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Exclusive: भारत-पाक तेल की धार: पचपदरा रिफाइनरी से सिंध तक कनेक्शन, सपना या हकीकत, एक्सपर्ट से जानें

India Pakistan Oil Connection : पचपदरा रिफाइनरी और सिंध का आर्टिफिशियल आइलैंड एक ही पुराने समुद्र के नीचे हैं। अभी पाकिस्तान का तेल सपना है, लेकिन भारत पहले से अपनी तैयारी पूरी कर रहा है।

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Nov 21, 2025
पचपदरा रिफाइनरी। (फोटो: पत्रिका.)

India Pakistan Oil Connection: अमेरिका और पाकिस्तान के बीच हालिया तेल सौदे ने दक्षिण एशिया की ऊर्जा राजनीति में हलचल मचा दी है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की 'ड्रिल बेबी ड्रिल' नीति के तहत जुलाई 2025 में घोषित इस डील से पाकिस्तान के कथित 'विशाल तेल भंडार' को विकसित करने में अमेरिकी कंपनियां शामिल होंगी। लेकिन सवाल यह है कि क्या पाकिस्तान के पास वाकई इतना तेल है? और इससे भारत (India Pakistan oil connection) पर क्या असर पड़ेगा? खासकर राजस्थान के बाड़मेर-पचपदरा (Pachpadra refinery) तेल क्षेत्र और सिंध के अन्वेषण के बीच की नजदीकी को देखते हुए यह बहुत अहम है। राजस्थान का बाड़मेर-पचपदरा तेल क्षेत्र पाकिस्तान के सिंध से सटा हुआ है, जो दोनों देशों के हाइड्रोकार्बन बेसिन को जोड़ता है। यहां पेश है केयर्न एनर्जी से संबंधित रहीं एक्सपर्ट निर्मला राव से बातचीत पर आधारित दूरी और गहराई का तथ्यात्मक विश्लेषण।

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अमेरिका-पाकिस्तान तेल सौदे की मुख्य बातें

डील का आधार: ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर पोस्ट किया कि अमेरिका पाकिस्तान के 'मैसिव ऑयल रिजर्व्स' को विकसित करने में साझेदार बनेगा। इसमें अमेरिकी तेल कंपनियों को चुना जाएगा, जो पाकिस्तान के ऑफशोर (समुद्री) क्षेत्रों में निवेश करेंगी। ट्रंप ने यहां तक कहा कि 'कौन जाने, शायद पाकिस्तान कभी भारत को तेल बेचने लगे'।
पाकिस्तान की योजना: ट्रंप की प्रेरणा से पाकिस्तान ने सिंध तट से करीब 30 किमी दूर सुजावल के पास एक कृत्रिम द्वीप बनाने का फैसला किया है। यह आईलैंड 6 फीट ऊंचा होगा, जो तेज लहरों से बचाव करेगा। फरवरी 2026 तक तैयार होने पर यहां 25 कुओं से दिन-रात ड्रिलिंग शुरू होगी। पाकिस्तान पेट्रोलियम लिमिटेड (PPL) और तुर्की की TPAO जैसी कंपनियां इसमें शामिल हैं। हाल ही में सिंध के खरोचान में एक नया तेल कुआं मिला है। यह डील भारत पर 25% टैरिफ लगाने के कुछ घंटे बाद आई, जो रूस से तेल आयात और BRICS सदस्यता पर अमेरिकी नाराजगी का नतीजा है।

भारत पर संभावित असर: सीधा खतरा नहीं, लेकिन सतर्कता जरूरी

आर्थिक प्रभाव: पाकिस्तान से तेल खरीदना 'लगान' फिल्म जितना ही अवास्तविक है। भारत रूस, खाड़ी और अमेरिका से तेल लेता है। पाकिस्तान की अनिश्चित आपूर्ति से कोई फायदा नहीं। उल्टे, अमेरिकी टैरिफ से भारत के निर्यात पर दबाव बढ़ेगा।
भू-राजनीतिक शिफ्ट: यह डील अमेरिका की पाकिस्तान प्राथमिकता दिखाती है, जो भारत-अमेरिका संबंधों पर असर डाल सकती है। दक्षिण एशिया में BRICS और रूस तेल के संदर्भ में संतुलन बिगड़ सकता है।
सुरक्षा कोण: कोई सीधा खतरा नहीं, लेकिन अमेरिकी निवेश से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था मजबूत हो सकती है, जो सीमा तनाव बढ़ा सकता है।

