Interstellar Comet Encounter: नासा का यूरोपा क्लिपर अंतरतारकीय धूमकेतु 3I/ATLAS की आयन पूंछ से टकराने वाला है, जो वैज्ञानिकों को एलियन सामग्री अध्ययन का दुर्लभ मौका देगा।
Interstellar Comet Encounter: नासा के यूरोपा क्लिपर अंतरिक्ष यान (NASA Europa Clipper)को एक दुर्लभ ब्रह्मांडीय घटना का सामना करना पड़ सकता है। यूरोपीय शोधकर्ताओं के एक नए अध्ययन के अनुसार, अंतरतारकीय धूमकेतु 3I/ATLAS (Interstellar Comet Encounter) की आयन पूंछ यान के करीब से गुजरेगी। यह पूंछ लाखों मील लंबी आवेशित कणों की धारा है, जो हमारे सौर मंडल से बाहर की सामग्री का नमूना दे सकती है। यह मुठभेड़ वैज्ञानिकों को अन्य तारा प्रणालियों के बारे में जानने का अनोखा अवसर देगी। टेलकैचर प्रोग्राम (Tailcatcher program) ने भविष्यवाणी की है कि यान और धूमकेतु की पूंछ के बीच न्यूनतम दूरी करीब 50 लाख मील होगी।
इस धूमकेतु की आयन पूंछ का अध्ययन इसलिए खास है, क्योंकि यह सौर मंडल से बाहर की सामग्री को समझने का मौका देता है। ऐसी मुठभेड़ बहुत कम होती हैं, क्योंकि आयन पूंछ के संकेत सौर हवा और चुंबकीय क्षेत्र में छोटे बदलावों के रूप में दिखते हैं। यूरोपा क्लिपर, जो बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा की ओर जा रहा है, प्लाज्मा और मैग्नेटोमीटर उपकरणों से लैस है। ये उपकरण धूमकेतु की पूंछ की संरचना और बनावट को समझने में मदद करेंगे। फिनलैंड के शोधकर्ता सैमुअल ग्रैन ने कहा, “यह मिशन हमें आकाशगंगा के दूसरे हिस्सों की सामग्री का नमूना लेने का मौका देगा।”
वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर सौर हवा की स्थिति सही रही, तो यूरोपा क्लिपर इस पूंछ के कणों का विश्लेषण कर सकता है। इससे अंतरतारकीय पिंडों के गुणों और उनकी उत्पत्ति के बारे में नई जानकारी मिलेगी। दूसरी ओर, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) का हेरा मिशन, जो क्षुद्रग्रह बेल्ट में डिडिमोस-डिमोर्फोस प्रणाली की ओर जा रहा है, इस तरह के आयनों को मापने में सक्षम नहीं है। डिडिमोस-डिमोर्फोस एक दोहरी क्षुद्रग्रह प्रणाली है, जिसे नासा के DART मिशन ने 2022 में टक्कर मारकर कक्षा बदलने का प्रयोग किया था। यह प्रणाली पृथ्वी की रक्षा के लिए रणनीतियों का अध्ययन करती है।
इस खबर ने X पर वैज्ञानिक समुदाय और अंतरिक्ष प्रेमियों में उत्साह पैदा किया है। यूजर्स ने लिखा, “यह अंतरिक्ष अनुसंधान में नया इतिहास रचेगा!” कई ने इसे सौर मंडल से बाहर की दुनिया को समझने की दिशा में बड़ा कदम बताया। कुछ ने सवाल उठाया कि क्या भविष्य में और अंतरतारकीय पिंडों का अध्ययन होगा। यह खबर अंतरिक्ष विज्ञान की रोमांचक संभावनाओं को उजागर कर रही है।
वैज्ञानिक अब इस मुठभेड़ के परिणामों पर नजर रख रहे हैं। क्या यूरोपा क्लिपर धूमकेतु की पूंछ से नई जानकारी हासिल कर पाएगा? ESA का धूमकेतु इंटरसेप्टर मिशन भविष्य में ऐसी वस्तुओं को और करीब से देख सकता है। अगले कुछ महीनों में इस मिशन के डेटा पर नजर रहेगी। यह खोज अंतरतारकीय अनुसंधान में नया युग शुरू कर सकती है।
बहरहाल भारत जैसे देशों के लिए यह खबर प्रेरणादायक है। ISRO के चंद्रयान और मंगलयान मिशनों ने अंतरिक्ष अनुसंधान में भारत की ताकत दिखाई है। क्या भारत भविष्य में अंतरतारकीय पिंडों का अध्ययन करेगा? विशेषज्ञ कहते हैं कि यह भारत के लिए अपनी तकनीक को और विकसित करने का मौका है। यह खोज वैश्विक सहयोग को भी बढ़ावा दे सकती है।