उज्जैन

‘श्रीहरि’ से मिलने पहुंचे महाकालेश्वर, लौटाया सृष्टि का भार, महाकाल की सवारी में उमड़ा भक्तों का सैलाब

MP news: महाकाल की नगरी उज्जैन में 7 घंटे में निकली महाकालेश्वलर की दो दो सवारियां, कार्तिक मास के सोमवार और वैकुंठ चतुर्थी का बना था संयोग, महाकालेश्रवर ने भगवान विष्णु को सौंपा सृष्टि का भार

2 min read
Nov 04, 2025
Mahakal Ki sawari: सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु से मिलने पहुंचे महाकाल, हरि को फिर से सौंपा सृष्टि का भार।

MP News: महाकालेश्वर सोमवार देर रात श्रीहरि से मिलने पहुंचे। चांदी की पालकी में सवार होकर भक्तों का हाल पूछने निकली महाकाल की सवारी की परम्परा जहां शाम 4 बजे निभाई गई। वहीं वैकुंठ चतुर्दशी के मौके पर निकलने वाली महाकाल की हरिहर मिलन की सवारी देर रात 11 बजे निकाली गई। मंदिर समिति के बैंड बाजे की धुनों और लाखों भक्तों के जयकारे के बीच हरिहर मिलन सवारी निकाली गई। बता दें कि कार्तिक सोमवार और वैकुंठ चतुर्दशी के संयोग के कारण एक ही दिन में दो बार वो भी सात घंटे के अंतराल में महाकाल की दो सवारियां निकाली गईं।

मान्यता है कि, श्रीहर (श्री महाकालेश्वर भगवान) श्री हरि (श्री द्वारकाधीश जी) को सृष्टि का भार सौंपते हैं। यह सवारी साल में एक बार ही निकलती है। जबकि अतिरिक्त साल में तीन बार श्रावण-भादो मास, कार्तिक मास के अवसर पर साल में तीन बार महाकाल की सवारी का आयोजन किया जाता है।

ये भी पढ़ें

बालाघाट के कटेझिरिया के जंगल में सुरक्षा बल-माओवादियों के बीच मुठभेड़, 800 जवानों ने संभाला मोर्चा

सभामंडप से 11 बजे निकली सवारी, धूमधाम से निभाई परम्परा

श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक प्रथम कौशिक ने बताया कि परम्परा अनुसार श्री महाकालेश्वर मंदिर के आन्तरिक परिसर स्थित सभामंडप से रात्रि 11 बजे श्री महाकालेश्वर भगवान की पालकी धूम-धाम से गुदरी चोराहा, पटनी बाजार होते हुए गोपाल मंदिर पहुंची। जहां पूजन के दौरान बाबा श्री महाकालेश्वर जी बिल्व पत्र की माला श्री गोपाल जी को एवं वैकुण्ठनाथ अर्थात श्री हरि तुलसी की माला बाबा श्री महाकाल जी को भेंट की है। पूजन उपरांत श्री महाकालेश्वर जी की सवारी पुनः इसी मार्ग से श्री महाकालेश्वर मंदिर वापस पहुंची।

मंदिर के पुजारी, पुरोहित, कर्मचारी, अधिकारी सवारी में हुए शामिल

सवारी के साथ मंदिर के पुजारी-पुरोहित, कर्मचारी, अधिकारी आदि सम्मिलित हुए। हरिहर मिलन सवारी के दौरान श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए रोशनी की व्यवस्था की गई। पूरा मार्ग सफेद रोशनी से जगमगा उठा। सुरक्षा बलों की तैनाती की गई। पेयजल, विद्युत एवं अग्नि सुरक्षा, चिकित्सा तथा सफाई व्यवस्था के पर्याप्त इंतजाम किए गए। वहीं फायर ब्रिगेड दल, मोटरसाइकिल फायर ब्रिगेड तथा फायर एक्सटिंग्विशर कर्मियों को पालकी के आगे और पीछे पाबंद किया गया।

ये भी पढ़ें

कब शुरू हुई महाकाल की सवारी? सिंधिया-होलकर वंश ने दिया ‘भव्य स्वरूप’, जानिए उज्जैन की इस अनंत आस्था की कहानी

Published on:
04 Nov 2025 11:18 am
Also Read
View All

अगली खबर