तुर्की की एक एक्टिविस्ट ने दावा किया कि ग्रेटा को बाल पकड़कर घसीटा गया, गाली-गलौज की गई और जबरन इज़रायल का झंडा चूमने के लिए मजबूर किया गया।
Greta Thunberg accuses Israel of harsh treatment: पिछले दो वर्षों से इज़रायल गाजा पट्टी पर लगातार बम और मिसाइल हमले कर रहा है, जिसके चलते हजारों लोग मारे गए हैं और लाखों लोग बेघर व विस्थापित हो गए हैं। क्लाइमेट एक्टिविस्टग्रेटा थनबर्ग ने इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई और "ग्लोबल सुमुद फ्लोटिला" नामक अभियान शुरू किया। इस अभियान के तहत, वह 400 से अधिक लोगों के साथ समुद्र के रास्ते गाजा के लिए राहत सामग्री लेकर रवाना हुईं।
ग्रेटा और उनके साथी गाजा के लिए सहायता सामग्री ले जा रहे थे, तभी इज़रायली सेना ने उन पर हमला कर दिया और 400 से अधिक मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया। हालांकि, ग्रेटा को अब रिहा कर दिया गया है, लेकिन उन्होंने कुछ चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। ग्रेटा ने स्वीडिश अधिकारियों को बताया कि हिरासत के दौरान इज़रायली सेना ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया।
"द गार्जियन" की एक रिपोर्ट के अनुसार, स्वीडिश विदेश मंत्रालय को भेजे गए एक ईमेल में कहा गया कि एक अधिकारी, जो जेल में ग्रेटा से मिलने गया था, ने बताया कि ग्रेटा ने दावा किया कि उन्हें एक ऐसी कोठरी में रखा गया था जो खटमलों से भरी थी। उन्हें बहुत कम खाना और पानी दिया गया। ईमेल में आगे कहा गया कि ग्रेटा को लंबे समय तक कठोर सतह पर बैठने के लिए मजबूर किया गया और जानवरों से भी बदतर व्यवहार किया गया।
उनके साथ हिरासत में लिए गए एक अन्य कार्यकर्ता ने बताया कि ग्रेटा को जबरन इज़रायल का झंडा पकड़ने के लिए कहा गया और उनकी तस्वीरें खींची गईं। ग्रेटा को चिंता थी कि उनकी तस्वीरों का गलत इस्तेमाल किया जा सकता है। स्वीडिश मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि इस दावे की पुष्टि फ्लोटिला के दो अन्य सदस्यों ने भी की, जिन्हें इज़रायली बलों ने हिरासत में लिया था और शनिवार को रिहा किया गया।
तुर्की की एक अन्य कार्यकर्ता, एरसिन सेलिक, ने बताया कि ग्रेटा को उनकी आंखों के सामने बाल पकड़कर घसीटा गया, गाली-गलौज की गई और जबरन इज़रायल का झंडा चूमने के लिए मजबूर किया गया। उन्हें एक उदाहरण के तौर पर पेश किया गया और चेतावनी दी गई। दूसरी ओर, इज़रायली विदेश मंत्रालय ने दावा किया कि हिरासत में लिए गए लोगों के साथ दुर्व्यवहार की खबरें झूठी हैं।
इज़रायली बलों ने शुक्रवार को सभी नावों को रोक लिया और 437 कार्यकर्ताओं, सांसदों और वकीलों को गिरफ्तार किया, जिनमें जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग भी शामिल थीं। ये सभी "ग्लोबल सुमुद फ्लोटिला" का हिस्सा थे, जो 40 से अधिक नावों का समूह था, जो गाजा के लिए मानवीय सहायता लेकर जा रहा था।