पाकिस्तान पुलिस ने इस्लामाबाद के अर्जेंटीना पार्क में देर रात छापेमारी कर कई अफ़ग़ान प्रवासियों, जिनमें महिला कार्यकर्ता भी शामिल थीं, को हिरासत में लिया, उनके साथ मारपीट की, और उन्हें बलपूर्वक हटा दिया, जिससे अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार मानदंडों के उल्लंघन की चिंता बढ़ गई है।
पाकिस्तान में अफ़ग़ान प्रवासियों की मुश्किलें दिन पर दिन बढ़ती जा रही हैं। अफ़ग़ान मीडिया द्वारा मंगलवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार, देर रात इस्लामाबाद के अर्जेंटीना पार्क इलाके में पाकिस्तान पुलिस द्वारा छापेमारी की गई। इस दौरान कई अफ़ग़ान प्रवासियों के साथ मारपीट की गई और उन्हें हिरासत में लिया गया। इन लोगों में कई अफगान की महिला कार्यकर्ता भी शामिल है।
पुलिस ने बिना किसी पूर्व सूचना के देर रात 1:30 बजे करीब पार्क को अचानक चारों तरफ से घेर लिया। पार्क में लगभग 200 अफ़ग़ान परिवार और कुछ कार्यकर्ता रह रहे थे। ये लोग करीब चार महीने से वहां टेंट लगाकर रह रहे थे। पुलिस ने उनके द्वारा लगाए गए टेंटों को हटा दिया और उन सभी लोगों को वहां से बलपूर्वक हटा दिया।
एक वीडियो मैसेज में एक प्रवासी कहते दिख रहा है कि, पुलिस वाले आए और उन्होंने सब लोगों को इकट्ठा कर लिया। इसके बाद उन्होंने हमारे टेंट उखाड़ दिए और हमें गाड़ियों में भर दिया। इस दौरान कई बच्चों को भी चोट आई। हमें नहीं पता वे हमें कहा ले जा रहे हैं। आंख और माथे पर चोट लगी हुई एक अन्य महिला कार्यकर्ता ने कहा, मैं यहां महिलाओं के अधिकारों के लिए, मानवाधिकारों के लिए आई हूं। क्योंकि मैं अफगानी हूं। क्योंकि मैं एक महिला हूं।
अफगान शरणार्थियों और उनकी मदद करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बताया कि पुलिस ने उन्हें 400 कमज़ोर परिवारों को जबरदस्ती वापस अफ़गानिस्तान भेजने की धमकी दी है। इस धमकी को लेकर मानवाधिकार समूहों के बीच चिंता बढ़ गई है क्योंकि अगर पाकिस्तानी पुलिस ऐसा करती है तो यह शरणार्थी सुरक्षा के अंतर्राष्ट्रीय मानकों का उल्लंघन होगा। इसी के चलते सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार समूहों और मीडिया से अफ़ग़ान प्रवासियों के मुद्दे पर आवाज़ उठाने की अपील की है। उनका कहना है कि, इस मुद्दे पर चुप्पी साधे रखना उन लोगों को लावारिश छोड़ने जैसा है जिनका एकमात्र हथियार न्याय के लिए गुहार ही है।