Mass murder in Syria:सीरिया में सामूहिक नरसंहार से हाहाकार मच गया है। लताकिया क्षेत्र में हालात बिगड़ते जा रहे हैं। लोग असहाय हो गए हैं।
\Mass murder in Syria: सीरिया के लताकिया में सामूहिक हत्याओं से खौफनाक माहौल है। यहां अलावी समुदाय के खिलाफ हिंसा और नरसंहार की घटनाएं बढ़ गई हैं। वहीं हामा प्रांत में 86 वर्षीय अलावी धार्मिक नेता शेख शाबान मंसूर और उनके बेटे की हत्या के बाद हिंसा में तेजी से वृद्धि हुई। उधर सिर, पीठ और पेट में चाकू घोंपने के बाद भी जीवित बचे दमिश्क से लगभग 330 किलोमीटर दूर लताकिया में सीरिया के 36 वर्षीय अली कोशमर ने भारत से मदद की गुहार लगाई है। अली ने बताया कि कैसे उन्होंने गोलियों की आवाज़, टायरों की चीख़ और दर्जनों हथियारबंद लोगों के चिल्लाने की आवाज़ सुनी। इन हथियारबंद हमलावरों ने उनके घरों पर हमला किया, दरवाजे तोड़े और उन्हें मारने की कोशिश की। उन्हें सिर, पीठ और पेट में चाकू मारे गए, लेकिन किसी तरह वह बचने में सफल रहे।
अली ने कहा, "हमारे समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है, हम सबकी जान को खतरा है। हमारी पहचान और हमारी बोली हमें और अधिक संकट में डाल रही है।" उन्होंने यह भी बताया कि उनके भाई का अपहरण कर लिया गया, और अब तक उसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। अली का कहना है कि अलावी समुदाय अब पूरी तरह से असुरक्षित है और उनके पास अपनी रक्षा के लिए कोई मदद नहीं है।
ध्यान रहे कि अलावी समुदाय सीरिया की कुल आबादी का लगभग 12 प्रतिशत है और यह विशेष रूप से सीरिया के तटीय इलाकों में रहता है। बशर अल-असद, जो खुद अलावी हैं, उनके शासन के बाद अब यह समुदाय उग्रवादी गुटों के निशाने पर है। ये गुट "असद शासन के अवशेषों" को समाप्त करने का दावा कर रहे हैं, लेकिन इसके तहत वे अलावी और अन्य अल्पसंख्यकों को निशाना बना रहे हैं।
सीरियाई ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स के अनुसार, मार्च 2025 के बाद से यहां अब तक 973 से अधिक नागरिकों की हत्या हो चुकी है, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। इन हत्याओं और हिंसा की घटनाओं को "जातीय सफाई" के रूप में देखा जा रहा है। सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियोज़ सामने आए हैं, जिनमें हथियारबंद लोग पूरे परिवारों को मौत के घाट उतारते हुए नजर आ रहे हैं। एक वीडियो में सीरियाई लड़ाके खून से सने शवों के ऊपर खड़े हुए हैं, जबकि दूसरे में एक व्यक्ति को सार्वजनिक रूप से फंदे पर लटका हुआ दिखाया गया है।
लताकिया के एक कंप्यूटर साइंस इंजीनियर इब्राहीम सलामाह ने कहा, "हमने कभी भी किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया था। हम हमेशा सभी धर्मों और जातियों के लोगों के लिए अपने घर खोलते थे। लेकिन अब, नई सरकार हमारी सुरक्षा में असफल रही है।" उन्होंने यह भी बताया कि कई लोग शरण लेने के लिए पहाड़ों में जा रहे हैं या रूस के नियंत्रित हवाई अड्डे पर शरण ले रहे हैं। इधर इस संकट के मददेनजर सीरियाई सरकार ने एक स्वतंत्र जांच समिति का गठन किया है, लेकिन इस पर भी संदेह जताए जा रहे हैं, क्योंकि सुरक्षा बलों पर उग्रवादी गुटों के साथ मिल कर काम करने का आरोप है।
सरकार के एक बयान में कहा गया है, "सीरिया के राष्ट्रपति ने 6 मार्च, 2025 को हुई घटनाओं के बारे में जांच और तथ्य-खोज के लिए एक राष्ट्रीय स्वतंत्र समिति का गठन करने का आदेश दिया है।" न्यायाधीशों और कानूनी विशेषज्ञों से बनी इस समिति को अपना फैसला देने के लिए 30 दिन का समय दिया गया है। शारा ने जिम्मेदार लोगों के लिए "दृढ़ और अटूट जवाबदेही" की शपथ ली है। हालांकि, सुरक्षा के लिए चरमपंथी गुटों पर सरकार की निर्भरता को देखते हुए, अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक संशय में हैं।
गौरतलब है कि सीरिया की आबादी में सुन्नी मुसलमानों की संख्या लगभग 70-75 प्रतिशत है। अब अलावी और सुन्नी उग्रवादी गुटों के बीच तनाव बढ़ गया है, जो पिछले साल असद के सत्ता से बेदखल होने के बाद इस क्षेत्र में घुस आए हैं। ये समूह न केवल पूर्व असद वफादारों और पूर्व सैन्यकर्मियों बल्कि नागरिकों, किसानों, ईसाइयों और शिया मुसलमानों सहित धार्मिक अल्पसंख्यकों को भी निशाना बना रहे हैं। चेचन्या, उज्बेकिस्तान और अफगानिस्तान के विदेशी लड़ाकों के साथ-साथ अल-अमशात और अल-हमजात नामक सीरियाई गुटों के भी इस लड़ाई में शामिल होने की खबरें हैं।
यह एक धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यक समुदाय है, जो मुख्य रूप से सीरिया के तटीय क्षेत्रों, जैसे लताकिया और टार्टस में रहते हैं। अलावी, स्वयं को नुसैरी भी कहते हैं। अलावी समुदाय का सीरिया की कुल आबादी में लगभग 12 प्रतिशत हिस्सा है। वे शिया इस्लाम के अनुयायी होते हुए भी कुछ अलग धार्मिक विश्वासों और प्रथाओं का पालन करते हैं।