विदेश

‘अवैध प्रवासियों’ को अमेरिका से निकालने के कारण बीच में ही नौकरियां छोड़ रहे भारतीय छात्र

Indian students in US: अमेरिकी प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप की 'अवैध प्रवासियों' को देश से निकालने और सख्त आव्रजन कार्रवाई के बीच उच्च शिक्षा और सुनहरे करियर की तलाश में जाने वाले भारतीय छात्रों के लिए बहुत मुश्किल हो गई है।

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Feb 09, 2025
Donald Trump in Action mode

Indian students in US: अमेरिका के प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप ( Donald Trump) के अवैध प्रवासियों (illegal immigrants) पर सख्त होने के कारण भारतीय छात्रों की मुसीबत आ गई है । अमेरिका में वीजा मिलने में गिरावट (visa issues) आई है, नौकरी की संभावनाएं घटती जा रही हैं और कार्यस्थलों पर बढ़ती निगरानी ने छात्रों की चिंता बढ़ा दी है। कई भारतीय छात्र ( Indian students in US) अपनी अंशकालीन नौकरियां छोड़ चुके हैं और कुछ छोड़ने की तैयारी में है। बहुत से भारतीय छात्रों ने शिकायत की है कि उनके कार्यस्थलों पर वर्दीधारी अधिकारी छापेमारी कर रहे हैं और उनके छात्र पहचान पत्र और कार्य प्राधिकरण की जांच कर रहे हैं। नौकरी खोने और निर्वासन (Deportation of indians) के डर से छात्र अपनी नौकरियां छोड़ने के लिए मजबूर हो गए हैं। इससे कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि से आने वाले भारतीय छात्रों के लिए यह स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई है।

बहुत से छात्रों ने एजुकेशन लोन ले रखा

कई छात्रों ने एजुकेशन लोन ले रखा है और उनके लिए इसे चुकाना मुश्किल होता जा रहा है। नौकरी की अनिश्चितता के कारण वे अपने भविष्य को लेकर असमंजस में हैं। वीजा संकट और घटते मौके…. 2024 में भारतीय छात्रों को जारी किए गए एफ-1 वीजा की संख्या में 38% की गिरावट आई है। जनवरी से सितंबर 2024 के बीच 64,008 भारतीय छात्रों को वीजा मिला, जबकि 2023 में यह संख्या 1,03,495 थी। इसके अलावा, अमरीकी कंपनियों द्वारा विदेशी छात्रों को नौकरी देने में हिचकिचाहट और वीजा प्रायोजन की मुश्किलें बढ़ने से छात्र हताश हैं।

अमेरिका में लगभग दो लाख से अधिक भारतीय छात्र पढ़ रहे

एक जानकारी के मुताबिक अमेरिका में भारतीय छात्रों की संख्या काफी अधिक है। सन 2023 के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में लगभग दो लाख से अधिक भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। यह संख्या हर साल बढ़ती जा रही है, क्योंकि भारतीय छात्र उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका का रुख करते हैं, विशेष रूप से विज्ञान, तकनीकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) के क्षेत्रों में पढ़ रहे हैं। अमेरिकी कार्रवाई के बाद इस संख्या में कमी भी हो सकती है।

अमेरिका में अवैध प्रवासियों की छानबीन और भारतीय छात्रों पर प्रभाव

अमेरिका में अवैध प्रवासियों के खिलाफ कड़ी नीतियों के कारण कई भारतीय छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिका की सरकार कार्यस्थलों पर छापेमारी और प्रवासन नीति में सख्ती बढ़ा रही है, जिसके कारण कुछ भारतीय छात्र अपनी नौकरियां छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं। इसके अतिरिक्त, छात्रों पर निगरानी बढ़ने से उनमें चिंता बढ़ गई है।

डोनाल्ड टंप की 'अवैध प्रवासियों' के लिए नीति भारतीयों पर भारी

डोनाल्ड ट्रंप की 'अवैध प्रवासियों' के लिए नीति का उद्देश्य अमेरिका में अवैध रूप से रहने वाले विदेशी नागरिकों की संख्या को कम करना और सीमा सुरक्षा को कड़ा करना है। ट्रंप प्रशासन ने अवैध प्रवासियों के खिलाफ कई सख्त कदम उठाए हैं। ट्रंप ने अपनी राष्ट्रपति पद की चुनावी दौड़ के दौरान "बॉर्डर वॉल" बनाने का वादा किया था, जिससे अमेरिका-मैक्सिको सीमा पर दीवार खड़ी की जा सके। उनका मानना था कि इससे अवैध प्रवास को रोका जा सकेगा और सुरक्षा सुनिश्चित होगी। ट्रंप प्रशासन ने सन 2017 में डेका (Deferred Action for Childhood Arrivals) को खत्म करने का निर्णय लिया, जिससे उन बच्चों और युवाओं को नुकसान हुआ, जिन्होंने अमेरिका में अवैध रूप से प्रवेश किया था, लेकिन उनके माता-पिता उन्हें कानूनी रूप से अमेरिका में ले आए थे। वहीं अवैध प्रवासियों को देश से बाहर निकालने के लिए सीमा सुरक्षा को बढ़ाने की योजना बनाई। इसमें सीमा सुरक्षा बलों को और अधिक शक्तियां देने और अधिक तकनीकी उपायों का उपयोग करने का प्रस्ताव था।

अमेरिका में आव्रजन प्रक्रिया को कड़ा किया

ट्रंप प्रशासन ने 'Public Charge' नीति लागू की थी, जिसमें अवैध प्रवासियों को अमेरिका में रहने के लिए अतिरिक्त सरकारी लाभ (जैसे कि सामाजिक कल्याण कार्यक्रम) का लाभ लेने से रोका गया। साथ ही अमेरिका में आव्रजन प्रक्रिया को कड़ा किया और अवैध रूप से अमेरिका में रहने वालों की निकासी (deportation) की प्रक्रिया को तेज कर दिया। साथ ही आव्रजन न्यायालयों में प्रक्रियाओं को तेज करने के लिए और अधिक दबाव डाला ताकि अवैध प्रवासियों को जल्दी से देश से बाहर निकाला जा सके। बहरहाल इन नीतियों के परिणामस्वरूप, अवैध प्रवासियों के लिए अमेरिका में रहना और काम करना मुश्किल हो गया था, जिससे छात्र भी परेशान हुए। इससे निर्दोष परिवारों और बच्चों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।

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