Prayagraj Maha Kumbh 2025: भारत में 13 साल बाद संगमनगरी प्रयागराज में लगे महाकुंभ 2025 के दौरान मौनी अमावस्या पर नहाने वाले घाट पर भगदड़ मचने से कुछ लोगों की मौत हुई और कई लोग घायल हुए। ऐसे हादसे हज के दौरान भी होते रहे हैं।
Prayagraj Maha Kumbh 2025: भारत में महाकुंभ मेला 2025 ( Prayagraj Maha Kumbh 2025) और अरब में हज (Hajj )दोनों ही दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन हैं, जहां लाखों करोड़ों लोग एक साथ इकट्ठे (religious gatherings) होते हैं। महाकुंभ मेला और अरब में हज ( Hajj Accidents) आयोजनों में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का एकत्र होने पर व्यवस्था के साथ न चलने से अक्सर दुर्घटनाएं होती हैं। कुछ हादसे तो बहुत ही दुखद रहे हैं। आइए जानते हैं इन आयोजनों के दौरान कब-कब हादसे हुए :
इस मेले में 50 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी, जब भीड़ बढ़ने के कारण भगदड़ मच गई थी। सन 2001 का कुंभ मेला (इलाहाबाद): इस मेले में भी एक बड़ी भगदड़ हुई, जिसमें सैकड़ों लोग घायल हुए थे और कई लोगों की जान चली गई थी।
इस मेले में भी एक बड़े हादसे ने 36 लोगों की जान चली गई थी, जब भगदड़ के कारण लोग एक-दूसरे पर गिर गए थे। इसके अलावा, सैकड़ों लोग घायल हो गए थे।
सऊदी अरब मक्का में सन 1990 में हज यात्रा के दौरान एक बड़ी भगदड़ मचने से लगभग 1,400 लोगों की मौत हो गई थी। यह हादसा तब हुआ जब एक तंग मार्ग पर भीड़ जमा हो गई थी और लोग एक-दूसरे के ऊपर गिरने लगे थे।
हज के दौरान हुए बड़े हादसे में तकरीबन 360 हज यात्रियों की मौत हो गई थी। यह हादसा जमीरा के स्टोनिंग रिट्यूल के दौरान हुआ था, जब भारी भीड़ ने सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया था।
इस हज यात्रा के दौरारन अब तक का सबसे बड़ा हादसा हुआ था, जिसमें लगभग 2,300 लोगों की जान चली गई थी। यह हादसा भीड़ की असंतुलित स्थिति के कारण हुआ था, जब हज यात्रियों का एक समूह स्टोनिंग रिट्यूल के लिए इकट्ठा हो रहा था।
इन हादसों से यह स्पष्ट होता है कि इन बड़े धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा और प्रबंधन की बेहद अहमियत है। जब लाखों लोग एक जगह इकट्ठा होते हैं, तो भगदड़, असमंजस और अन्य घटनाएं हो सकती हैं। इसलिए, इन आयोजनों के दौरान भीड़ प्रबंधन, सुरक्षा बलों की तैनाती, सिंक्रोनाइज्ड समय तालिका और स्वास्थ्य सेवाओं जैसे इंतजामों का होना बहुत आवश्यक है। कुंभ मेला और हज यात्रा जैसी घटनाओं से यह भी सीखा जा सकता है कि इन आयोजनों के दौरान यात्रियों को सही दिशा-निर्देश और सुरक्षा प्रशिक्षण देने की आवश्यकता होती है ताकि वे खुद को और दूसरों को सुरक्षित रख सकें।
बहरहाल इन घटनाओं से यह साफ है कि बड़े धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा और प्रबंधन की बेहद अहमियत होती है। लाखों या करोड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं की मौजूदगी के कारण हर वर्ष इन आयोजनों में सुरक्षा उपायों का कड़ा ध्यान रखना पड़ता है। इन धार्मिक आयोजनों में होने वाले हादसों के बावजूद, प्रशासन हर बार सुरक्षा उपायों को और सख्त करने की कोशिश करता है, लेकिन हमें यह भी समझना होगा कि इन घटनाओं को पूरी तरह से रोकने के लिए समय, संसाधन और जागरूकता की आवश्यकता है।