विश्व साइकिल दिवस पर विशेष: मजबूत स्टील से लेकर कार्बन फाइबर की साइकिलों तक का सफर
उदयपुर. कुछ दशकों पहले तक बोझ उठाने के काम आने वाली भारी भरकम साइकिलें अब हल्की से हल्की होती जा रही है। पुरानी और भारी साइकिलों को अब पसंद नहीं किया जाता। जबकि नई साइकिलों को लोग फिटनेस के लिए लाते हैं और एक्सरसाइज करने के लिए उपयोग में लेना अधिक पसंद कर रहे हैं। कभी लोहे से बनी 22 किलो तक की साइकिल हुआ करती थी, उसकी तुलना में अब लाखों रुपए की कार्बन फाइबर की साइकिल मात्र 7 किलो वजन की होती है। जिसे आसानी से उठाकर भी चला जा सकता है ।शहर में करीब सवा से डेढ़ लाख साइकिलें हैं। लेकिन इनमें से अधिकतर लोग इनका फिटनेस मेंटेन करने के लिए ही उपयोग करते हैं। साइकिल का आवागमन के लिए उपयोग बच्चे और कुछ लोग ही करते हैं। इनकी संख्या काफी कम ही है। ऐसे में साइकिल रिपेयरिंग की दुकानों की संख्या भी घट गई है।
साइकिल व्यवसायी राहुल डोडेचा ने बताया कि पहले रोड स्टार साइकिलें हुआ करती थी। जो भारी भरकम होती थी। उन्हें कंपनियां बोझ उठाने के अनुसार बनाती थी। धीरे-धीरे रेंजर, हाईब्रिड और रोड बाइक तक बाजार में आने लगी। अब तो बेट्री वाली साइकिलें भी बाजार में आ रही है जो एक बार चार्ज होने पर 25 से 60 किमी तक चलती है। कार्बन फाईबर से बनी साइकिलें 7 किलो से भी कम वजन की होती है।
साइकिल व्यवसायी त्रिलोचन सिंह गांधी ने बताया कि अधिकतर लोग एल्युमिनियम की साइकिलों को पसंद करते हैं। इनमें 13 से 15 किलो तक की साइकिल को पसंद किया जाता है। साइकिलों में रंग के साथ ही एसेसरीज भी आने लगी है। इनमें बोटल और मोगाईल होल्डर, लाइट, हॉर्न, शीट कवर आदि के साथ ही चालक के लिए हेलमेट, जर्सी, शॉर्ट्स, नी एल्बो पेड आदि भी मौजूद है।
उदयपुर में अमूमन साइकिल 6 से 15 हजार तक की बिकती है। बेट्री वाली साइकिल की रेंज 25 से 50 हजार रुपए तक है। वहीं कार्बन फाईबर से बनी साइकिलें एक लाख से 7 लाख तक की भी आती हैं। इनमें से कुछ महंगी साइकिलें शहर में मौजूद है, लेकिन कुछ ऑर्डर पर ही मंगवाई जाती है।
मुकेश चौहान ने बताया कि विदेशी पर्यटकों को साइकिल पर शहर में भ्रमण करवाया जाता है। इसमें रोड स्टार साइकिल पर पुराने शहर में पर्यटकों को घुमाया जाता है। इसमें शीतला माता, जगदीश चौक, घंटाघर, मोची बाजार, तीज का चौक, मुखर्जी चौक आदि क्षेत्रों में घुमाते है।
पर्यटन व्यवसाय से जुड़े गौरव राणावत ने बताया कि शहर में ऐसी कई कंपनियां है जो पर्यटकों को साइकिल पर ट्यूर करवाती है। मैं भी एक कंपनी से जुड़ा हुआ हूं। अधिकतर पर्यटक 20 किमी का ट्यूर पसंद करते हैं जो बड़ी और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में होता है।
किशन शर्मा ने बताया कि विदेशी पर्यटकों को ग्रामीण परिवेश पसंद आता है। शहर के आसपास साइकिल पर घूमने के साथ ही कई बार वे एक-दूसरे शहर में जाने की मांग भी करते हैं। ऐसे में उन्हें हाईवे पर कार में और अन्य रास्तों पर साइकिल से ट्यूर करवाया जाता है।