वाराणसी के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में व्याकरण विभाग की कार्यशाला के उद्घाटन के अवसर पर पहुंचे तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कई अहम मुद्दों पर अपनी राय रखी। मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने मनुस्मृति पर उठ रहे सवालों और हरियाणा में ब्राह्मणों पर हुए हमले को लेकर कड़ा बयान दिया।
जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने मनुस्मृति की आलोचनाओं का जवाब देते हुए चर्चा की खुली चुनौती दी। हरियाणा में ब्राह्मणों पर हमले की निंदा की और ज्ञानवापी मामले में अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
मनुस्मृति को लेकर चल रही बहस पर प्रतिक्रिया देते हुए जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा, "अगर किसी मां के लाल ने शुद्ध दूध पिया हो, तो वह मुझसे आकर मनुस्मृति पर चर्चा करे। इसका एक भी अक्षर राष्ट्र विरोधी नहीं है।" उन्होंने बताया कि उन्होंने महाकुंभ में 30 दिनों तक मनुस्मृति पर व्याख्यान दिया था, और उनका मानना है कि इसके सिद्धांत पूरी तरह से न्यायसंगत और राष्ट्रहित में हैं।
हरियाणा में यज्ञ के दौरान ब्राह्मणों पर हुए हमले पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि दोषियों को उचित दंड मिलेगा और इस तरह की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि संस्कृति और धार्मिक परंपराओं पर हमले को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने ज्ञानवापी मुद्दे पर भी अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा, "हम ज्ञानवापी लेकर रहेंगे।" इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि मुगल काल के नाम से जुड़े सभी स्थानों के नाम बदले जाएंगे, ताकि भारत की संस्कृति और विरासत को संरक्षित किया जा सके।
पांच दिवसीय अखिल भारतीय व्याकरण प्रबोध कार्यशाला की शुरुआत सोमवार को बीएचयू के व्याकरण विभाग में हुई। इस कार्यशाला का उद्घाटन जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने किया। इस अवसर पर संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के 500 से अधिक छात्रों ने एक साथ मंत्रोच्चार किया, जिससे पूरा परिसर आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया। साथ ही, "जय श्री राम" के जयघोष से पूरा संकाय गूंज उठा।