मीडिया रिपोर्ट में एक चौकाने वाला खुलासा हुआ है। इसके अनुसार अमेरिका में जितने लोग आएंगे नहीं, उससे ज़्यादा बाहर हो जाएंगे।
इस साल अमेरिका (United States Of America) छोडऩे वाले लोगों की संख्या अमेरिका आने वाले लोगों के मुकाबले ज़्यादा हो सकती है। भले ही यह बात हैरान करने वाली है, पर यह पूरी तरह से सच है। इमिग्रेशन में यह बदलाव अमेरिका की अर्थव्यवस्था और सामाजिक ताने-बाने पर गहरा असर डाल सकता है। अमेरिका के दो थिंक टैंक के अर्थशास्त्री मानते हैं कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की कड़ी इमिग्रेशन पॉलिसी इस बदलाव का मुख्य कारण हैं। डिपोर्टेशन में इजाफा भी इसमें योगदान दे रही है।
मीडिया रिपोर्ट से एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार 50 साल में पहली बार ऐसा हो सकता है कि अमेरिका में रहने वाले लोगों की संख्या घटे। यानी कि इस साल अमेरिका छोडक़र बाहर जाने वाले लोगों की संख्या नए आने वालों से ज़्यादा हो सकती है। हालांकि लोग अपनी मर्ज़ी से अमेरिका नहीं छोड़ रहे, बल्कि मजबूरी में ऐसा कर रहे हैं। साउथ बॉर्डर पूरी तरह बंद करना, अंतर्राष्ट्रीय छात्रोंपर प्रतिबंध लगाना और नए प्रवासियों का कानूनी दर्जा छीनना अमेरिका में बदलाव को तेज़ कर रहा है। हाल ही कार्यस्थलों पर छापों और डिपोर्टेशन की चेतावनी ने भी कई प्रवासियों को अमेरिका छोडऩे के लिए मजबूर कर दिया है।
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विशेषज्ञों का कहना है कि प्रवासियों की कमी से श्रम बाजार में संकट पैदा होगा। खासकर कृषि, निर्माण और हॉस्पिटैलिटी जैसे क्षेत्रों में, जो विदेशी श्रमिकों पर निर्भर हैं। प्रवासियों की संख्या कम होने से टैक्स देने वाले भी घटेंगे। इससे सामाजिक सुरक्षा और अन्य सरकारी कार्यक्रमों को नुकसान हो सकता है।
अमेरिका में अगर इसी तरह डिपोर्टेशन होता रहा और नए लोगों के आने की संख्या में कमी आई, तो इससे देश की अर्थव्यवस्था में गिरावट आ सकती है। इससे देश में महंगाई बढ़ सकती है।
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