देश में ट्रैफिक जाम और प्रदूषण से राहत देने के लिए केंद्र सरकार अब जलमार्गों पर वॉटर मेट्रो चलाने जा रही है। भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) ने 18 शहरों में इस प्रोजेक्ट की रूपरेखा तैयार कर ली है। जिसमें वाराणसी, अयोध्या, प्रयागराज, पटना और श्रीनगर जैसे शहर शामिल हैं। दिसंबर 2025 तक सभी शहरों में सर्वे पूरा कर रिपोर्ट सौंपी जाएगी। वॉटर मेट्रो पर्यावरण के अनुकूल और आरामदायक यात्रा का नया जरिया साबित होगी।
देश के 18 प्रमुख शहरों में अब लोगों को ट्रैफिक जाम से राहत देने के लिए वॉटर मेट्रो सेवा शुरू की जाएगी। यह सेवा जलमार्गों के माध्यम से चलेगी, जिससे न केवल यात्रा तेज और सुगम होगी, बल्कि प्रदूषण भी कम होगा। इस योजना में वाराणसी, अयोध्या और प्रयागराज जैसे धार्मिक नगर भी शामिल हैं।
पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के अधीन काम कर रहे भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) ने इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट की रूपरेखा तैयार कर ली है। संस्था की ओर से किए गए सर्वेक्षण में वाराणसी, पटना और श्रीनगर में जलमार्ग आधारित मेट्रो चलाने की पूरी संभावनाएं जताई गई हैं।
वाराणसी में वॉटर मेट्रो के लिए आठ स्टेशनों का प्रस्ताव तैयार किया गया है—रामनगर स्थित IWAI टर्मिनल, शास्त्री घाट, संत रविदास घाट, चेतसिंह घाट, ललिता घाट (काशी विश्वनाथ मंदिर के पास), पंचगंगा घाट, नमो घाट और आदिकेशव घाट।
यह परियोजना राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या 1 पर बसे शहरों जैसे वाराणसी, अयोध्या, प्रयागराज, पटना और कोलकाता में लागू होगी। इन स्थानों पर ट्रैफिक अध्ययन पूरा कर लिया गया है। रिपोर्ट में वॉटर मेट्रो को अत्यंत उपयोगी बताया गया है। IWAI अधिकारियों के अनुसार, वॉटर मेट्रो पर्यावरण के अनुकूल, सुरक्षित और सुविधाजनक यात्रा का नया विकल्प साबित होगी। बढ़ते शहरी दबाव को देखते हुए इसे भविष्य के सार्वजनिक परिवहन के रूप में देखा जा रहा है।
इस परियोजना के अंतर्गत कोच्चि मेट्रो रेल लिमिटेड को सर्वेक्षण की जिम्मेदारी सौंपी गई है। सभी 18 शहरों की रिपोर्ट 31 दिसंबर 2025 तक तैयार कर आईडब्ल्यूएआई को सौंपी जाएगी।
गुवाहाटी, तेजपुर, डिब्रूगढ़, श्रीनगर, अयोध्या, प्रयागराज, वाराणसी, पटना, कोलकाता, कटक, कोल्लम, अलप्पुझा, मंगलुरु, गांधीनगर (अहमदाबाद), गोवा, सूरत, अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप।