Rohingya Infiltration: प्रधानमंत्री मोदी की अवैध घुसपैठ की चेतावनी सच साबित हुई, क्योंकि ISI और बांग्लादेश की DGFI रोहिंग्या शरणार्थियों को भारत में घुसपैठ और आतंकी हमलों के लिए इस्तेमाल करने की साजिश रच रहे हैं।
Rohingya Infiltration: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने RSS के शताब्दी समारोह में अवैध घुसपैठ के खतरे पर फिर से आवाज बुलंद की। स्वतंत्रता दिवस भाषण में भी उन्होंने इसी मुद्दे को उठाया था। उनकी बार-बार चिंता जताना बताता है कि भारत में अवैध प्रवास ( Illegal Immigration)कितना बड़ा खतरा बन चुका है। खुफिया एजेंसियां लंबे समय से चेतावनी दे रही हैं कि यह सिर्फ संयोग नहीं, बल्कि जनसांख्यिकीय बदलाव लाने और अपराध बढ़ाने की सुनियोजित साजिश है। पाकिस्तान की ISI (ISI Plot) और बांग्लादेश की DGFI मिल कर भारत में अवैध घुसपैठ (Rohingya Infiltration)को नई गति दे रही हैं। पहले बांग्लादेश से आने वाले घुसपैठिये ही समस्या थे, लेकिन अब म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमानों को लक्ष्य बनाया जा रहा है।
ISI और DGFI ने हरकत-उल-जिहाद-इस्लामी (HuJI), लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और आक्वा मुल मुजाहिदीन (AMM) जैसे आतंकी संगठनों को इस साजिश में शामिल किया है। ये ग्रुप म्यांमार में चल रही हिंसा का फायदा उठा रहे हैं। वहां विस्थापित रोहिंग्या समुदाय को निशाना बना कर उन्हें भड़काया जा रहा है। सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार, बांग्लादेश में रोहिंग्या लोगों को इकट्ठा करने की कोशिश हो रही है, ताकि सीमा पार कराकर भारत में घुसपैठ की जा सके। भारत पहले से ही बांग्लादेशी घुसपैठ से जूझ रहा है, रोहिंग्या का आगमन सिस्टम पर अतिरिक्त बोझ डालेगा। एक और चिंताजनक योजना है – बांग्लादेश में शरण लिए रोहिंग्या को भारत के खिलाफ सीमा पार हमलों के लिए इस्तेमाल करना।
ढाका को ऐसी साजिश में शामिल होने का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। कट्टरपंथी रोहिंग्या न सिर्फ भारत, बल्कि बांग्लादेश में भी आतंक फैला सकते हैं। वहां पहले से ही हिंसा और कट्टरता का दौर चल रहा है, जो अपराधों को बढ़ावा देगा। लेकिन भारतीय एजेंसियां शक जताती हैं कि बांग्लादेश ज्यादा कार्रवाई नहीं करेगा, क्योंकि ISI का हाथ है। मुहम्मद यूनुस को जमाअत-ए-इस्लामी के समर्थन से अंतरिम सरकार का प्रमुख बनाया गया, जिसके बाद पाकिस्तान से करीबी बढ़ गई। जमाअत के प्रभाव में बांग्लादेश प्रशासन भारत की सुरक्षा को खतरे में डालने वाली इस समस्या पर ध्यान नहीं देगा। शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद रोहिंग्या कैंपों की संख्या बढ़ गई है। बागेरहाट, कॉक्स बाजार और मामेंसिंह में प्रशिक्षण शिविर खड़े हो चुके हैं।
ये कैंप ISI अधिकारियों, हाफिज सईद और AMM कमांडर अबू अमान जुनूनी की बैठक के बाद बने। जुनूनी मूल रूप से म्यांमार का है, लेकिन पाकिस्तान में प्रशिक्षित। उसका पूरा फोकस रोहिंग्या को भर्ती कर भारत में घुसपैठ कराना और आतंकी हमले करना है। भारत ने सुरक्षा कड़ी करने के साथ ही नया इमिग्रेशन एंड फॉरेनर्स एक्ट 2025 लागू किया है। गृह मंत्रालय ने 1 सितंबर को इसके नियम अधिसूचित किए। संसद में बहस के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि पर्यटन, शिक्षा, व्यापार और स्वास्थ्य के लिए आने वालों का स्वागत है, लेकिन भारत कोई धर्मशाला नहीं। 2023 में त्रिपुरा में जांच से पता चला था कि कुछ ब्रोकर रोहिंग्या शरणार्थियों को असम के रास्ते भारत ला रहे थे। केंद्र ने एजेंसियों को ऐसे दलालों पर सख्ती के निर्देश दिए हैं।
बहरहाल मोदी सरकार अवैध घुसपैठ को राष्ट्रीय सुरक्षा का बड़ा खतरा मान रही है। रोहिंग्या घुसपैठ न सिर्फ सीमाओं को कमजोर करेगी, बल्कि आतंकवाद को नई जान देगी। बांग्लादेश को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी, वरना क्षेत्रीय स्थिरता खतरे में पड़ जाएगी। भारत की नई कानूनी व्यवस्था और खुफिया नेटवर्क इस साजिश को विफल करने के लिए तैयार हैं। लेकिन लंबे समय तक सतर्क रहना जरूरी है, क्योंकि ISI जैसी ताकतें कभी पीछे नहीं हटतीं। इनपुट:IANS