China Pakistan Strategic Partnership: चीन और पाकिस्तान के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मज़बूत करने पर सहमति बनी है।
China Pakistan Strategic Partnership: चीन के विदेश मंत्री वांग यी (wang yi) ने पाकिस्तान दौरे के दौरान एक बड़ा बयान देते हुए कहा है कि दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी और अधिक गहराई तक जाएगी। इस्लामाबाद में पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इस्हाक डार (Ishaq Dar) के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान यह बात सामने आई। यह वार्ता छठे चीन-पाकिस्तान रणनीतिक संवाद के बाद हुई। वांग यी ने स्पष्ट किया कि बैठक एक सकारात्मक और भाईचारे वाले माहौल में हुई और ज्यादातर अहम मुद्दों पर आपसी सहमति बनी। उन्होंने दोनों देशों के रिश्ते को आयरनक्लैड फ्रेंडशिप (Ironclad Friendship) बताया, यानि ऐसी दोस्ती जो समय और परिस्थिति की कसौटी पर खरी उतरती है।
चीनी विदेश मंत्री ने संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए चार प्रमुख पहलुओं की ओर ध्यान खींचा।
नेतृत्व स्तर की सहमति को मार्गदर्शक बनाना।
रणनीतिक विश्वास को और गहरा करना।
एक-दूसरे के मूल हितों की रक्षा में सहयोग करना।
क्षेत्रीय और वैश्विक मंचों पर संयुक्त कार्य करना।
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) अब दूसरे चरण में प्रवेश कर चुका है, जिसे वांग यी ने 'सीपीईसी 2.0' कहा। इसमें मुख्य रूप से तीन क्षेत्रों – उद्योग, कृषि और खनन – में सहयोग को बढ़ाया जाएगा। इसके अलावा ग्वादर पोर्ट, कराकोरम हाइवे और रेलवे अपग्रेड जैसे प्रोजेक्ट्स में तीसरे पक्ष की भागीदारी का भी स्वागत किया गया।
चीन ने हाल ही में पाकिस्तान में आई भारी बारिश और बाढ़ से हुई तबाही पर संवेदना व्यक्त की और तत्काल मानवीय सहायता की घोषणा की।
वांग यी ने आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान के योगदान की सराहना की, वहीं पाकिस्तान ने आश्वासन दिया कि वह चीन के नागरिकों और परियोजनाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देगा। दोनों देशों ने मिलकर आतंकवाद-रोधी सहयोग बढ़ाने और छोटे लेकिन असरदार प्रोजेक्ट्स के जरिए आम जनता को लाभ पहुँचाने पर सहमति जताई।
शिक्षा, युवा कार्यक्रमों और सांस्कृतिक गतिविधियों में सहयोग को भी प्राथमिकता दी जाएगी ताकि दोनों देशों के लोगों के बीच संपर्क और समझ बढ़ सके।
वांग यी ने कहा कि चीन और पाकिस्तान मिलकर ग्लोबल साउथ की आवाज़ को बुलंद करेंगे और एक साझा भविष्य वाले वैश्विक समुदाय के निर्माण की दिशा में काम करेंगे। साथ ही, संयुक्त राष्ट्र की 80वीं वर्षगांठ पर द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की उपलब्धियों को संरक्षित करने और सच्चे बहुपक्षवाद को आगे बढ़ाने का संकल्प दोहराया गया।