Richest Village Madhapar: इस रिपोर्ट के मुताबिक एशिया के सबसे अमीर गांवों की लिस्ट में भारत के 4 गांव टॉप 10 में हैं।
Richest Village Madhapar: आपने दुनिया के सबसे अमीर देशों, शहरों, राज्यों, प्रांतों के बारे में सुना होगा लेकिन क्या कभी सबसे अमीर गांव के बारे में सुना है। नहीं ना, क्योंकि गांव का नाम सुनते हैं हर किसी के सामने कच्चे घर, उबड़-खाबड़ सड़कें, खेत-खलिहान, गाय-भैंस और सीधे-साधे गरीब लोग नजर आते हैं लेकिन अब ये तथ्य एक मिथक साबित हो गया है। जी हां, हम जिन गांवों को पिछड़ा और गरीब की नजर से देखते हैं, वो भ्रम अब टूट गया है। इन गांवों ने अब ऐसी तरक्की की राह पकड़ ली है, जिनसे अच्छे-खासे शहर भी पीछे छूट रहे हैं। ऐसे ही तरक्की करते गांवों की एक लिस्ट जारी हुई है, जिसमें एक ऐसी खबर सामने आई है जिसने भारत (India) का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। वो ये कि एशिया के सबसे अमीर गांवों में भारत के गुजरात (Gujarat) में स्थित माधापर का नाम सबसे ऊपर रखा गया है। यानी माधापर एशिया का सबसे अमीर गांव बन गया है। यही नहीं इस लिस्ट में भारत का सिर्फ एक नहीं बल्कि 4-4 गांव हैं।
दरअसल BBC की रिपोर्ट के मुताबिक एशिया (Asia Richest Village) के सबसे अमीर गांवों की लिस्ट में भारत के 4 गांव हैं। रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात के कच्छ में स्थित माधापर गांव एशिया का सबसे अमीर गांव हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस गांव में सिर्फ 20 हजार परिवार हैं और इनके पास 7000 करोड़ रुपये की सावधि जमा राशि है जिससे पता चलता है कि इन लोगों से बना ये गांव कितना अमीर है।
गांव में एक राष्ट्रीयकृत बैंक के स्थानीय शाखा प्रबंधक ने कहा कि भारी जमा राशि ने इस गांव को सबसे अमीर बना दिया है। इसमें पानी, स्वच्छता और सड़क जैसी सभी बुनियादी सुविधाएं हैं। प्रबंधक ने कहा यहां कच्चे मकान नहीं बल्कि बड़े-बड़े बंगले हैं। सार्वजनिक और निजी स्कूल हैं। झीलें-पोखर और मंदिर हैं।
बता दें कि इस गांव में 17 बैंक हैं। इनमें HDFC बैंक, SBI, PNB, Axis बैंक, ICICI बैंक और यूनियन बैंक जैसे अहम सार्वजनिक और निजी बैंक शामिल हैं, जो एक अकेले गांव के लिए एक असाधारण बात है। इसके बावजूद कई और निजी और सरकारी क्षेत्र के बैंक अपनी शाखाएं खोलने की योजनाएं बना रहे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक माधापार में सबसे ज्यादा पटेल समुदाय के लोग रहते हैं। इस गांव की अमीरी की वजह यहां के NRI (अनिवासी भारतीय) परिवार हैं, जो हर साल स्थानीय बैंकों और डाकघरों में करोड़ों रुपये जमा करते हैं। गांव में लगभग 20,000 घर हैं, लेकिन लगभग 1,200 परिवार विदेश में रहते हैं और इनमें से ज्यादातर ज्यादातर अफ्रीकी देशों में बसे हुए हैं। कई लोग यूके, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और न्यूजीलैंड में भी रहते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक सेंट्रल अफ़्रीका में निर्माण व्यवसायों पर गुजरात के इन लोगों का एक तरह से प्रभुत्व जमा हुआ है। जो इस इलाके की एक बड़ी प्रवासी आबादी का हिस्सा हैं।
जिला पंचायत की पूर्व अध्यक्ष पारुलबेन कारा मुताबिक इस माधापर गांव के कई लोग विदेश में रहते हैं और काम करते हैं, फिर भी वो अपने गांव से जुड़े रहते हैं और जहां रहते हैं उसके बजाय यहां बैंकों में अपना पैसा जमा करना पसंद करते हैं।