए एक क्षेत्रीय केंद्र में बदलना था। 21 जुलाई को द्विपक्षीय चर्चा में विक्रमसिंघे और मोदी ने न केवल बंदरगाहों के लिए, बल्कि हवाई, समुद्री, व्यापार और ऊर्जा के क्षेत्रों में भी भूमि संपर्क के लिए फिजीबिलिटी स्टेडी करने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की थी। भारतीय विदेश मंत्रालय ने पुल के लिए व्यवहार्यता अध्ययन शुरू करने की योजना की रूपरेखा तैयार की है, जिसमें आगे बढ़ने से पहले व्यापक योजना बनाने की अपनी प्रतिबद्धता पर जोर दिया गया है।

पुल बनाने में आएगा भारी खर्च

सबसे बड़ी बात ये है कि भारत और श्रीलंका के बीच पुल बनाने के लिए भारी खर्च आएगा और सबसे पहले स्टडी इस बात को लेकर हो रही है कि अगर भारी भरकम राशि खर्च कर पुल बना भी लिया जाता है, तो क्या वो फलदायी होगा? लंबे समुद्री पुल के लिए बहुत ज्यादा धन की जरूरत होगी लेकिन यह द्विपक्षीय व्यापार के लिए वरदान साबित होगा। लेकिन इसके लिए सरकार को तकनीकी, आर्थिक और पर्यावरणीय पहलुओं का मूल्यांकन करना होगा, ताकि यह देखा जा सके, कि यह व्यवहार्य है या नहीं।

तो साकार होगा रामसेतु

धनुषकोडी और तलाईमन्नार के बीच समुद्री पुल का प्रस्ताव दो दशकों से चर्चा का विषय रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, अगर वाकई पुल का निर्माण होता है, तो उसे हनुमान ब्रिज या राम सेतु का नाम दिया जा सकता है। जो भारतीय इतिहास के उस अध्याय से लिया गया है, जिसमें भगवान राम ने श्रीलंका तक पहुंचने के लिए वानरों की मदद से रामसेतु का निर्माण करवाया था।

23 किलोमीटर का राजमार्ग बनाने की योजना

दोनों देशों के बीच 23 किलोमीटर का एक राज्यमार्ग बनाने की योजना है। यह रास्ता पाक स्ट्रेट के ऊपर से होता हुआ भारत के रामेश्वरम को श्रीलंका के तलाईमन्नार से जोड़ेगा। रामेश्वरम तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में है जो भारत के मुख्य भूभाग से अलग पम्बन द्वीप पर स्थित है। पम्बन सेतु, द्वीप को भारत के मुख्य भूभाग से जोड़ता है। तलाईमन्नार श्रीलंका के मन्नार द्वीप में स्थित है। इस मार्ग पर सड़क के अलावा दोनों देशों के बीच एक रेल लाइन भी बिछाई जाएगी।

Published on:
21 Jun 2024 01:11 am
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