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भारत से तनातनी के बीच चीन के पास कटोरा लेकर पहुंचा पाकिस्तान, मांग रहा 10 अरब युआन

Pahalgam Terrorist Attack: वित्त मंत्री औरंगजेब ने कहा पाकिस्तान ने चीन से अपनी मौजूदा स्वैप लाइन को 10 बिलियन युआन तक बढ़ाने का अनुरोध किया है। साथ ही उन्होंने कहा कि पाकिस्तान इस साल के अंत से पहले पांडा बॉन्ड लॉन्च करेगा। 

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Apr 27, 2025
पाकिस्तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब

Pahalgam Terrorist Attack: भारत और पाकिस्तान के बीच पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद तनाव बढ़ गया है। इस हमले के बाद भारत ने कड़े कदम उठाए, जैसे कि 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित करना और व्यापारिक संबंधों को सीमित करना, जिससे पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति पर और दबाव पड़ा। इसी बीच पाकिस्तान अपनी आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए मित्र देशों से कर्ज मांगने लगा है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान ने चीन से 10 अरब युआन कर्ज की मांग की है।

वित्त मंत्री ने इंटरव्यू के दौरान किया खुलासा

रॉयर्टस की माने तो पाकिस्तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने एक इंटरव्यू के दौरान खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि यह कदम देश के विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने और वित्तीय स्रोतों विविध बनाने के लिए उठाया गया है।

चीन से किया अनुरोध

पाकिस्तान के वित्त मंत्री ने कहा कि हम अपने ऋण आधार में विविधता लाना चाहते हैं और हमने इस दिशा में कुछ अच्छी प्रगति की है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने चीन से अपनी मौजूदा स्वैप लाइन को 10 बिलियन युआन तक बढ़ाने का अनुरोध किया है। साथ ही उन्होंने कहा कि पाकिस्तान इस साल के अंत से पहले पांडा बॉन्ड लॉन्च करेगा। 

30 बिलियन युआन स्वैप लाइन-वित्त मंत्री

वित्त मंत्री औरंगजेब ने कहा कि हमारे दृष्टिकोण से बिलियन रेनमिनबी तक पहुंचना एक अच्छी दिशा होगी। हमने अभी ये ही अनुरोध किया है। इंटरव्यू के दौरान वित्त मंत्री ने कही कि पाकिस्तान के पास पहले से ही 30 बिलियन युआन स्वैप लाइन है।

पांडा बॉन्ड क्या होता है

पांडा बॉन्ड एक प्रकार का बॉन्ड है, जो विदेशी संस्थाएं (जैसे सरकारें, कंपनियां या वित्तीय संस्थान) चीन के घरेलू बाजार में चीनी युआन (RMB) में जारी करती हैं। ये बॉन्ड चीनी युआन में जारी किए जाते हैं, जिससे निवेशकों को युआन में निवेश करने का अवसर मिलता है।

क्या होता है स्वैप लाइन

स्वैप लाइन एक वित्तीय समझौता है, जिसमें दो देशों के केंद्रीय बैंक या वित्तीय संस्थान एक-दूसरे की मुद्रा को एक निश्चित राशि तक उधार देने या विनिमय करने के लिए सहमत होते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य वित्तीय स्थिरता बनाए रखना, विदेशी मुद्रा भंडार को समर्थन देना और आर्थिक संकट के समय तरलता प्रदान करना है।

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