
India arms imports
India arms imports: भारत 2024 में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक बन गया है, जिसके पास वैश्विक हथियार आयात में 8.3 प्रतिशत का हिस्सा है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की हालिया रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार रूस से हथियार आयात में कमी आई है, लेकिन यह अभी भी भारत का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता बना हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का धीरे-धीरे ज्यादा रक्षा आयात हो रहा है, जिसमें अमेरिका, फ्रांस और इज़राइल से आपूर्ति में वृद्धि देखी जा रही है। यूक्रेन ने वैश्विक हथियार आयात का 8.8% हिस्सा हासिल किया है। रिपोर्ट के अनुसार भारत 8.3% हिस्सेदारी के साथ दूसरे स्थान पर है। कतर और सऊदी अरब 6.8% हिस्सेदारी के साथ तीसरे और चौथे स्थान पर और पाकिस्तान 4.6% हिस्सेदारी के साथ पांचवें स्थान पर है।
हालांकि रूस पर भारत की निर्भरता में गिरावट आई है, फिर भी रूस भारत के प्रमुख हथियार आपूर्तिकर्ता बना हुआ है। SIPRI की रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस के साथ रक्षा सौदों में कमी आई है, खासकर यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद वैश्विक राजनीतिक और सैन्य परिस्थितियां बदल गई हैं। इसके बावजूद, रूस और भारत के बीच पुराने रक्षा सौदों का असर अब भी देखने को मिल रहा है, और यह दोनों देशों के बीच सुरक्षा और रणनीतिक साझेदारी को बनाए रखता है।
रूस से आयात में कमी आने के बावजूद, भारत ने अमेरिका, फ्रांस और इज़राइल जैसे देशों से अपनी रक्षा आपूर्ति बढ़ाई है। इन देशों के साथ भारतीय रक्षा सहयोग में तेजी आई है, जो भारतीय रक्षा उद्योग के लिए एक सकारात्मक संकेत है। अमेरिका और फ्रांस से अत्याधुनिक रक्षा उपकरणों, विमान और मिसाइल रक्षा प्रणालियों की आपूर्ति बढ़ी है, जिससे भारत के पास ज्यादा विविध और आधुनिक सैन्य क्षमताएं आ रही हैं। इसके अलावा, इज़राइल से भी भारत ने मिसाइल प्रणालियों, ड्रोन और अन्य उच्च तकनीकी रक्षा उपकरणों की खरीदारी की है।
SIPRI की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत अपने रक्षा आयात में और अधिक विविधता लाने की कोशिश कर रहा है, ताकि वह किसी एक आपूर्तिकर्ता पर पूरी तरह से निर्भर न रहे। पिछले कुछ वर्षों में, भारत ने विभिन्न देशों के साथ अपनी रक्षा साझेदारी को मजबूत किया है, जो उसे वैश्विक सैन्य संदर्भ में एक मजबूत स्थिति प्रदान करता है। इसके अलावा, भारत अपनी आत्मनिर्भरता की ओर भी बढ़ रहा है, और घरेलू रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठा रहा है।
रूस के साथ भारत के ऐतिहासिक और रणनीतिक रिश्ते बहुत मजबूत रहे हैं, खासकर रक्षा क्षेत्र में। रूस ने हमेशा भारत को अपनी सैन्य जरूरतों के लिए सस्ते और उच्च गुणवत्ता वाले उपकरण प्रदान किए हैं। हालांकि, अब भारत ने रूस से अपनी आयातित सैन्य सामग्री को कम करना शुरू कर दिया है, लेकिन यह पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। भारत अभी भी रूस से प्रमुख सैन्य उपकरणों जैसे टी-90 टैंक, विमान और अन्य रक्षा सामग्री खरीदता है।
भारत के रक्षा आयात में आने वाले वर्षों में और अधिक बदलाव देखने को मिल सकते हैं। दुनिया भर में बदलते हुए वैश्विक परिदृश्य और सुरक्षा चुनौती के कारण, भारत अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए विभिन्न देशों के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए तैयार है। भारत ने अपनी रणनीतिक साझेदारी को अमेरिका, फ्रांस, और इज़राइल के साथ और मजबूत किया है, जो भविष्य में रक्षा क्षेत्र में एक मजबूत और विविध आपूर्ति श्रृंखला की ओर इशारा करता है।
भारत की सुरक्षा नीति और सामरिक लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए, रक्षा क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय साझेदारी के साथ-साथ घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देना भारत सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है। इसके साथ ही, आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत, भारत ने अपनी रक्षा उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं, ताकि भविष्य में विदेशों पर निर्भरता कम हो सके।
बहरहाल SIPRI की रिपोर्ट से यह जाहिर होता है कि भारत की रक्षा नीति में महत्वपूर्ण बदलाव आ रहे हैं और वह अब अपने रक्षा आयात में विविधता लाने की दिशा में काम कर रहा है। रूस से आयात में कमी आ रही है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि भारत और रूस के रिश्ते कमजोर हो रहे हैं। इसके बजाय, भारत अब अमेरिका, फ्रांस और इज़राइल जैसे देशों से अधिक तकनीकी और उन्नत सैन्य उपकरण प्राप्त कर रहा है, जिससे उसकी सुरक्षा और रणनीतिक स्थिति मजबूत हो रही है। भविष्य में, भारत आत्मनिर्भरता की ओर और अधिक कदम बढ़ाने का प्रयास करेगा, ताकि वह अपनी रक्षा जरूरतों को पूरी तरह से घरेलू स्रोतों से पूरा कर सके।
Updated on:
10 Mar 2025 02:18 pm
Published on:
10 Mar 2025 02:17 pm
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