वनमानुष ने बार-बार एक पौधे को चबाया और इसका रस गाल पर हुए घाव पर लगाया। इसके बाद उसने बचाए गए पत्तों से घाव को पूरी तरह ढक दिया।
इंसान जब बीमार होता है या चोटिल होता है तो वो डॉक्टर के पास जाता है या खुद ही घर में अपना इलाज कर सकता है। लेकिन आप सोचिए कि बेजुबान पशु-पक्षी क्या करते हैं जब वो बीमार होते हैं। कई जंगली जानवर चोट लगने के बाद अपने घाव का खुद इलाज भी करते हैं। लेकिन अगर कोई जंगली जानवर अगर खुद का इलाज एक औषधीय पौधे को ढूंढकर उसका रस पीकर अपना इलाज करता है तो ये वाकई ये आश्चर्यजनक घटना है।
दरअसल इंडोनेशिया में एक ऐसा ही मामला सामने आया है। यहां के सुआक बालिंबिंग अनुसंधान स्थल पर एक रिसर्चर ने देखा कि एक नर सुमात्राई वनमानुष ने बार-बार एक पौधे को चबाया और इसका रस गाल पर हुए घाव पर लगाया। मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल बिहेवियर (एमपीआइ-एबी) जर्मनी की इसाबेल लॉमर ने कहा कि राकस नाम के वनमानुष के चेहरे पर दूसरे वनमानुष से लड़ाई के दौरान घाव हो गया था।
चोट लगने के तीन दिन वाद राकस ने लियाना की पत्तियों को चबाया और फिर इसके रस को चेहरे के घाव पर कई मिनट तक बार-बार लगाया। इसके बाद उसने बचाए गए पत्तों से घाव को पूरी तरह ढक दिया। टीम में शामिल यूनिवर्सिटास नेशनल, इंडोनेशिया के शोधकर्ताओं ने बताया कि लियाना प्रजातियां के पौधों की पत्तियां दर्द निवारक, सूजन रोधी और घाव भरने में काम आती है। खास बात यह थी कि पत्तियों का रस लगाने के बाद वनमानुष के घाव पर संक्रमण के कोई लक्षण दिखाई नहीं दिए। यह घाव पांच में ठीक हो गया।