पचपदरा रिफाइनरी और सिंध का कनेक्शन

राजस्थान का बाड़मेर-पचपदरा तेल क्षेत्र पाकिस्तान के सिंध से सटा हुआ है, जो दोनों देशों के हाइड्रोकार्बन बेसिन को जोड़ता है। यहां पेश है दूरी और गहराई का विश्लेषण:

पैरामीटरविवरण
पचपदरा रिफाइनरी का स्थानपचपदरा, बाड़मेर जिला, राजस्थान। क्षमता: 9 MMTPA (मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष)। स्थानीय क्रूड (मंगला फील्ड्स से 1.5 MMTPA) + आयातित अरब मिक्स। निर्माण 88% पूरा, 2026 तक चालू।
सिंध ऑफशोर साइटसुजावल के पास, सिंध तट से 30 किमी समुद्र में। कृत्रिम द्वीप पर 25 कुएं।
दूरीबाड़मेर से पाक सीमा: ~100 किमी। सिंध तट (कराची के पास) से बाड़मेर: ~400-500 किमी। ऑफशोर साइट से पचपदरा: ~450-550 किमी (सीधी रेखा में)। सिंध से कुल दूरी: 30 किमी (समुद्र)।
भूगर्भीय कनेक्शनदोनों क्षेत्र इंडस बेसिन का हिस्सा। राजस्थान बेसिन इंडस जियोसिनक्लाइन का पूर्वी फ्लैंक है। संभावित साझा रिजर्व्स, लेकिन सीमा विवाद (सिर क्रीक) बाधा। पाकिस्तान का अन्वेषण भारत की तेल सुरक्षा को प्रभावित नहीं करेगा, लेकिन क्षेत्रीय तनाव बढ़ा सकता है।
भारत के लिए निहितार्थपचपदरा से स्थानीय उत्पादन बढ़ेगा, आयात कम होगा। पाकिस्तान की ड्रिलिंग से कोई सीधा कनेक्शन नहीं है, लेकिन सीमा निकटता से निगरानी जरूरी है। 2025 में ड्रोन/मिसाइल हमलों से रिफाइनरी प्रभावित हो चुकी है।

क्या इनके बीच गहरा भूगर्भीय कनेक्शन है

राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके बाड़मेर में पचपदरा रिफाइनरी का निर्माण तेजी से चल रहा है, जो भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता का नया प्रतीक बनने जा रहा है। लेकिन इसी समय, सीमा पार पाकिस्तान के सिंध प्रांत में एक कृत्रिम द्वीप पर 25 तेल कुओं की खुदाई की योजना ने सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या ये दोनों तेल क्षेत्र सिर्फ भौगोलिक रूप से सटे हुए हैं, या इनके बीच गहरा भूगर्भीय कनेक्शन है? भारत के नजरिए से, यह न सिर्फ ऊर्जा सुरक्षा का सवाल है, बल्कि सीमा सुरक्षा और क्षेत्रीय तनाव का भी। आइए, दूरी, गहराई और कनेक्शन की तह तक जाते हैं।

पचपदरा रिफाइनरी: राजस्थान की तेल धार का केंद्र

राजस्थान का बाड़मेर-सांचौर सब-बेसिन, जो 2004 में मंगला तेल खोज के बाद एक प्रमुख हाइड्रोकार्बन प्रांत बन गया, अब पचपदरा रिफाइनरी के साथ और मजबूत हो रहा है। हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) और राजस्थान सरकार के जॉइंट वेंचर HPCL राजस्थान रिफाइनरी लिमिटेड (HRRL) द्वारा विकसित यह 9 MMTPA (मिलियन मेट्रिक टन प्रति वर्ष) क्षमता वाली रिफाइनरी-पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स पचपदरा तहसील, बाड़मेर जिले में 4,800 एकड़ में फैली हुई है।

