India-Pakistan Flood Dispute:पाकिस्तान में भारी बाढ़ के कारण 750 से अधिक लोग मारे गए हैं, जिसमें पाकिस्तान ने भारत पर नदियों में अचानक पानी छोड़ने का आरोप लगाया है।
\India-Pakistan Flood Dispute: पाकिस्तान के एक मंत्री ने भारत पर गंभीर आरोप लगाए हैं कि वह पानी को हथियार (India accused water weapon) की तरह इस्तेमाल कर रहा है। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में भारी बाढ़ आई है, जिसका कारण उन्होंने भारत द्वारा नदियों में अचानक पानी छोड़ना (India Pakistan water dispute) बताया है। इस बाढ़ से अब तक सैकड़ों लोग मारे गए और हजारों की संपत्ति तबाह हो गई है। पाकिस्तान सरकार के मंत्री अहसान इकबाल ने कहा है कि भारत ने रावी (Ravi river flood Pakistan), सतलुज और चिनाब नदियों में अचानक और ज्यादा पानी छोड़ा, जिससे पंजाब के कई इलाकों में बाढ़ आई (Pakistan flood 2025)। उन्होंने बताया कि इस वजह से गुजरांवाला डिवीजन में कई लोगों की जान गई और हजारों एकड़ खेती की जमीन पानी में डूब गई। मंत्री ने इसे जानबूझकर किया गया हमला बताया।
अल जजीरा की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में इस साल के शुरुआत से लेकर अब तक बाढ़ और भू-स्खलन की वजह से करीब 776 लोग मारे गए हैं, जिनमें 197 बच्चे भी शामिल हैं। इसके अलावा, 993 लोग घायल हुए हैं और 4,000 से अधिक घर भी बाढ़ में खराब हो गए हैं। यह स्थिति काफी गंभीर बनी हुई है।
लाहौर के डिप्टी कमिश्नर सैयद मूसा रजा ने बताया कि रावी नदी में इस समय 2.20 लाख क्यूसेक पानी बह रहा है, जबकि नदी की अधिकतम क्षमता 2.50 लाख क्यूसेक है। उन्होंने यह भी कहा कि भारी बारिश और भारत की तरफ से अतिरिक्त पानी छोड़ने के कारण नदियों का जल स्तर बढ़ गया है। इससे लाहौर समेत कई इलाकों में बाढ़ आई है।
पाकिस्तान के करतारपुर इलाके में बाढ़ की वजह से गुरु नानक देव जी के प्रमुख तीर्थस्थल, गुरुद्वारा दरबार साहिब, में पानी भर गया। यह स्थान सिख धर्म के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, और यहां की बाढ़ ने धार्मिक स्थल को भी प्रभावित किया है।
पाकिस्तानी सेना और राहत दल अब तक एक लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जा चुके हैं। सिंध प्रांत में नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी ने अलर्ट जारी किया है और लोगों को नदी किनारे से दूर रहने को कहा है। पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज ने अधिकारियों को राहत कार्य तेज करने और नुकसान का सही आंकलन करने के निर्देश दिए हैं।
भारत ने बाढ़ से जुड़ी स्थिति को देखते हुए पहले ही मानवीय आधार पर पाकिस्तान को जानकारी दी थी। जम्मू-कश्मीर की तवी नदी में बाढ़ की चेतावनी भारत ने 4 दिन पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय को भेजी थी। यह कदम दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने की कोशिश माना गया था, खासकर सिंधु जल संधि के तहत।
हालांकि, इस साल मई में भारत-पाक बातचीत लगभग ठप हो गई है। पाकिस्तान का आरोप है कि भारत ने पानी को हथियार की तरह इस्तेमाल किया, जबकि भारत ने बार-बार कहा है कि यह मानवीय और पर्यावरणीय मुद्दा है, जिसे राजनीति से अलग रखा जाना चाहिए। दोनों देशों के बीच पानी को लेकर जारी विवाद ने बाढ़ की आपदा को और जटिल बना दिया है।
बहरहाल इस बाढ़ संकट ने साफ कर दिया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच जल संसाधनों के सही प्रबंधन और पारदर्शिता की बहुत जरूरत है। बिना संवाद और सहयोग के दोनों देशों की जनता को भारी नुकसान हो सकता है। समय की मांग है कि दोनों पक्ष आपसी विश्वास बढ़ाएं और बाढ़ जैसे प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए मिलकर काम करें।