Nepal Voter List Amendment for Gen-Z: नेपाल सरकार ने मतदाता सूची अधिनियम में बदलाव कर युवाओं को वोट देने का अधिकार दे दिया है।
Nepal Voter List Amendment for Gen-Z: भारत में वोट चोरी के आरोप लगने व मामला गर्माने के बाद अब नेपाल से भी युवाओं के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। नेपाल के युवा यानि Gen-Z मतदाता (Nepal Voter List Amendment for Gen-Z) भी चुनाव में हिस्सा ले सकेंगे। नेपाल के राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने मतदाता सूची अधिनियम, 2016 में संशोधन (Nepal voter list amendment) के लिए एक महत्वपूर्ण अध्यादेश जारी किया है। इसका उद्देश्य उन युवाओं को वोट देने का अधिकार देना है, (Gen-Z voting rights Nepal),जो हाल ही में 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुके हैं, लेकिन पहले के नियमों की वजह से मतदाता सूची में नाम नहीं जुड़वा पाए थे। नेपाल के संविधान के अनुच्छेद 114(1) के तहत राष्ट्रपति ने यह अध्यादेश मंत्रिपरिषद की सिफारिश पर जारी किया है। पहले के कानून के तहत, जैसे ही चुनाव की तारीख घोषित होती थी, उसके बाद कोई भी नया मतदाता पंजीकरण (Nepal youth voter registration) नहीं हो सकता था। यही कारण था कि बड़ी संख्या में युवा, विशेषकर Gen-Z वोटर्स, लोकतांत्रिक प्रक्रिया से वंचित रह जाते थे। अब नए अध्यादेश के तहत इस बाधा को हटा दिया गया है। अब चुनाव तिथि घोषित होने के बाद भी पात्र युवा मतदाता पंजीकरण करा सकेंगे और अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे।
नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की, जो देश की पहली महिला अंतरिम पीएम और पूर्व मुख्य न्यायाधीश रह चुकी हैं, ने सत्ता संभालते ही जनता और खासकर युवाओं की मांगों को गंभीरता से लिया। उन्होंने न सिर्फ प्रतिनिधि सभा को भंग करने की सिफारिश की, बल्कि आगामी 5 मार्च 2026 को चुनाव कराने का आह्वान भी किया।
गौरतलब है कि 8 और 9 सितंबर को हुए विरोध प्रदर्शनों में 74 लोगों की जान चली गई, जिसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को पद छोड़ना पड़ा। विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे युवाओं की सबसे बड़ी मांगों में से एक थी कि सभी पात्र युवा वोट डाल सकें। इसी के जवाब में यह अध्यादेश लाया गया है।
नेपाल के चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2025 तक 1.81 करोड़ मतदाता सूची में पंजीकृत हो चुके हैं। पिछले चुनाव (नवंबर 2022) की तुलना में यह संख्या लगभग 1.6 लाख बढ़ी है। लेकिन बड़ी संख्या में ऐसे युवा अब भी बचे हैं जो 18 वर्ष के हो चुके हैं, मगर पंजीकरण नहीं करा सके। यदि पुराना कानून लागू रहता, तो केवल वे लोग ही वोट डाल सकते थे जो 12 सितंबर 2025 तक मतदाता सूची में पंजीकृत हो चुके होते। इससे हजारों युवाओं का अधिकार छिन जाता।
यह अध्यादेश नेपाल में लोकतंत्र की मजबूती और युवाओं की राजनीतिक भागीदारी को बढ़ावा देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। यह न केवल चुनाव प्रक्रिया को समावेशी बनाता है, बल्कि यह दर्शाता है कि सरकार नागरिकों की मांगों को प्राथमिकता देती है।
बहरहाल नेपाल में अब जेन-जेड युवाओं के लिए वोट डालने का रास्ता साफ हो गया है। नए अध्यादेश ने यह सुनिश्चित कर दिया है कि कोई भी पात्र नागरिक, चाहे वह हाल ही में 18 वर्ष का हुआ हो, चुनाव में भाग लेने से वंचित न रह जाए। (एएनआई)