श्री गंगानगर

बीकानेर संभाग: कांग्रेस जिलाध्यक्षों में गहलोत समर्थकों का बोलबाला

-संभाग की राजनीति में गहलोत का जलवा और रुतबा बरकरार

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कांग्रेस पार्टी का चुनाव चिन्ह

श्रीगंगानगर. कांग्रेस जिलाध्यक्षों की घोषणा होने के बाद बीकानेर संभाग में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खेमे में खुशी का माहौल है, वहीं पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के नेतृत्व में प्रदेश और खुद का राजनीतिक भविष्य देख रहे कांग्रेसी नेता इन नियुक्तियों के बाद मायूस हैं। संभाग के पांच नवनियुक्त जिलाध्यक्षों में बीकानेर शहर के जिलाध्यक्ष ही एकमात्र ऐसे चेहरे हैं, जिनके प्रति पायलट का सॉफ्ट कॉर्नर रहा है। चार जिलाध्यक्ष तो गहलोत की पसंद के हैं।
शुरुआत बीकानेर जिले से करें तो वहां शहर और देहात के लिए जिलाध्यक्ष के अलग-अलग पद हैं। बीकानेर देहात जिलाध्यक्ष पद पर बिशनाराम सियाग की दूसरी बार ताजपोशी हुई है। सियाग गहलोत खेमे से माने जाते हैं। गहलोत के प्रति उनकी गहरी निष्ठा रही है। गहलोत सरकार की राइट टू हेल्थ बिल सहित अन्य योजनाओं के समर्थन में उन्होंने सक्रिय रैलियां निकाल कर अपनी निष्ठा साबित की थी।
बीकानेर शहर कांग्रेस जिलाध्यक्ष पद पर पूर्व ब्यूरोक्रेट्स मदन गोपाल मेघवाल की नियुक्ति हुई है।मेघवाल के प्रति पायलट का सॉफ्ट कॉर्नर तो रहा ही है, उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में इनका प्रचार भी किया था। दूसरी ओर 2019 के चुनाव में बीकानेर संसदीय क्षेत्र से मेघवाल को कांग्रेस का टिकट गहलोत के शासन काल में ही मिला था। इस लिहाज से इन्हें संतुलन बनाकर चलने वाला चेहरा माना जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। श्रीगंगानगर के नए जिलाध्यक्ष रूपिंदर सिंह कुन्नर के पिता पूर्व मंत्री दिवंगत गुरमीत सिंह कुन्नर के गहलोत से अच्छे संबंध रहे हैं। चुनाव प्रक्रिया के दौरान गुरमीत सिंह कुन्नर का निधन होने के बाद हुए चुनाव में उनके बेटे रूपिंदर सिंह कुन्नर को भाजपा के सुरेन्द्र पाल सिंह टीटी के सामने उतारा गया। टीटी को चुनाव से पहले ही मंत्री बना दिया गया था। इसके बावजूद वह जीत नहीं पाए। जीत रूपिंदर कुन्नर की ही हुई। जहां तक रूपिंदर कुन्नर की राजनीति का सवाल है तो यह उन्हें पिता से विरासत में मिली। कुन्नर को गहलोत के साथ-साथ पायलट का समर्थक भी माना जाता है।

हनुमानगढ़ में जिलाध्यक्ष का सेहरा नए चेहरे मनीष मक्कासर के सिर बंधा

हनुमानगढ़ में जिलाध्यक्ष का सेहरा नए चेहरे मनीष मक्कासर के सिर बंधा है। इनके दादा हरिराम मक्कासर बीकानेर लोकसभा क्षेत्र से जनता पार्टी के सांसद रह चुके हैं। प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के करीबी होने कारण इन्हें सचिव बनाया गया। इस नाते गहलोत से भी इनकी नजदीकी रही। इनकी पहचान स्थानीय गुटबाजी में संतुलन साधने वाले नेता के रूप में रही है। हनुमानगढ़ में कांग्रेस के भीतर कई गुट सक्रिय थे। मक्कासर की नियुक्ति को एक सर्वमान्य चेहरे के तौर पर देखा जा रहा है जो स्थानीय स्तर पर सभी को साथ लेकर चल सके।

चूरू जिले में जिलाध्यक्ष पद पर नए चेहरे मनोज मेघवाल की नियुक्ति

चूरू जिले में जिलाध्यक्ष पद पर नए चेहरे मनोज मेघवाल की नियुक्ति हुई है। ये दिग्गज कांग्रेसी नेता और पूर्व मंत्री दिवंगत मास्टर भंवरलाल मेघवाल के बेटे हैं। यह स्पष्ट रूप से गहलोत खेमे के हैं। उनके पिता भी गहलोत के काफी करीबी रहे हैं। मनोज मेघवाल सुजानगढ़ से मौजूदा विधायक हैं। अपने पिता की विरासत को संभालने और क्षेत्र में मजबूत पकड़ होने के कारण उन्हें यह जिम्मेदारी दी गई है।

कई समीकरण साधे

  • दिवंगत नेताओं को सम्मान- श्रीगंगानगर से रूपिंदर सिंह कुन्नर और चूरू से मनोज मेघवाल को विधायक होते हुए भी जिलाध्यक्ष बनाकर पार्टी ने दिवंगत नेताओं गुरमीत सिह कुन्नर व मास्टर भंवरलाल मेघवाल की विरासत को सम्मान दिया है।
  • रामेश्वर डूडी का सम्मान- बीकानेर देहात में बदलाव नहीं करके पार्टी ने संकेत दिया है कि वह डूडी परिवार और उनके समर्थकों को नाराज नहीं करना चाहती।
  • जातिगत संतुलन: पूरे संभाग में जाट-सिख (बिशनाराम, रूपिंदर कुन्नर,मनीष मक्कासर) और एससी मेघवाल (मदन गोपाल, मनोज मेघवाल) नेताओं को जिलाध्यक्ष बनाया गया है, जो कांग्रेस का पारंपरिक वोट बैंक है।
Published on:
23 Nov 2025 10:18 pm
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