क्या आपने भी कभी इस बारे में सोचा है कि सपनों के दौरान क्या दिमाग जागा हुआ होता है या सोया हुआ? वैज्ञानिक अब इस रहस्य को सुलझाने में जुट गए हैं।
मानव दिमाग के रहस्यों को समझने की दिशा में वैज्ञानिकों ने बड़ी पहल की है। अलग-अलग देशों के न्यूरोसाइंटिस्ट की टीम ने पहली बार नींद और सपनों के दौरान दिमाग की गतिविधि का सबसे बड़ा ओपन एक्सेस डेटाबेस तैयार किया है। इस प्रोजेक्ट का नाम है 'ड्रीम'। इस डेटाबेस में 500 से ज़्यादा लोगों पर की गई 20 रिसर्चों की जानकारी है। पहली बार इस डेटाबेस ने यह साबित किया है कि सपने सिर्फ रैपिड आई मूवमेंट स्लीप में ही नहीं आते, जैसा पहले माना जाता था। यह वह स्थिति होती है जब नींद में आंखें पलकों के नीचे तेज़ी से इधर-उधर घूमती हैं, लेकिन शरीर लगभग स्थिर रहता है।
रिसर्चों में पता चला कि इस दौरान दिमाग बहुत सक्रिय होता है। वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि गहरी और शांत नींद के दौरान भी लोग सपने देखते हैं। इस दौरान दिमाग की विद्युत तरंगें गहरी नींद जैसी न होकर, जागृत अवस्था जैसी दिखाई दीं, जैसे कि दिमाग आधा जागा हुआ हो।
वैज्ञानिकों ने आर्टिफिशियल इंटेंलिजेंस (एआई) की मदद से यह भी पता लगाया कि किस समय व्यक्ति सपना देख रहा था। मशीन लर्निंग मॉडल इस दौरान दिमाग की गतिविधि देखकर यह सटीकता से अनुमान लगा सकते थे कि उस पल व्यक्ति सपने में था या नहीं। कुल 13 देशों के 37 संस्थानों के 53 वैज्ञानिकों ने इसमें योगदान दिया।
'ड्रीम' प्रोजेक्ट इंसानों की नींद और चेतना को समझने की दिशा में एक निर्णायक कदम है। यह डेटाबेस इसलिए भी खास है क्योंकि अब वैज्ञानिकों के पास एक मानकीकृत और साझा मंच है, जिससे अलग-अलग प्रयोगशालाओं के डेटा को एक ही प्रारूप में देखा और विश्लेषित किया जा सकता है। इससे यह समझना आसान होगा कि दिमाग की कौनसी गतिविधियाँ सपनों और चेतना से जुड़ी हैं। यह डेटाबेस मोनाश यूनिवर्सिटी के ब्रिजस प्लेटफॉर्म पर फ्री में अवेलेबल है।