Rajasthan Liquor : राजस्थान के आबकारी विभाग के सरकारी आंकड़ों में इन जिलों से राजस्थान की सबसे ज्यादा अंग्रेजी शराब बेची जा रही है। पर हकीकत के बारे में सरकार में बैठे मंत्री से लेकर विभाग के अधिकारी कोई भी बोलने को तैयार नहीं है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट, जानें हकीकत।
Rajasthan Liquor : उदयपुर कहने को तो जनजातीय इलाके में जहां लोग अंग्रेजी शराब से कोसों दूर हैं, यहां पीने वालों के लिए 'करंट' वाली महुआ ही सबकुछ है। लेकिन सरकारी आंकड़ों में इन जिलों से राजस्थान की सबसे ज्यादा अंग्रेजी शराब बेची जा रही है। असल में यह बिक्री यह नहीं बल्कि गुजरात में तस्करी के रूप में हो रही है। इस हकीकत के बारे में सरकार में बैठे मंत्री से लेकर विभाग के सब अधिकारी जानते हैं, लेकिन राजस्व के चलते कोई भी बोलने को तैयार नहीं है।
तस्करी के गढ़ कहे जाने वाले इन जिलों के उदाहरण बताकर अन्य जिलों के राजस्व का टारगेट पूरा करने का दबाव बनाया जा रहा है। गुजरात बॉर्डर से सटे ये जिले डूंगरपुर, बांसवाडा, प्रतापगढ़, जालोर और सिरोही हैं। यहां से सर्वाधिक शराब गुजरात बॉर्डर से पार हो रही है।
आबकारी विभाग की नजर में डूंगरपुर और जालोर जैसे जिले शराब बिक्री में अव्वल है। डूंगरपुर ने तो 122 प्रतिशत टारगेट पूरा कर पूरे राजस्थान में नंबर वन स्थान हासिल किया है। लेकिन हकीकत यह है कि यहां के लोग अंग्रेजी शराब छूते तक नहीं।
डूंगरपुर, बासवाड़ा व प्रतापगढ़ जनजाति बहुल इलाका है, इन क्षेत्र में रहने वाले लोग अंग्रेजी शराब नहीं पीते। यहां नशा करने वाले अपनी बनाई महुआ की देशी शराब ही पीते हैं। तेज करंट वाली होने से उन्हें दूसरी शराब पसंद नहीं आती।
गुजरात में शराब प्रतिबंधित होने के कारण बॉर्डर से सटे जिलों से सर्वाधिक राजस्थान निर्मित शराब वहां पहुंचती है। इसके अलावा हरियाणा तस्करी के शराब के सर्वाधिक ट्रक भी इन्हीं क्षेत्रों से होकर गुजरते हैं।
गुजरात बॉर्डर से सटे पानरवा थाना क्षेत्र के डैया और अम्बासा गांव की दुकानें तो पगडंडी वाले रास्ते से गुजरात बॉर्डर से महज आठ-नौ किमी की परिधि में है। यहां लाइसेंसी दुकान के पास ही गुजरात का नेटवर्क काम करता है। इस क्षेत्र से राजस्थान की शराब के अलावा हरियाणा से आने वाले अधिकतर ट्रक भी जंगल में खाली होते हैं। वहां से बाद में छोटी लग्जरी गाड़ियों में यह शराब गुजरात पहुंचती है।