Shami leaves: हिंदू संस्कृति में प्रकृति पूजा का विशेष विधान है, लेकिन शमी का वृक्ष इनमें सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। तमाम यज्ञ और पूजा में शमी के पत्तों की जरूरत होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं शनिवार को शमी के पत्ते क्यों नहीं तोड़े जाते..आइये जानें धार्मिक तथ्य
Why not pluck Shami leaves on Saturday: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शमी के वृक्ष पर शनिदेव का वास होता है। इसके अलावा यह वृक्ष भगवान शिव और गणेशजी को भी प्रिय है। मंगलवार और शनिवार विशिष्ट देवी देवताओं से जुड़े दिन हैं, विशेष रूप से बजरंगबली (जो भगवान शिव के अवतार हैं), मां दुर्गा और शनि देव (भगवान शिव शनिदेव के गुरु भी हैं) से, इसलिए मंगलवार और शनिवार को शमी के पत्तों को तोड़ने से बचना चाहिए।
इन दिनों शमी वृक्ष को परेशान करने या तोड़ने से आपके घर में समस्याएं आ सकती हैं और शनि दोष लग सकता है। बल्कि शनिवार के दिन शमी के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाने से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है। सावन में इस वृक्ष के नीचे दीपक जलाना सबसे अधिक शुभ फल देने वाला माना जाता है।
अमंगलानां च शमनीं शमनीं दुष्कृतस्य च।
दु:स्वप्रनाशिनीं धन्यां प्रपद्येहं शमीं शुभाम्।।
ये भी पढ़ेंः
शनिवार को शमी का पौधा उत्तर दिशा में लगाएं और उसके बाद तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें लाल चंदन डालकर ऊं नम: शिवाय मंत्र का जप करते हुए शमी के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं। ऐसा लगातार करते रहने से आपको शीघ्र ही अच्छी नौकरी पाने में सफलता मिलेगी।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शमी का वृक्ष मंगलकारी है। इसके अनुसार जब भगवान श्री राम लंका से विजय प्राप्त करके आए थे तो उन्होंने भी शमी के वृक्ष का पूजन किया था।
इसके अलावा महाभारत के समय में जब पांडवों को अज्ञातवास दिया गया, तब उन्होंने अपने अस्त्र-शस्त्र शमी के वृक्ष में ही छिपाए थे।
नवरात्रि में भी मां दुर्गा का पूजन शमी वृक्ष के पत्तों से करने का विधान है। भोलेनाथ के साथ-साथ गणेश जी और शनिदेव, दोनों को ही शमी के पत्ते बहुत प्रिय हैं।