उत्तर प्रदेश में स्टाम्प की समस्या से निजात पाने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। मंत्री रविंद्र जायसवाल ने इसके लिए पंजीयन विभाग द्वारा एकमुश्त समाधान योजना भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 का फिर से लागू किया है। आइये बताते है कब तक आप करा सकते हैं समाधान।
उत्तर प्रदेश में स्टाम्प की समस्या से निजात पाने के लिए सरकार ने बाद कदम उठाया है। उत्तर प्रदेश सरकार के स्टाम्प व न्यायालय शुल्क तथा पंजीयन विभाग के मंत्री रविंद्र जायसवाल ने बुधवार को विधान भवन में प्रेसवार्ता में अहम् जानकरी दी है। ‘स्टाम्प कमी समाधान योजना’ को फिर से लागू करने का निर्णय लिया है।
उत्तर प्रदेश सरकार के स्टाम्प व न्यायालय शुल्क तथा पंजीयन विभाग के मंत्री रविंद्र जायसवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की अपेक्षा के अनुसार, शासन को जनता के लिए सरल और सुगम बनाने की दिशा में एकमुश्त समाधान योजना लागू की गई है।
उन्होंने आगे कहा कि पहले, स्टाम्प की कमी के मामलों में चार गुना तक का अर्थदंड लगाया जाता था, जो पक्षकारों पर भारी आर्थिक बोझ डालता था। इस नई योजना के तहत, अर्थदंड को घटाकर मात्र 100 रुपये कर दिया गया है, जिससे पक्षकारों को आर्थिक राहत मिलेगी। साथ ही, लंबित वादों के कारण बढ़ने वाले ब्याज का भार भी कम होगा।
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में लंबित स्टाम्प वादों का त्वरित निस्तारण और राजस्व वसूली में तेजी लाने के उद्देश्य से ‘स्टाम्प कमी समाधान योजना’ को फिर से लागू करने का निर्णय लिया है। यह योजना 31 मार्च 2025 तक प्रभावी होगी। इसके अंतर्गत, पक्षकार केवल 100 रुपये में और नियमानुसार ब्याज का भुगतान कर अपने लंबित वादों का निपटारा कर सकते हैं।