Pakistan Corruption IMF : पाकिस्तान हर साल भ्रष्टाचार से अपनी GDP का 6% यानी 20 अरब डॉलर गंवा रहा है। आईएमएफ की नई रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।
Pakistan Corruption IMF: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने नवंबर 2025 में जारी अपनी 186 पेज की नई रिपोर्ट (Governance and Corruption Diagnostic Assessment) में साफ तौर पर कहा है कि पाकिस्तान में भ्रष्टाचार इतना ज्यादा हो गया है कि यह देश की कुल GDP का 5 से 6.5 प्रतिशत हर साल खा जाता है। यानि उसे करीब 20 से 22 अरब डॉलर (लगभग 17 लाख करोड़ रुपये) का नुकसान हो रहा है। IMF ने इसे “Elite Capture” या “State Capture” बताया है। मतलब: कुछ गिने-चुने राजनीतिज्ञ, सैन्य अधिकारी, बड़े व्यापारी और उनके रिश्तेदार ही सारी नीतियां अपने फायदे के लिए बनवाते हैं। कर छूट, सब्सिडी, सरकारी ठेके, बैंक लोन – सब इन्हीं लोगों के लिए हैं। इस वजह से आम जनता और असली निजी क्षेत्र को कुछ नहीं मिलता।
रिपोर्ट कहती है कि जब तक ये “कुलीन विशेषाधिकार” (Elite Privileges) खत्म नहीं होंगे, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कभी नहीं सुधरेगी।
हर साल GDP का 4.6% सिर्फ़ कर छूट और रियायतों में चला जाता है।
सन 2021 में UNDP ने भी कहा था – कुलीन वर्ग हर साल 17.4 अरब डॉलर हड़प जाते हैं।
IMF का नया अनुमान: अगर अगले 5 साल में गंभीर सुधार किए जाएंं तो GDP में 5-6.5% की अतिरिक्त बढ़ोतरी हो सकती है।
SIFC (Special Investment Facilitation Council) – सेना और सरकार की संयुक्त बॉडी को इतनी छूट दी गई है कि कोई पूछने वाला नहीं। पारदर्शिता शून्य।
NAB और FIA – भ्रष्टाचार की जांच करने वाली एजेंसियां खुद राजनीतिक दबाव में काम करती हैं। दोषसिद्धि दर बहुत कम।
न्यायपालिका – 20 लाख से ज्यादा मामले लंबित।
नए संवैधानिक संशोधनों से सुप्रीम कोर्ट की ताकत कम हो रही है।
पब्लिक प्रोक्योरमेंट – सबसे कम बोली लगाने वाले को ठेकादिया जा रहा है और क्वालिटी से कोई मतलब नहीं है।
प्रो. अली हसनैन (LUMS): “ये कोई नई बात नहीं है। IMF ने वही दोहराया जो पहले से पता था। असली समस्या राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है।”
डॉ. साजिद अमीन (SDPI): “भ्रष्टाचार और कमज़ोर शासन एक-दूसरे को पालते हैं। जब तक नीति बनाने वाले ही फायदा उठा रहे हैं, सुधार मुश्किल है।”
बहरहाल IMF ने साफ़ कहा है कि तकनीकी सुधारों से कुछ नहीं होगा। अब राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है, जो अभी नज़र नहीं आ रही है। पाकिस्तान पिछले 67 साल में 25वीं बार IMF के पास गया है और यह अपने आप में बताता है कि उसका सिस्टम कितना सड़ा हुआ है।