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2049 तक अरुणाचल प्रदेश पर कब्जा करने का प्लान, ‘वर्ल्ड-क्लास’ फौज बना रहा चीन, नए दावे ने मचाई खलबली!

पेंटागन की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन अरुणाचल प्रदेश को अपने लिए बड़ा मुद्दा मानता है और 2049 तक इसे कब्जाने की तैयारी में है।

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Dec 24, 2025
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग। (फोटो - ANI)

अमेरिकी रक्षा एजेंसी पेंटागन ने अमेरिकी संसद में एक रिपोर्ट पेश की है। जिसमें भारत के अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन की मंशा को उजागर किया गया है।

रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि अरुणाचल प्रदेश इस वक्त चीन के सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक है। वह 2049 तक अरुणाचल प्रदेश पर कब्जा करने की तैयारी कर रहा है।

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इन जगहों पर चीन की नजर

अमेरिकी रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि चीन ने अपने 'मुख्य हितों' का दायरा बढ़ा दिया है। वह अब अरुणाचल प्रदेश के साथ-साथ ताइवान, दक्षिण चीन सागर और सेनकाकू द्वीप पर पूरी तरह से कब्जा जमाने की फिराक में है।

चीन का मानना है कि इन क्षेत्रों का एकीकरण उसके राष्ट्रीय पुनरुद्धार के लिए जरूरी है। इसके लिए वह 'वर्ल्ड-क्लास' सेना तैयार करने में जुटा है।

यह ऐसी सेना होगी, जो लड़ने और जीतने में सक्षम होगी। इसके साथ, यह देश की संप्रभुता, सुरक्षा और विकास के हितों की पूरी तरह से रक्षा भी करेगी।

इन हितों पर कोई समझौते को तैयार नहीं चीन

रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि चीन तीनों 'मुख्य हितों' पर जो दे रहा है। उसका मानना है कि ये देश हित में जरूरी हैं और इन विषयों पर कोई बातचीत या समझौता नहीं किया जा सकता।

जिसमें चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) का नियंत्रण, चीन के आर्थिक विकास को बढ़ावा देना और चीन की संप्रभुता व क्षेत्रीय दावों की रक्षा व उनका विस्तार शामिल हैं।

आलोचना से घबराती है चीन सरकार

पेंटागन की रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी अपने शासन के लिए किसी भी खतरे को बर्दाश्त नहीं करती, चाहे वह बाहर से हो या देश के अंदर से।

पार्टी को लगता है कि अगर वह चीनी हितों की रक्षा नहीं कर पाई, तो उसकी आलोचना होगी। इसलिए, वह हांगकांग, शिनजियांग, तिब्बत और ताइवान में विरोधी आवाजों को दबाती है, उन्हें "बाहरी ताकतों" का एजेंट बताती है और अपनी शक्ति के लिए खतरा मानती है।

भारत-चीन के बीच अब तनाव कम

रिपोर्ट में कहा गया कि भारत-चीन के बीच LAC पर अब तनाव कम हुए हैं। अक्टूबर 2024 में, भारत और चीन ने LAC से पीछे हटने पर समझौता किया, जिसके बाद राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक हुई।

अब दोनों देश सीमा प्रबंधन और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर काम कर रहे हैं। अब दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें शुरू हो गईं हैं। वीजा सुविधाओं का भी विस्तार किया गया हैं। इसके आलावा, दोनों देश सांस्कृतिक आदान-प्रदान भी कर रहे हैं।

क्या है चीन का मकसद?

चीन का मकसद LAC पर शांति का फायदा उठाकर भारत के साथ संबंधों को स्थिर करना और अमेरिका-भारत की बढ़ती नजदीकी को रोकना है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत अभी भी चीन की कार्रवाइयों और इरादों पर संदेह करता है। दोनों देशों के बीच अविश्वास और अन्य परेशानियां हैं, जो द्विपक्षीय संबंधों को सीमित करेंगी।

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