बेसिन की गहराई 6 किमी तक, लेकिन उत्पादक परतें 1-2 किमी गहरी

वर्तमान स्थिति: नवंबर 2025 तक निर्माण 88% पूरा हो चुका है, और 2026 तक चालू होने की उम्मीद। यह स्थानीय क्रूड (मंगला, भाग्यम जैसे फील्ड्स से 1.5 MMTPA) के साथ-साथ आयातित अरब मिक्स क्रूड (7.5 MMTPA) संसाधित करेगी। कुल निवेश ₹52,000 करोड़ से अधिक, जो 35,000 से ज्यादा नौकरियां पैदा कर चुका है।
भूगर्भीय आधार: फतेहगढ़ फॉर्मेशन (लेट क्रेटेशियस-अर्ली पेलियोसीन) के नदी-जमा रेत-पत्थरों में तेल भंडार, जो इंडस जियोसिनक्लाइन के पूर्वी फ्लैंक पर स्थित है। बेसिन की गहराई 6 किमी तक, लेकिन उत्पादक परतें 1-2 किमी गहरी है। यह रिफाइनरी न सिर्फ राजस्थान को पेट्रोकेमिकल हब बनाएगी, बल्कि उत्तरी भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करेगी। लेकिन इसकी पाकिस्तान सीमा से निकटता चिंता का विषय है।

सिंध का कृत्रिम द्वीप: पाकिस्तान की नई तेल महत्वाकांक्षा

पाकिस्तान पेट्रोलियम लिमिटेड (PPL) ने सिंध के सुजावल जिले के पास अरब सागर में 30 किमी दूर एक आर्टिफिशियल आइलैंड बनाने की योजना शुरू कर दी है। यह द्वीप 6 फीट ऊंचा होगा, जो ऊंची लहरों से बचाव करेगा। फरवरी 2026 तक तैयार होने पर यहां 25 कुओं से ड्रिलिंग शुरू होगी, जो सरानी ब्लॉक में पाकिस्तान का पहला ऑफशोर प्रयास होगा।

सिंध के खरोचान में नया तेल कुआं मिला है

पृष्ठभूमि: जुलाई 2025 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 'मैसिव ऑयल रिजर्व्स' वाले बयान और 'ड्रिल बेबी ड्रिल' नीति से प्रेरित। PPL के साथ तुर्की की TPAO जैसी कंपनियां शामिल हैं। हाल ही में सिंध के खरोचान में नया तेल कुआं मिला है।
भूगर्भीय आधार: लोअर इंडस बेसिन का हिस्सा, जहां संभावित हाइड्रोकार्बन रिजर्व्स हैं, लेकिन व्यावसायिक उत्पादन अभी दूर। ड्रिलिंग गहराई 4,000-5,000 मीटर तक हो सकती है। यह परियोजना पाकिस्तान के 68,000 बैरल प्रतिदिन उत्पादन को बढ़ाने का प्रयास है, लेकिन सुरक्षा और तकनीकी चुनौतियां बाधा हैं।

दूरी का रहस्य: 30 किमी से 500 किमी तक का फासला

पाकिस्तान की ऑफशोर साइट से सिंध तट: ठीक 30 किमी (19 मील), सुजावल से समुद्र में। यह दूरी PPL के अधिकारियों द्वारा पुष्टि की गई है।
पचपदरा से पाकिस्तान सीमा: बाड़मेर जिले में स्थित रिफाइनरी अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगभग 100-200 किमी दूर। बाड़मेर-पाक सीमा सबसे निकट बिंदु पर 100 किमी।
पचपदरा से सिंध तट (सुजावल): लगभग 400-500 किमी हवाई दूरी (सीधी रेखा में), क्योंकि सुजावल कराची से 130 किमी पूर्व में है। रिफाइनरी के निर्देशांक (लगभग 25.9°N, 71.8°E) और सुजावल (24.6°N, 68.1°E) के बीच यह फासला Google Maps पर पुष्टि होता है।
ऑफशोर साइट से पचपदरा: कुल 450-550 किमी, जिसमें 30 किमी समुद्री हिस्सा शामिल।

यह दूरी भौगोलिक रूप से महत्वपूर्ण नहीं लगती, लेकिन सीमा तनाव के समय (जैसे मई 2025 के ड्रोन हमलों) में रिफाइनरी की असुरक्षा बढ़ा देती है।

भारत-पाक तेल का कनेक्शन: इंडस बेसिन की साझा जड़ें

दोनों क्षेत्र एक ही भूगर्भीय संरचना का हिस्सा हैं – इंडस बेसिन। राजस्थान बेसिन इंडस जियोसिनक्लाइन का पूर्वी फ्लैंक है, जबकि सिंध मोनोक्लाइन इसका पश्चिमी हिस्सा है।

