टीकमगढ़. जिले में आंगनबाड़ी और शासकीय स्कूलों में संचालित मध्यान्ह भोजन योजना की जमीनी हकीकत सरकारी कागजों की पोल खोल रही है। जांच में खुलासा हुआ कि करीब 20 स्कूलों में मृत भूत रसोइयों के नाम पर मध्यान्ह भोजन दिखाया जा रहा है, जबकि 60 से 95 वर्ष तक की उम्र की महिलाएं कागजों में […]
टीकमगढ़. जिले में आंगनबाड़ी और शासकीय स्कूलों में संचालित मध्यान्ह भोजन योजना की जमीनी हकीकत सरकारी कागजों की पोल खोल रही है। जांच में खुलासा हुआ कि करीब 20 स्कूलों में मृत भूत रसोइयों के नाम पर मध्यान्ह भोजन दिखाया जा रहा है, जबकि 60 से 95 वर्ष तक की उम्र की महिलाएं कागजों में रसोइया बनी हुई है और हर महीने 4 हजार रुपए मानदेय दर्शाया जा रहा है।
सरकारी जांच रिपोर्ट के अनुसार जिले में करीब 250 रसोइया समूह ऐसे है, जिनमें शामिल महिलाओं की उम्र 60 से 95 वर्ष तक दर्ज है। हैरानी की बात यह है कि करीब 60 रसोइया परिवार का भरण पोषण करने के लिए महानगरों में पलायन कर चुकी है। इसके बावजूद स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्रों में उपस्थिति पंजी में उनके नाम नियमित दर्ज किए जा रहे है। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इन मृत और अनुपस्थित रसोइयों के नाम से वेतन भुगतान हुआ या नहीं, इसकी जांच जारी है।
बल्देवगढ़ विकास स्रोत केंद्र के समन्वयक द्वारा जिला पंचायत को भेजे गए पत्र में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए है। भेलसी की पाठशाला में पार्वती स्व.सहायता समूह की रसोइया रतिबाईरैकवार की मृत्यु 20 अगस्त को हो चुकी है। सुहागी पाठशाला में बगाज माता महिला समूह की रसोइया परमीरैकवार का निधन 2 जुलाई को हो गया। सरकनपुर की एक शाला एक परिसर में मां भागवती महिला समूह की प्रेमबाई रैकवार की मृत्यु 16 अगस्त और अहार खुशीपुरा स्कूल में नैयना महिला समूह की रामकुंवर लोधी का निधन जून माह में हो गया और कागजों में भूत बनकर बच्चों के लिए भोजन बना रही है।
जिले के टीकमगढ़, जतारा, पलेरा और बल्देवगढ़ विकासखंड के कई स्कूलों में उम्रदराज रसोइयों की सूची भी चौंकाने वाली है। बल्देवगढ़ स्कूल में रसोइया नौनी बाई चौरसिया 95 वर्ष, कछयात स्कूल की रसोइया रामकुंवर ठाकुर 89 वर्ष, कडराई स्कूल की रसोइया सुखबती विश्वकर्मा 70 वर्ष, देरी स्कूल की रसोइया रामकली रैकवार 74 वष, कछियाखेरा स्कूल की रसोइया मुन्नी बाई कुशवाहा 64 वर्ष, नयाखेरा स्कूल की रसोइया पुनिया कुशवाहा 69 वर्ष, भेलोनी स्कूल की रसोइया कुसुम बाई घोष 75 वर्ष की है। इसी तरह १७० के करीब है। जो अपने हाथों से स्वयं का पेट नहीं भर पा रही है। वह स्कूलों के समूहों में रसोइया बनकर ५० से अधिक बच्चों का प्रतिदिन मध्यान्ह भोजन बना रही है।
सूत्रों के मुताबिक कई स्कूलों में मध्यान्ह भोजन सिर्फ रजिस्टरों में पक रहा है। उपस्थिति, भोजन वितरण और रसोइयों की जानकारी कागजों में पूरी दिखाई जाती है, जबकि मौके पर निरीक्षण में सच्चाई इसके उलट मिली। जिला पंचायत में पदस्थ मध्यान्ह भोजन प्रभारी और शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारी एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर पल्ला झाड़ते नजर आ रहे है।
जिले के स्कूलों में संचालित स्वसहायता समूहों में २५० के करीब ऐसी रसोइयां है। जो उम्र दराज, मृत और भरण पोषण के लिए पलायन कर गए है। इनकी सूची टीकमगढ़, बल्देवगढ़, पलेरा और जतारा के बीआरसी ने सौंप दी है। अभी रसोइयों का भुगतान नहीं हुआ है। जिनका भुगतान हुआ है। उनकी जांच की जा रही है।