Big Cyber Crime: राजस्थान के श्रीकरणपुर का एक आम आदमी साइबर अपराधियों की चाल में बुरी तरह फंस गया जिसके बाद उसने केंद्रीय सतर्कता आयोग को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की।
Rajasthan Man Request For Euthanasia: 'करें कोई… भरे कोई' ये कहावत जिले के श्रीकरणपुर निवासी संजीव कुमार अरोड़ा के मामले में सटीक बैठती है। व्यक्तिगत दस्तावेजों को ऑनलाइन करना और साइबर ठगों से उन्हें सुरक्षित न रख पाने की गलती संजीव को इतनी भारी पड़ी कि 22 राज्यों की पुलिस उससे पूछताछ कर चुकी है।
लाखों-करोड़ों की साइबर ठगी के मामले में आए दिन पुलिस पूछताछ में अपनी बेगुनाही के सबूत देते-देते संजीव इतना थक चुका है कि उसने केंद्रीय सतर्कता आयोग को पत्र भेजकर इच्छा मृत्यु की मांग की है।
संजीव ने बताया कि साइबर अपराधी उसके दस्तावेजों में बनी व्यावसायिक फर्मों का फर्जी लोगो लगाकर भेजते हैं और विश्वास में लेकर फर्जी बैंक खातों में पैसा ट्रांसफर करवा लेते हैं। इसके बाद संपर्क कटने पर पीड़ित पक्ष मुझ पर मामला दर्ज कराता है तो पुलिस मेरे घर पहुंच जाती है।
वह राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, गोवा, यूपी, झारखंड, बिहार, जम्मू-कश्मीर, मेघालय व हिमाचल सहित अन्य कई राज्यों की पुलिस का सामना कर चुका है। उसके दस्तावेजों से ठगी के मामलों में हरियाणा के नूंह, विजयमंदिर (अलवर) व प्रतापनगर (जयपुर) में थानों में दर्ज मुकदमों में आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं। संजीव का कहना है कि उक्त आरोपियों से सख्ती से पूछताछ हो तो साइबर गिरोह की जड़ों तक पहुंचा जा सकता है।
गत 13 मार्च को संजीव की ओर से दर्ज कराए गए मामले की जांच साइबर थाना श्रीगंगानगर द्वारा की जा रही है। हाल ही में 12 नवंबर को बिहार ग्रामीण, झारखंड ग्रामीण व पंजाब-सिंध बैंक में उसके नाम के फर्जी खाते खोलने और करोड़ों रुपए जीएसटी का टर्नओवर करने वाली फर्मों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू की है।
रामप्रताप वर्मा, थानाधिकारी, श्रीकरणपुर
संजीव ने पुलिस को बताया कि उसके दस्तावेजों से जयपुर, गुजरात, झारखंड व बिहार आदि जगहों पर फर्जी बैंक खाते खोले गए और कई राज्यों में ठगी की गई। यही नहीं, विभिन्न फाइनेंस, शॉपिंग व ऑनलाइन बाजार से जुड़े व्यवसायों के लिए उसके
दस्तावेजों का इस्तेमाल किया जा रहा है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में उसके नाम से महाराष्ट्र व गुजरात में तीन जीएसटी फर्में बनाकर करीब 20 करोड़ रुपए का लेन-देन कर लिया गया। कई वाहन खरीदे जा चुके हैं, लेकिन उसे इस बारे में कुछ नहीं पता।
केंद्र व ई-मित्र कियोस्क चलाने वाले वार्ड 9 निवासी संजीव कुमार अरोड़ा (34) के साथ जो हुआ, वह ठगों पर बनी किसी फिल्म से कम नहीं। वर्ष 2019 में अज्ञात व्यक्ति ने संजीव के मेल आईडी हैक कर ली। उसकी मेल आईडी से चुराए गए आधार कार्ड, पैन कार्ड व वोटर कार्ड आदि दस्तावेजों का इस्तेमाल कर साइबर ठगी का सिलसिला शुरू हुआ।