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जोहान्सबर्ग भूचाल : ट्रंप बहिष्कार में मोदी का 6-सूत्री हमला और 5 बड़े नतीजे, G-20 ने अमेरिका को ठेंगा दिखाया !

G-20 Summit 2025 Johannesburg: पीएम मोदी ने जोहान्सबर्ग G-20 समिट में ड्रग्स-आतंक नक्सस से लड़ाई और अफ्रीका स्किल्स जैसे 6 नए एजेंडे पेश किए।

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Nov 23, 2025
डोनाल्ड ट्रंप और कट्टर समर्थक मार्जोरी टेलर ग्रीन। ( फोटो: X Handle/ G20 South Africa.)

G-20 Summit 2025 Johannesburg: दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में पहली बार अफ्रीकी मिट्टी पर G-20 शिखर सम्मेलन (G-20 Summit 2025 Johannesburg) ने दुनिया का रुख भारत की ओर कर दिया। इस बार 21 से 23 नवंबर को चले तीन दिवसीय आयोजन में राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने उद्घाटन भाषण में कहा कि उनका देश G-20 की एकजुटता और सम्मान बचाने के लिए कटिबद्ध है। रामफोसा ने जोर दिया कि एजेंडे (PM Modi 6-Point Agenda) में वैश्विक दक्षिण और अफ्रीका की प्राथमिकताओं को जगह मिलेगी। एक दिन पहले पहुंचे पीएम नरेंद्र मोदी ने वैश्विक नेताओं से द्विपक्षीय बातचीत की, जिसमें ऑस्ट्रेलियाई पीएम एंथनी अल्बानीज (Australian PM Anthony Albanese) से मुलाकात शामिल थी। मोदी ने एक्स पर लिखा, "जोहान्सबर्ग पहुंच गया। वैश्विक मुद्दों पर नेताओं से उत्पादक चर्चा की उम्मीद है।" समिट के अंतिम दिन से पहले, यहां पांच बड़े निष्कर्ष सामने आए हैं, जो दुनिया बदल सकते हैं।

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मोदी का धमाकेदार 6-सूत्री एजेंडा (PM Modi 6-Point Agenda)

पीएम मोदी ने समिट में समावेशी विकास पर केंद्रित छह नई पहल पेश कीं। पहली- ड्रग्स तस्करी और आतंकवाद के गठजोड़ से निपटने के लिए तुरंत कार्रवाई करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, "ड्रग्स न सिर्फ स्वास्थ्य के लिए खतरा हैं, बल्कि आतंक की फंडिंग भी करते हैं। G-20 को इस पर एकजुट होना चाहिए।" दूसरी- वैश्विक स्वास्थ्य संकट के लिए तैयार डॉक्टरों की टीम बनाना। तीसरी- अफ्रीका के युवाओं को स्किल्ड बनाने के लिए 'अफ्रीका स्किल्स मल्टीप्लायर' पहल। चौथी- पारंपरिक ज्ञान का ग्लोबल डेटाबेस तैयार करना। पांचवीं- ओपन सैटेलाइट डेटा शेयरिंग पार्टनरशिप। छठी- क्रिटिकल मिनरल्स की सर्कुलर इकोनॉमी पर फोकस। ये प्रस्ताव भारत की लीडरशिप मजबूत करते हैं।

अमेरिकी बहिष्कार के बावजूद घोषणा-पत्र पास: ट्रंप को आईना ! (US G20 Boycott Trump)

ट्रंप प्रशासन ने दक्षिण अफ्रीका पर 'श्वेत नस्लवाद' के झूठे आरोप लगाते हुए समिट का बहिष्कार किया। विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी फरवरी की मीटिंग स्किप की थी। व्हाइट हाउस ने रामफोसा पर 'अध्यक्षता का दुरुपयोग' करने का इल्जाम लगाया। फिर भी, अमेरिका की इनपुट के बिना G-20 ने जलवायु और वैश्विक चुनौतियों पर घोषणा पत्र अपनाया। इस तरह यह वैश्विक दक्षिण की जीत है।

क्रिटिकल मिनरल्स फ्रेमवर्क: विकास का नया इंजन (Critical Minerals Framework)

इस घोषणा-पत्र में महत्वपूर्ण खनिजों (जैसे लिथियम, कोबाल्ट) के सस्टेनेबल फ्रेमवर्क पर जोर दिया गया है। इसका मकसद वैश्विक दक्षिण के देशों को इन संसाधनों से ज्यादा फायदा पहुंचाना है। कहा गया, "बदलती अर्थव्यवस्था में इनकी डिमांड बढ़ेगी, लेकिन निवेश की कमी और पर्यावरण मुद्दे चुनौती हैं।"

जलवायु वित्त पर बड़ा धक्का: अरबों से खरबों तक का सफर (Climate Finance Declaration)

समिट ने अफ्रीका में ऊर्जा असमानता दूर करने के लिए जलवायु फंडिंग तेजी से बढ़ाने की जरूरत बताई गई। वहीं आपदा चेतावनी सिस्टम मजबूत करने का वादा किया गया। यह COP30 के समझौते के साथ मेल खाता है।

यूक्रेन पर फोकस: शांति का आह्वान

बहरहाल इस 30 पेज के दस्तावेज में यूक्रेन का जिक्र एक बार आया, लेकिन पश्चिमी नेता ने इसे सेंटर में रखा। वहीं ट्रंप की 28-सूत्री योजना होने पर लीक पर यूरोप ने काउंटर प्लान की बात की। इस घोषणा पत्र में यूक्रेन, सूडान, कांगो और फिलिस्तीन में 'स्थायी शांति' की मांग की गई है। यह समिट वैश्विक एकजुटता का संदेश देती है। सवाल यह है कि अब क्या यह 2026 अमेरिकी अध्यक्षता में भी जारी रहेगा ?

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