हड़प्पाकालीन (लगभग 2500 वर्ष पूर्व ) प्रजाति के गेहूं को उज्जैन के एक किसान ने पहली बार मालवा की भूमि पर उगाया है। सोना-मोती के नाम से पहचानी जाने वाली गेहूं की खासियत यह है कि यह लंबे नहीं होकर गोल होते हैं और इसमें पोषक तत्वों की मात्रा भी भरपूर होती है
Harappan Era Wheat : हड़प्पाकालीन (लगभग 2500 वर्ष पूर्व ) प्रजाति के गेहूं को उज्जैन के एक किसान ने पहली बार मालवा की भूमि पर उगाया है। सोना-मोती(Sona Moti Wheat) के नाम से पहचानी जाने वाली गेहूं की खासियत यह है कि यह लंबे नहीं होकर गोल होते हैं और इसमें पोषक तत्वों की मात्रा भी भरपूर होती है। सोना-मोती गेहूं को घट्टिया तहसील के ग्राम पिपल्याहामा के प्रगतिशील किसान अश्विनी सिंह चौहान ने 4 बीघा खेत में बोया है। अभी इस गेहूं की फसल करीब एक फीट की हो गई है और इसमें उंबी आने की तैयारी है। इसकी पैदावार प्रति एकड़ 15 क्विंटल होती है।
किसान(Harappan Era Wheat) अश्विनी सिंह चौहान के मुताबिक सामान्य गेहूं के मुकाबले हड़प्पाकालीन गेहूं 4 गुना दाम पर बिकता है। वर्तमान में बाजार में कीमत 8000 रुपए प्रति क्विंटल है। जबकि सामान्य गेहूं 20 क्विंटल प्रति एकड़ तक हो जाता है। सोना-मोती गेहूं की प्राचीन प्रजाति को देश के किसानों ने संभाल कर रखा है।
सोना-मोतीगेहूं(Sona Moti Wheat) में सामान्य गेहूं के मुकाबले 3 गुना अधिक फोलिक एसिड तो 267%अधिक खनिज और 40 प्रतिशत अधिक प्रोटीन पाया जाता है। फोलिक एसिड की कमी के कारण असमय बालों का सफेद होना तथा मुंह में छाले और जीभ में सूजन होने लगते है, वहीं इस गेहूं में ग्लूटेन की मात्रा कम होती है।