भारत-पाक तेल का कनेक्शन: इंडस बेसिन की साझा जड़ें

दोनों क्षेत्र एक ही भूगर्भीय संरचना का हिस्सा हैं – इंडस बेसिन। राजस्थान बेसिन इंडस जियोसिनक्लाइन का पूर्वी फ्लैंक है, जबकि सिंध मोनोक्लाइन इसका पश्चिमी हिस्सा।

पैरामीटरपचपदरा (भारत)सिंध ऑफशोर (पाकिस्तान)
बेसिनबाड़मेर-सांचौर सब-बेसिन (इंडस का पूर्वी फ्लैंक)लोअर इंडस बेसिन (सिंध मोनोक्लाइन)
उम्र/फॉर्मेशनफतेहगढ़ (लेट क्रेटेशियस-अर्ली पेलियोसीन)पेलियोजीन-मायोसीन (इंडस शेल्फ)
गहराई1-2 किमी (उत्पादक परतें)4-5 किमी (संभावित)
कनेक्शनसाझा इंडस जियोसिनक्लाइन; धरवारियन लाइनामेंट से विभाजित। ईओसीीन से प्लाइओसीन तक उथल-पुथल ने क्लास्टिक्स साझा किए।समान टेक्टॉनिक घटनाएं (गोंडवानालैंड रिफ्टिंग, इंडिया-एशिया टक्कर)। कोयला/सीबीएम एक्सटेंशन संभव।
उत्पादन क्षमता600,000+ बैरल/दिन (भारत कुल); स्थानीय 1.5 MMTPA68,000 बैरल/दिन (पाक कुल); ऑफशोर अनिश्चित
  • साझा इतिहास: प्रीकैंब्रियन से जुरासिक रिफ्टिंग, फिर ईओसीन टक्कर ने बेसिन को आकार दिया। बाड़मेर के फतेहगढ़ सैंडस्टोन इंडस शेल्फ से प्रभावित। 2017 में पेट्रोलियम मंत्री रहते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था कि पाकिस्तान सीमा के पास गैस निकाल रहा है, जो भारतीय फील्ड्स से जुड़े हो सकते हैं।
  • जोखिम: सर क्रीक विवाद जैसे सीमा मुद्दे साझा रिजर्व्स को प्रभावित कर सकते हैं। भारत के लिए, पाकिस्तान की ड्रिलिंग से कोई सीधी 'चोरी' नहीं होगी, लेकिन क्षेत्रीय निगरानी जरूरी है।

भारत के नजरिए से: अवसर और चुनौतियां

भारत के लिए यह कनेक्शन दोहरी तलवार है। एक तरफ, पचपदरा से स्थानीय उत्पादन बढ़ेगा, आयात कम होगा (भारत 85% तेल आयात करता है)। दूसरी तरफ, अमेरिका-पाक डील से भू-राजनीतिक शिफ्ट: ट्रंप की प्राथमिकता पाकिस्तान को मजबूत कर सकती है, जो सीमा पर दबाव बढ़ाए। मई 2025 के ड्रोन हमलों ने रिफाइनरी को प्रभावित किया, जहां नाइट शिफ्ट रद्द करनी पड़ीं।

भारतीय तेल मंत्री का बयान

"हम अपनी खोज बढ़ा रहे हैं, लेकिन सीमा सुरक्षा ऊर्जा सुरक्षा का हिस्सा है।" ओएनजीसी-कर्न जैसी कंपनियां बाड़मेर में गैस मोनेटाइजेशन पर ₹700 करोड़ निवेश कर रही हैं। लंबे समय में, SAARC स्तर पर सहयोग संभव, लेकिन वर्तमान तनाव में भारत अपनी ऊर्जा स्वावलंबन पर फोकस करेगा।

भारत-पाक तेल की यह 'धार' इंडस बेसिन की साझा विरासत

बहरहाल भारत-पाक तेल की यह 'धार' इंडस बेसिन की साझा विरासत है, लेकिन दूरी और गहराई के बावजूद राजनीतिक दीवारें ऊंची हैं। पचपदरा भारत की ताकत बनेगा, जबकि पाकिस्तान का द्वीप उसकी आशा। भारत को सतर्क रहते हुए अपनी खुदाई तेज करनी होगी – क्योंकि ऊर्जा युद्ध में दूरी मायने नहीं रखती, संसाधन रखते हैं।

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