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प्रशासन पीछे हटा, युवा आगे आए, ताकी पशु प्यासे नहीं मरे

जिले के कालामाल में पारंपरिक जल स्रोत समय से पहले सूख चुके है। लोग तो जैसे तैसे पेयजल का जुगाड़ कर रहे है। पशुओं के सामने समस्या गहराने पर मवेशी रखने वाले प्रति परिवार से तीन सौ रुपए एकत्र किए गए है। इस राशि से गांव स्थित एक गड्ढे में प्रतिदिन एक टैंकर पानी डाला जा रहा है, जिस पशुपालक मवेशी लाकर पानी पिला रहे है।

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Apr 23, 2024
हिण्डोली. पशुओं के लिए टैंकर से गड्ढे में पानी डालते हुए।

हिण्डोली. जिले के कालामाल में पारंपरिक जल स्रोत समय से पहले सूख चुके है। लोग तो जैसे तैसे पेयजल का जुगाड़ कर रहे है। पशुओं के सामने समस्या गहराने पर मवेशी रखने वाले प्रति परिवार से तीन सौ रुपए एकत्र किए गए है। इस राशि से गांव स्थित एक गड्ढे में प्रतिदिन एक टैंकर पानी डाला जा रहा है, जिस पशुपालक मवेशी लाकर पानी पिला रहे है।

कालामाल गांव में भूजल स्तर गहराने से यहां पर बोरिंग व हैण्डपंपों में पानी रीत गया है। गांव के निकट कुछ बोरिंग में पानी होने से गांव के महिला पुरुष सुबह होते ही वहां पर पानी भरने जाते हैं, लेकिन पशुओं के लिए पानी की व्यवस्था कौन करें,सबसे बड़ी समस्या आ रही है।

जलदाय विभाग टैंकरों से जल परिवहन लोगों के लिए करवाता है।यहां पर पशुओं के लिए कोई प्रावधान नहीं है। यहां पर प्रति व्यक्ति 10 लीटर पानी की व्यवस्था से जल वितरण होता है। पशुओं के लिए क्या व्यवस्था हो सकती हैं उच्च अधिकारियों से मार्गदर्शन लेना होगा। ऐसे ग्राम पंचायत की जिमेदारी रहती है कि उनके स्तर पर गांव में बनी पशुओं के लिए खेळ भरे।
नवीन नागर, कार्यवाहक सहायक अभियंता जलदाय विभाग।

गांव में खाली पड़ी खेळ को भरने का जिमेदारी जलदाय विभाग के अधिकारियों की होती है, जिस गांव में पानी कि एक टैंकर भेजा जाए, आधा टैंकर ग्रामीणों को पीने के लिए व आधा टैंकर खेळ को भरने के लिए डाले। पंचायत समिति के पास खेळ भरवाने का कोई प्रयोजन नहीं है।
पीयुष जैन, कार्यवाहक विकास अधिकारी पंचायत समिति हिण्डोली।

Published on:
23 Apr 2024 04:56 pm
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