Modi not invited to G7 2025: कनाडा में सिख डायस्पोरा की सियासी ताकत में इजाफा हो गया है और इस बात का अंतरराष्ट्रीय फैसलों पर भी असर नजर आने लगा है।
Modi not invited to G7 2025: भारत और कनाडा तनाव ( India Canada diplomatic tension) से जी-7 भी अछूता नहीं रहा है। इस साल के G7 शिखर सम्मेलन (G7 Summit 2025 ) ने इस बार एक उल्लेखनीय अनुपस्थिति ने सबका ध्यान खींचा है -भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( PM Modi) को आमंत्रण नहीं भेजा गया है। यह कदम ऐसे समय में सामने आया है जब IMF के अनुमानों के अनुसार, भारत अगले वित्तीय वर्ष तक जापान को पीछे छोड़ दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दहलीज पर है। ध्यान रहे कि कनाडा इस साल G7 लीडर्स समिट की मेजबानी करने जा रहा है। यह प्रतिष्ठित सम्मेलन 15 जून से 17 जून 2025 के बीच कनानास्किस, अल्बर्टा (Kananaskis, Alberta) में आयोजित किया जाएगा।
सीबीसी के अनुसार G7 का यह 'नो-इन्वाइट सिग्नल' केवल प्रोटोकॉल का मामला नहीं है, बल्कि यह भारत-कनाडा संबंधों में गहराते तनाव का संकेत माना जा रहा है। कनाडा ने हाल ही में भारत पर सिख अलगाववादियों से जुड़े मामलों में तीखे आरोप लगाए थे, और दोनों देशों के बीच राजनयिक टकराव खुल कर सामने आया था। ध्यान रहे कि मोदी ग्लोबल लीडर हैं और उन्होंने वैश्विक नेता के रूप में पहचान बनाई है।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने अब तक कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की, लेकिन सूत्रों ने इसे "चिंताजनक, लेकिन अप्रत्याशित नहीं" बताया।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कनाडा द्वारा भारत को आमंत्रण न देना सिर्फ द्विपक्षीय नहीं, बल्कि रणनीतिक संदेश भी है- खासकर तब जब भारत की वैश्विक भूमिका लगातार बढ़ रही है।
भारत के G20 अध्यक्षता के दौरान भारत की सशक्त छवि, अब G7 जैसे मंचों से अनुपस्थित रहकर कमजोर दिखाई दे सकती है। अब यह देखना अहम होगा कि अमेरिका, फ्रांस या ब्रिटेन जैसे भारत समर्थक G7 देशों की क्या भूमिका रहती है — क्या वे इस फैसले में शामिल थे या इससे अलग हैं ?
IMF की रिपोर्ट बताती है कि भारत की GDP भले ही वैश्विक स्तर पर चौथे स्थान पर पहुंच जाए, लेकिन प्रति व्यक्ति आय के मामले में यह अभी भी 130वें स्थान से ऊपर नहीं निकल पाया है -यानि विकास असमान है। दूसरी ओर, कनाडा में बढ़ती सिख डायस्पोरा की राजनीतिक ताकत भी इस निर्णय में एक अहम कारक मानी जा रही है।
एक्सक्लूसिव इनपुट के लिए क्रेडिट: यह रिपोर्ट G7 डिप्लोमैटिक चैनल्स, IMF डेटा, और टोरंटो स्थित एक सीनियर विश्लेषक की ऑफ रिकॉर्ड जानकारी पर आधारित है, जिन्होंने कहा –"यह सिर्फ मोदी को नहीं, भारत को संकेत देने का तरीका है कि रिश्तों की मरम्मत जरूरी है।"