Indian-American lawmakers: अमेरिका के प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप जन्मजात नागरिकता कार्यकारी आदेश से इंडो-अमेरिकन कम्युनिटी में खलबली मच गई है।
U.S. birthright citizenship: भारतीय-अमेरिकी सांसदों ने जन्मजात नागरिकता में बदलाव पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ( Donald Trump )के आदेश का सख्ती से विरोधकिया है। उनका कहना है कि इस कार्यकारी आदेश (executive order) से न केवल दुनिया भर के अवैध अप्रवासियों, बल्कि भारत के छात्रों और पेशेवरों पर भी असर पड़ने की संभावना है। इस बीच भारतीय अमेरिकी कांग्रेसी श्रीथानेदार ने कहा है “इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि डोनाल्ड ट्रंप क्या कहते हैं या क्या करते हैं, जन्मजात नागरिकता ( U.S. birthright citizenship)देश का कानून है और रहेगा। मैं हर कीमत पर इसकी रक्षा के लिए लड़ूंगा।
दरअसल राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पदभार सभालते ही एक आदेश पर हस्ताक्षर कर घोषणा की है कि अब से बिना दस्तावेज वाले आप्रवासियों से पैदा होने वाले भविष्य के बच्चों को अब नागरिक नहीं माना जाएगा। इससे भारतवंशी नागरिक मुश्किल में आ गए हैं। उनकी समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करें। ऐसे में श्रीथानेदार ने उनके लिए आवाज बुलंद कर उनके लिए उम्मीद
बंधाई है। यह आदेश कानूनी रूप से लेकिन अस्थायी रूप से देश की कुछ माताओं के बच्चों, जैसे विदेशी छात्रों या पर्यटकों पर भी लागू होगा।
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले दिन जिस कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं, उन्होंने जन्म सिद्ध नागरिकता (birthright citizenship) को समाप्त करने की मंशा जताई है। इस आदेश का भारतीय-अमेरिकी सांसदों ने जोरदार विरोध किया। इसे इस तरह समझें :
डोनाल्ड ट्रंप ने यह आदेश जारी किया है कि जो बच्चे अमेरिका में जन्मे हैं, उन्हें स्वतः नागरिकता नहीं दी जाएगी, अगर उनके माता-पिता अवैध आप्रवासी हैं।
भारतीय-अमेरिकी सांसदों ने इस आदेश के खिलाफ इसलिए आवाज उठाई है, क्यों कि उनका कहना है कि यह आदेश अमेरिका के संविधान के खिलाफ है और इससे लाखों लोगों के अधिकारों पर असर पड़ेगा।
भारतीय-अमेरिकी सांसदों का कहना है कि अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन में जन्मसिद्ध नागरिकता का अधिकार स्पष्ट रूप से दिया गया है। ट्रंप का यह कदम संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।
इस आदेश पर राजनीति और समाज में विवाद पैदा हो गया है। आलोचकों का कहना है कि यह आदेश आप्रवासन से जुड़े मुद्दों को और जटिल बना देगा और अमेरिका में पैदा होने वाले बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन करेगा।
भारतीय-अमेरिकी समुदाय के विरोध के साथ-साथ यह कदम भारत-अमेरिका संबंधों पर भी प्रभाव डाल सकता है, क्योंकि भारत से अमेरिका जाने वाले लोगों में बड़ी संख्या में ऐसे लोग होते हैं जिनके बच्चे अमेरिकी नागरिक होते हैं।
डोनाल्ड ट्रंप ने कार्यकारी आदेश लागू करने के लिए पूरी तरह से समर्थन व्यक्त किया है और उनका कहना है कि यह कदम अमेरिकी नागरिकता सुरक्षित रखने के लिए जरूरी है।
इस आदेश को अदालतों में चुनौती दी जा सकती है, क्योंकि यह संविधान से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों से संबंधित है और कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि इसे न्यायिक समीक्षा की आवश्यकता होगी।
यह सूची वर्तमान में प्रमुख भारतीय-अमेरिकी नेताओं की है, जो अमेरिकी राजनीति में सक्रिय हैं, और उनके योगदान से भारतीय-अमेरिकी समुदाय का अमेरिकी राजनीति में प्रभाव बढ़ा है।
गौरतलब 2021 के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में भारतीय नागरिकों की तादाद लगभग 2.7 मिलियन (27 लाख) के आसपास है। भारतीय अमेरिकी समुदाय अमेरिका में एक महत्वपूर्ण और तेजी से बढ़ता हुआ समुदाय है, और इनमें से अधिकांश लोग पेशेवर और शैक्षिक क्षेत्रों में सक्रिय हैं। इसके अलावा, भारतीय समुदाय अमेरिका में सांस्कृतिक, सामाजिक, और आर्थिक दृष्टि से भी प्रभावी भूमिका निभा रहा है।
अमेरिका में अवैध अप्रवासी भारतीय नागरिकों की तादाद का अनुमान लगाना कठिन है, क्योंकि ये आंकड़े नियमित रूप से अपडेट नहीं होते और अवैध अप्रवासी व्यक्तियों की पहचान करना भी मुश्किल होता है। हालांकि, 2020 के एक अध्ययन के अनुसार, अमेरिका में अवैध अप्रवासी भारतीय नागरिकों की संख्या लगभग 5 लाख से 6 लाख के बीच हो सकती है। यह आंकड़ा मुख्य रूप से उन भारतीय नागरिकों से संबंधित है जो वीज़ा की समाप्ति के बाद अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे हैं, या जो अवैध रूप से सीमा पार करके अमेरिका पहुंचे हैं। यह संख्या समय-समय पर बदलती रहती है और इस पर विभिन्न नीति और प्रवासियों से संबंधित नियमों का असर पड़ता है।