Heavy Rain: लगातार हो रही बारिश में मंदिर की छत जगह-जगह टपकने लगी है। इस बार छत काफी जर्जर हो गई है। टपकती छत में ही मंदिर के पुजारी एवं आने वाले भक्त पूजा अर्चना व दर्शन करने को मजबूर
Heavy Rain: उज्जैन के पास रुनीजा गजनीखेड़ी के प्रसिद्ध मंदिर मां चामुंडाधाम की जीर्ण-शीर्ण होती हालत पर पुरातात्विक विभाग के संज्ञान में मामला होते हुए भी लगातार अनदेखी से माता भक्तों में आक्रोश है। बारिश में मंदिर की छत और दीवारों से पानी रिसना शुरू हो गया है।
विगत वर्ष भी मात्र दो माह में कार्य होने का आश्वासन आज 12 महीने बीतने के बाद भी नहीं हुआ है। पुरातत्व विभाग की अनदेखी के चलते यह ऐतिहासिक धरोहर नष्ट होने के कगार पर पहुंच चुकी है।
लगातार हो रही बारिश में मंदिर की छत जगह-जगह टपकने लगी है। इस बार छत काफी जर्जर हो गई है। टपकती छत में ही मंदिर के पुजारी एवं आने वाले भक्त पूजा अर्चना व दर्शन करने को मजबूर हो रहे हैं। माता मंदिर के गर्भगृह के पास ही शिवजी का प्राचीन शिवलिंग हैं। सावन में यहां भक्तों की बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ रही है।
मंदिर के पास ही दीवार से पानी का रिसाव अधिक मात्रा में हो रहा हैं। इसके अलावा भी दो तीन जगह से रिसाव हो रहा हैं। रिसाव धीरे-धीरे बढ़ने की पूरी संभावना हैं। ऐसे में हालत और ज्यादा खराब हो सकते हैं। अगर इसे अभी भी नहीं रोका गया तो आने वाले समय में यह पुरातात्विक महत्व की इमारत इतिहास बन जाएगी। जनहानि की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता हैं।
पत्रिका की लगातार पहल पर पुरातत्व विभाग इंदौर ने 50 लाख से अधिक के कार्य योजना बनाकर कार्य करने की बात कही थी, लेकिन भोपाल से स्वीकृति नहीं मिलने से वह कार्य योजना ठंडे बस्ते में चली गई। उसके बाद भोपाल के पुरातत्व अधिकारियों ने बताया था कि सिंहस्थ मद से इस मंदिर कस जीर्णोंद्धार व विकास कार्य कराया जाएगा। सिंहस्थ 2028 (Simhastha 2028) में आएगा तब तक तो मंदिर की छत से पानी टपकता ही रहेगा और कभी भी छत गिर सकती है।
व्यवस्था जब तक नहीं चेतती हैं, जब तक कोई बड़ा हादसा नहीं हो जाता। प्रशासन हादसा होने का इंतजार करता हैं। हादसा होने के बाद मुआवजा दे दिया जाता हैं, जबकि उस हादसे को कुछ हजार रुपए खर्च कर रोका जा सकता था। असंभव कार्य भी मात्र 24 घंटे में संभव हो जाता हैं।
संबंधित खबरें:
मंदिर में जो भी विकास हुआ उसमें 95 फीसदी जन भागीदारी से हुआ। मात्र 5 फीसदी हिस्सा जनप्रतिनिधियों का रहा हैं। अगर आगामी 15 दिनों में पुरातत्व विभाग या प्रशासन द्वारा समस्या का निदान नहीं किया तो समिति अपने स्तर पर इंजीनियर की सलाह लेकर रिपेयरिंग का कार्य प्रारंभ कर देगी।
-अशोक वैष्णव, संस्था संयोजक
पुरातत्व विभाग केवल अपने इंजीनियर को भेज दे तो उसकी देखरेख में तात्कालिक समस्या का निदान कर दे जो भी व्यय होगा ट्रस्ट वहन कर लेगी। यह मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन है इसलिए संस्था इसमें कोई भी रिपेयरिंग का कार्य नहीं कर सकती हैं।
-दिलीप पाटीदार, ट्रस्ट सदस्य