वैज्ञानिकों की अंतरराष्ट्रीय टीम के कम्युनिकेशन अर्थ एंड एनवायरनमेंट जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक नदी के मार्ग का पता लगाने के लिए रडार सैटेलाइट इमेजरी का इस्तेमाल किया गया। रडार के जरिए रेत के भीतर नदी संरचनाओं की खोज की गई। रडार ने टीम को रेत की सतह के नीचे पहुंचने और दबी हुई नदी के साथ प्राचीन संरचनाओं की छवियां बनाने की क्षमता दी।
वैज्ञानिकों को मिस्र (Egypt) के गीजा पिरामिड के पास नील नदी की दबी हुई शाखा मिली है। सदियों पहले नील नदी यहां से होकर गुजरती थी। इसकी शाखा रेगिस्तान और खेत के नीचे दबी हुई थी। वैज्ञानिकों का कहना है कि शाखा (Nile River) से पता चलता है कि 3,700 से 4,700 साल पहले पिरामिडों को विशेष श्रृंखला में क्यों बनाया गया था। तब नदी के कारण यह हरा-भरा इलाका था। यहां 31 पिरामिड (Pyramid) श्रृंखला में बनाए गए थे। वैज्ञानिकों की अंतरराष्ट्रीय टीम के कम्युनिकेशन अर्थ एंड एनवायरनमेंट जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक नदी के मार्ग का पता लगाने के लिए रडार सैटेलाइट इमेजरी का इस्तेमाल किया गया। रडार के जरिए रेत के भीतर नदी संरचनाओं की खोज की गई। रडार ने टीम को रेत की सतह के नीचे पहुंचने और दबी हुई नदी के साथ प्राचीन संरचनाओं की छवियां बनाने की क्षमता दी।
प्राचीन मिस्र (Egypt) की राजधानी मेमफिस के पास की पट्टी में गीजा के पिरामिड दुनिया के सात अजूबों में से एक है। यहां खफरे, चेप्स और मायकेरिनोस पिरामिड भी हैं। पुरातत्त्वविदों का लंबे समय से मानना था कि पिरामिडों के पास जलमार्ग रहा होगा, जिसका इस्तेमाल प्राचीन मिस्रवासी निर्माण सामग्री के परिवहन के लिए करते होंगे।
शोधकर्ताओं के मुताबिक हो सकता है 4,200 साल पहले भयंकर सूखे के कारण नदी का यह हिस्सा सूख गया और रेत के नीचे दब गया। शोध के मुख्य लेखक इमान घोनिम ने कहा, कोई भी इस विशाल जलमार्ग के स्थान, आकार या वास्तविक पिरामिड स्थल से निकटता के बारे में निश्चित नहीं था।