अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अब यूरोपीय संघ (ईयू) से भी नाराज हो गए हैं। उन्होंने ईयू पर भारी टैरिफ लगाने की धमकी दे डाली है। नाराजगी की वजह गूगल से जुड़ी है। दरअसल, यूरोपीय संघ ने कानूनों के उल्लंघन का हवाला देते हुए गूगल पर 3.47 अरब डॉलर (लगभग 28,945 करोड़ रुपये) का जुर्माना लगाया […]
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अब यूरोपीय संघ (ईयू) से भी नाराज हो गए हैं। उन्होंने ईयू पर भारी टैरिफ लगाने की धमकी दे डाली है। नाराजगी की वजह गूगल से जुड़ी है।
दरअसल, यूरोपीय संघ ने कानूनों के उल्लंघन का हवाला देते हुए गूगल पर 3.47 अरब डॉलर (लगभग 28,945 करोड़ रुपये) का जुर्माना लगाया है। ईयू के फैसले के तुरंत बाद ट्रंप ने पलटवार किया।
ट्रंप ने शुक्रवार को अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि यूरोप ने आज अमेरिका की एक और बड़ी कंपन गूगल पर 3.5 अरब डॉलर का जुर्माना लगाया है, वह पैसा अमेरिकी निवेश और नौकरियों में का काम आ सकता था। यह बहुत अनुचित है और अमेरिकी करदाता इसे बर्दाश्त नहीं करेंग।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने आगे कहा कि जैसा कि मैंने पहले कहा है, मेरा प्रशासन इन भेदभावपूर्ण कार्रवाइयों को बर्दाश्त नहीं करेगा। मुझे इन करदाता अमेरिकी कंपनियों पर लगाए जा रहे अनुचित जुर्माने को रद्द करने के लिए धारा 301 के तहत कार्यवाही शुरू करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
बता दें कि यूरोपीय संघ ने शुक्रवार को गूगल पर जुर्माना लगाते हुए कहा था कि कंपनी ने अपने विज्ञापन एक्सचेंजों को प्रतिद्वंद्वियों पर प्रतिस्पर्धात्मक लाभ देकर बाजार को प्रभावित किया।
यह चौथी बार है जब ब्रुसेल्स ने किसी प्रतिस्पर्धा-विरोधी मामले में कंपनी पर अरबों डॉलर का जुर्माना लगाया है। यूरोपीय आयोग की शीर्ष प्रतिस्पर्धा-विरोधी नियामक, टेरेसा रिबेरा ने एक बयान में कहा कि Google ने विज्ञापन तकनीक में अपनी प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग किया है, जिससे प्रकाशकों, विज्ञापनदाताओं और उपभोक्ताओं को नुकसान हुआ है।
Google ने इस फैसले के खिलाफ अपील करने का संकल्प लिया है। बता दें कि यूरोपीय संघ और ट्रंप प्रशासन के बीच व्यापार वार्ता के दौरान यूरोपीय संघ द्वारा डिजिटल नियमों को लागू करने का मुद्दा नियमित रूप से उठता रहा है।
ट्रंप ने कहा कि गूगल ने पहले भी झूठे दावों और आरोपों को लेकर ईयू को 13 अरब डॉलर का भुगतान किया है, कुल मिलाकर यह रकम 16.5 अरब डॉलर तक पहुंच गया है।
उन्होंने कहा कि यह कितना पागलपन है? यूरोपीय संघ को अमेरिकी कंपनियों के खिलाफ इस तरह की हरकतें तुरंत बंद करनी चाहिए।