Operation Sindoor and India's Global Anti-Terror Strategy: संजय कुमार झा के नेतृत्व में मलेशिया पहुंचे सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को प्रवासी भारतीयों का व्यापक समर्थन मिला।
Operation Sindoor and India's Global Anti-Terror Strategy: ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor ) को पूरी दुनिया में प्रवासी भारतीयों का समर्थन (Indian diaspora support) मिल रहा है। सांसद संजय कुमार झा के नेतृत्व में मलेशिया पहुंचे सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल (Sanjay Kumar Jha diplomacy) से मुलाकात के दौरान प्रवासी भारतीयों ने भारत की वैश्विक शांति-नीति और आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख (India anti-terror strategy) की सराहना की। बातचीत के दौरान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर भारतीय प्रवासी समुदाय में स्पष्ट समर्थन दिखा। प्रतिनिधिमंडल के साथ संवाद करते हुए कई प्रवासी सदस्यों ने भारत के बहुसांस्कृतिक समाज की एकजुटता और शांति की भावना दुनिया भर में फैलाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
प्रवासी समुदाय ने माना कि भारत आज वैश्विक मंच पर आतंकवाद के खिलाफ एक मजबूत, संयमित और नैतिक आवाज़ के रूप में उभर रहा है। एक प्रवासी सदस्य ने कहा, "भारत अब सिर्फ एक देश नहीं, बल्कि शांति और सहिष्णुता का संदेश देने वाला एक विचार बन चुका है। हमें गर्व है कि हम इस विचार का हिस्सा हैं।"
जेडी(यू) सांसद संजयकुमार झा के नेतृत्व में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने आतंकवाद के विरुद्ध भारत की नीति रेखांकित करते हुए स्पष्ट किया कि पहलगाम आतंकी हमले के पीछे देश को सांप्रदायिक आधार पर बांटने की साज़िश थी, लेकिन भारत की परिपक्वता और एकजुटता के सामने यह मंसूबा नाकाम रहा। झा ने कहा, "हमारे समाज में इतनी ताक़त है कि कोई भी उकसावा हमें तोड़ नहीं सकता। पहलगाम में जो हुआ, वह हमारे धैर्य और शांति के प्रति समर्पण की परीक्षा थी –और हमने उसे सफलतापूर्वक पार किया।"
प्रतिनिधिमंडल की इस विदेश यात्रा का उद्देश्य भारत की 'जीरो टॉलरेंस टुवर्ड्स टेररिज़्म' नीति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साझा करना है। जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर और इंडोनेशिया जैसे देशों में कई स्तरों पर हुई बातचीत में भारत को व्यापक समर्थन मिला।
झा ने यह भी खुलासा किया कि पाकिस्तान के डीजीएमओ की ओर से युद्धविराम के अनुरोध की प्रक्रिया किस तरह भारत की शांतिप्रिय नीति के अनुरूप संभाली गई। झा ने दो टूक कहा, "हम कभी पहले हमला नहीं करते, लेकिन देश की एकता और सुरक्षा से समझौता भी नहीं करते।"
यह प्रतिनिधिमंडल भारतीय लोकतंत्र की विविधता भी दर्शाता है, जिसमें बीजेपी, कांग्रेस, टीएमसी और सीपीआई-एम समेत कई प्रमुख दलों के नेता शामिल हैं। एकता और राष्ट्रीय हितों के लिए यह सर्वदलीय पहल अब एक सशक्त कूटनीतिक संदेश बन चुकी है - भारत न आतंक से डरता है, न बंटता है।
कुआलालंपुर में भारतीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद कई प्रवासी भारतीयों ने भारत सरकार की नीति की खुलकर सराहना की। एक समुदाय प्रतिनिधि ने कहा, “ऐसे वक्त में जब दुनिया अस्थिरता से जूझ रही है, भारत की ओर से शांति और सद्भावना का संदेश बहुत बड़ी बात है। ऑपरेशन सिंदूर हमें भरोसा दिलाता है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ मजबूती से खड़ा है।”
इस सफल दौरे के बाद प्रतिनिधिमंडल अब मिडिल ईस्ट और यूरोप के देशों की यात्रा पर विचार कर रहा है, ताकि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर वैश्विक सहयोग और कूटनीतिक दबाव और मजबूत हो सके। सूत्रों के मुताबिक, अगला पड़ाव यूएई या फ्रांस हो सकता है, जहां भारतीय समुदाय और सरकार से सीधी बातचीत की योजना है।
हालांकि प्रतिनिधिमंडल में सभी प्रमुख दलों के नेता शामिल हैं और एकजुटता की तस्वीर पेश की जा रही है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि आंतरिक चर्चाओं में कुछ दलों ने भारत सरकार की कुछ रणनीतियों को लेकर सवाल भी उठाए। एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “हम एकजुट हैं, लेकिन यह भी ज़रूरी है कि कूटनीतिक संवाद में मानवीय मूल्यों को पूरी तरह शामिल किया जाए।”
( एक्सक्लूसिव इनपुट क्रेडिट: कुआलालंपुर स्थित भारतीय प्रवासी समूह 'इंडियन यूनिटी फोरम मलेशिया और आई यू एफ मलेशिया।)