टीकमगढ़ बारिश हो या सामान्य मौसम, जिले में नदी, नालों पर बने बगैर रेलिंग वाले पुल हर समय खतरे का कारण बने हुए है। सुरक्षा इंतजामों के अभाव में इन पुलों से गुजरना आमजनों के लिए जोखिम भरा हो गया है। हल्की सी लापरवाही, तेज रफ्तार या वाहन के अनियंत्रित होते ही बड़ा हादसा हो […]
टीकमगढ़ बारिश हो या सामान्य मौसम, जिले में नदी, नालों पर बने बगैर रेलिंग वाले पुल हर समय खतरे का कारण बने हुए है। सुरक्षा इंतजामों के अभाव में इन पुलों से गुजरना आमजनों के लिए जोखिम भरा हो गया है। हल्की सी लापरवाही, तेज रफ्तार या वाहन के अनियंत्रित होते ही बड़ा हादसा हो सकता है।
विशेषकर रात के समय, कोहरा या कम रोशनी होने पर पुलों के किनारे स्पष्ट संकेत न होने से वाहन चालकों को स्थिति का सही अंदाजा नहीं लग पाता। दोपहिया वाहन चालक, साइकिल सवार और पैदल राहगीर सबसे अधिक खतरे में रहते है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि कई बार शिकायतों और दुर्घटनाओं के बावजूद जिम्मेदार विभागों ने अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं किया। लोगों की मांग है कि किसी बड़ी अनहोनी का इंतजार किए बिना सभी जोखिम भरे पुलों पर तुरंत सुरक्षा रेलिंग, रिफ्लेक्टर और चेतावनी संकेत लगाए जाएं।
टीकमगढ़ से छतरपुर जिले को जोडऩे वाली मुख्य सडक़ पर उर नदी करमासन घाट के पास बहती है। इस मार्ग पर दो प्रमुख नदियां पड़ती है। पहली धसान नदी खरीला के पास और दूसरी उर नदी करमासन घाट के पास। करमासन घाट स्थित पुल पर आज तक सुरक्षा के कोई ठोस इंतजाम नहीं किए गए है। यहां से गुजरने वाले राहगीरों और वाहन चालकों की जान हर समय जोखिम में रहती है। समय के साथ इस पुल की उपयोगिता और यातायात दोनों बढ़ते गए, लेकिन सुरक्षा व्यवस्था की ओर जिम्मेदार विभागों का ध्यान अब तक नहीं गया।
नगरपालिका क्षेत्र के पुरानी टेहरी स्थित बंडा नाला पुल पर कई बार दुर्घटनाएं हो चुकी है। इसके बावजूद प्रशासन की नींद नहीं खुली। सुरक्षा रेलिंग और चेतावनी संकेतों के अभाव में यह पुल लगातार हादसों को दावत दे रहा है। तेज रफ्तार वाहनए संकरी संरचना और किनारों पर रेलिंग न होने के कारण वाहन अक्सर अनियंत्रित होकर दुर्घटनाग्रस्त हो जाते है। इससे आमजन में भय और आक्रोश दोनों बढ़ता जा रहा है।
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चंदेरा रोड स्थित सपरार नदी पर बना पुल भी आज तक सुरक्षा रेलिंग से वंचित है। इस पुल से सैकड़ों गांवों के लोगों की रोजमर्रा की आवाजाही होती है। ग्रामीण अंचलों को शहर से जोडऩे वाला यह प्रमुख मार्ग होने के बावजूद सुरक्षा इंतजामों की अनदेखी की जा रही है। पुल से स्कूली बच्चे, किसान, मजदूर और भारी वाहन बड़ी संख्या में गुजरते है। रेलिंग न होने के कारण वाहन के अनियंत्रित होते ही सीधे नदी में गिरने का खतरा बना रहता है।
जिले की नदियों पर पीडब्ल्यूडी, एमपीआरडीसी के साथ अन्य विभागों ने पुल निर्माण किए है। उन पुलों पर रेलिंग नहीं है। साथ ही नगरपालिका और ग्रामीण क्षेत्रों के नालों की भी स्थिति यही है तो संबंधित विभागों को निर्देश दिए जाएंगे। जल्द ही सुरक्षा को लेकर रेलिंग लगाई जाएगी।